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एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप : मैरी कॉम ने पांचवीं बार किया स्वर्ण पदक पर कब्जा

सोनिया को फाइनल में करना पड़ा हार का सामना

Bhasha

भारतीय मुक्केबाजी की ‘वंडर गर्ल’ एम सी मैरी कॉम ( 48 किलो ) ने एशियाई मुक्केबाजी में पांचवीं बार स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया, जबकि सोनिया लाथेर (57 किलो ) को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा.

पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मैरी कॉम ने उत्तर कोरिया की किम ह्यांग मि को 5-0 से हराया. यह 2014 एशियाई खेलों के बाद मैरी कॉम का पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक है और इस साल उनका पहला पदक है.


विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता सोनिया को रजत पदक से संतोष करना पड़ा. वह बंटे हुए फैसले में चीन की यिन जोन्हुआ से हार गई. सोनिया का मुकाबला काफी थकाने वाला था. जोन्हुआ ने संतुलित जवाबी हमले किए और अच्छे पंच भी लगाए. भारत को इस टूर्नामेंट में एक स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक मिले.

मैरी कॉम ने इस जीत के साथ टूर्नामेंट में अपना शानदार रिकॉर्ड बरकरार रखा है. वह सभी छह बार फाइनल में पहुंचीं और बस एक बार रजत पदक से संतोष करना पड़ा. उन्होंने 2003, 2005, 2010 और 2012 में भी इसमें पीला तमगा जीता था.

35 बरस की मैरी कॉम का सामना मि के रूप में सबसे आक्रामक प्रतिद्वंद्वी से था, लेकिन वह इस चुनौती के लिए तैयार थीं. अब तक पहले तीन मिनट एक दूसरे को आंकने में जाते रहे थे, लेकिन इस मुकाबले में शुरुआती पलों से ही खेल आक्रामक रहा.

मैरी कॉम ने अपनी प्रतिद्वंद्वी के हर वार का माकूल जवाब दिया. दोनों ओर से तेज पंच लगाए गए. मैरी कॉम उनके किसी भी वार से विचलित नहीं हुईं और पूरे सब्र के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की.

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने भारतीय टीम खासकर मैरी कॉम की तारीफ की. उन्होंने कहा, 'मैरी कॉम का स्वर्ण भारत की महिला शक्ति की जीत है. तीन बच्चों की मां ने दिखा दिया कि मन में लगन हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है. मैं पूरी टीम को बधाई देता हूं.'