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69 मेडल@69 कहानियां: 16 साल की सेलर हर्षिता के लिए S का मतलब सेलिंग नहीं स्विमिंग था

कहानी 66 और 67: जब हर्षिता का चयन वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी के टैलेंट सर्च प्रोग्राम में हुआ, तब तक उन्‍होंने सेलिंग का नाम तक नहीं सुना था

FP Staff

इंडोनेशिया में भारत ने सेलिंग में भी मेडल जीते, जिसमें हर्षिता तोमर रातों- रात स्‍टार बन गई. 16 साल की हर्षिता सेलिंग में मेडल जीतने वाले देश की सबसे कम उम्र की महिला सेलर बन गई हैं, लेकिन आप जानकर जरूर हैरान होंगे कि आज जिस खेल ने उन्‍हें स्‍टार बना दिया है, एक समय उन्‍हें यह तक पता नहीं था कि सेलिंग क्‍या होती है. हर्षिता ने 4.7 ओपन लेजर सेलिंग में ब्रॉन्‍ज जीता था.

भारत की इस खिलाड़ी को हालांकि बचपन से ही वाटर स्पोर्ट्स का शौक था, जिसे देखते हुए परिवार वालों में वाटर स्पोर्ट्स में करियर बनाने में सपोर्ट किया. हर्षिता ने करीब तीन साल की उम्र में स्विमिंग सीखनी शुरू कर दी थी और जूनियर स्‍तर पर कई मेडल भी अपने नाम किए, लेकिन स्विमिंग से सेलिंग में आने का सफर काफी रोमांचक है.


दरअसल 2012-13 में खेल विभाग की वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी का टैलेंट सर्च प्रोग्राम हुआ, जिसमें उनका चयन हो गया. लेकिन एकेडमी में जाने से पहले उन्‍हें सेलिंग का नाम तक नहीं पता था और वहीं से उनका एशियाड तक का सफर शुरू हुआ. इससे पहले स्वीमिंग भी शुरू करने के पीछे उनकी सेहत की कारण थी. दरअसल जन्‍म के कुछ समय बाद वह काफी कमजोर थी, जिसके बाद डॉक्‍टर्स ने उनकी मां को उन्‍हें ठंडी जगह पर रहने की सलाह दी और इसी कारण पूरा परिवार नर्मदा नदी के पास शिफ्ट हो गया और वहीं से तीन साल की उम्र में हर्षिता ने स्विमिंग शुरू की.

पहले थे प्रतिद्वंद्वी

सेलिंग में वरुण ठक्‍कर और केसी गणपति की जोड़ी ने भी भारत को निराश नहीं किया था और मेंस 49ईआर में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता. वरुण और गणपति ने एक टीम के रूप में मेडल जीता, लेकिन 2011 से पहले यह प्रतिद्वंद्वी थे. वह यहीं कारण एशियाड में इनकी सफलता का रहा, क्‍योंकि जूनियर स्‍तर पर वह एक दूसरे के खिलाफ रेस करने के आदी थे.