अक्सर विपक्षी को तिरछी निगाहों से ही देखा जाता है. उसकी कमियों को दूसरे के सामने रखा जाता है, लेकिन यहीं तो फर्क है खेल के मैदान पर मिलने वाले विपक्षी में और मैदान के बाहर मिलने वाले विपक्षियों में. खेल के मैदान पर अक्सर जीत दिखाई देती है, हार के आंसू भी दिखते हैं. खुशी में झूमते हुए खिलाड़ी को देखकर अपने आप किसी के भी चेरहे पर खुशी दिखाई देनी लगती है और गम में तो उस खिलाड़ी से एक अलग ही रिश्ता भी जुड़ जाता है, लेकिन यहां कुछ अलग है. यहां न जीत है न हार है... न पक्ष और न विपक्ष...सिर्फ एक चीज है खेल भावना, जो हर खिलाड़ी को इस दुनिया में सबसे अलग बनाती है.
भारत के सूर्य प्रताप के पैर में चोट लग गई थी, ईरानी खिलाड़ी से हार गए थे वह. लंगड़ाते हुए चल रहे थे और तभी ईरानी खिलाड़ी ने उनके लड़खड़ाते पांवों को संभाला और अपना सहारा देकर भारतीय टीम के पास लाए.
सूर्य वापस आए और रैफरी ने रेड कॉर्नर का हाथ उठाकर विजेता घोषित किया. इसके बाद जो हुआ, उसकी एक झलकी आपके सामने हैं. सूर्य का दर्द बढ़ गया था शायद, अब तो वह एक कदम भी नहीं चल पा रहे थे और ऐसे में ईरानी खिलाड़ी ने अपने विपक्षी को गोद में उठाकर उनकी टीम के पास लेकर गए.
एशियन गेम्स के दौरान बैडमिंटन मैच में इंडोनेशिया के एनथॉनी सिनिसुका को चोट लगी तो चीन के शी युकी मदद के लिए उनके पास पहुंच गए
मेडिकल मदद मिलने के बाद कोर्ट से बाहर जाते एनथॉनी