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69 मेडल@69 कहानियां: मां का मिला साथ तो अंकिता ने भी दिखा दिया, किसमें कितना है दम

कहानी 21: सबको पता है कि इंडोनेशिया का मौसम बेहद उमस भरा होता है. ऐसे में तीन इवेंट खेलना आसान कतई नहीं है. वो न सिर्फ खेलीं, बल्कि मेडल जीतने में भी कामयाब रहीं.

FP Staff

डेविस कप, एशियन गेम्स या टेनिस का वो इवेंट, जहां आप देश के लिए खेल रहे हों, विश्व रैंकिंग मायने नहीं रखती. यह बात पिछले कुछ दशकों में लिएंडर पेस के प्रदर्शन से बार-बार साबित होती रही है. इंडोनेशिया में एशियाई खेलों के दौरान अंकिता रैना का प्रदर्शन भी यही साबित करता है. चीन की झांग शुआई उनसे 155 रैंक बेहतर थीं. उसके बावजूद रैना ने शानदार प्रदर्शन किया. मुकाबला तो वो हार गईं. लेकिन उन्होंने दिखाया कि कितनी जबरदस्त टक्कर देने की क्षमता उनमें है. चीन की खिलाड़ी से हारने के बाद उन्होंने कांस्य पदक जीता. सानिया मिर्जा के बाद एशियाड में पदक जीतने वाली वो पहली महिला खिलाड़ी बन गईं. सानिया ने दोहा एशियन गेम्स में सिल्वर और गुआंगझू में कांस्य पदक जीता था.

अंकिता रैना इस वक्त सिंगल्स भारत की टॉप महिला खिलाड़ी हैं. वो तीन इवेंट में हिस्सा ले रही थीं. सबको पता है कि इंडोनेशिया का मौसम बेहद उमस भरा होता है. ऐसे में तीन  इवेंट खेलना आसान कतई नहीं है. वो न सिर्फ खेलीं, बल्कि मेडल जीतने में भी कामयाब रहीं.


11 जनवरी 1993 को जन्मी अंकिता पिछले एशियन गेम्स में दिविज शरण के साथ मिक्स्ड डबल्स के दूसरे और सिंगल्स के तीसरे राउंड तक पहुंची थीं. गुजरात की अंकिता को करियर मे मां का बहुत साथ मिला, जो एलआईसी में काम करती हैं. सिंगल्स में दुनिया की टॉप 200 खिलाड़ियों में पहुंचने वाली वो सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला हैं. इससे पहले सानिया मिर्जा, निरुपमा वैद्यनाथन, शिखा ओबेरॉय और सुनीता राव टॉप 200 में पहुंची थीं.