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अलविदा 2018 : वो युवा खिलाड़ी, जो आए और छा गए...

हिमा दास, नीरज चोपड़ा, मनु भाकर और सौरभ चौधरी जैसे खिलाड़ियों का आना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर छाना आश्वस्त करता हैं कि हमारी चुनौती भी दमदार हो सकती है.

FP Staff

साल 2018 जाते-जाते हमें कुछ ऐसे युवा खिलड़ियों की सौगात दे गया है जो भविष्य में भारत के लिए बड़ी उपलब्धियां दिला सकते हैं. टोक्यो ओलिंपिक में दो साल से भी कम समय बचा है. ऐसे में हिमा दास, नीरज चोपड़ा, मनु भाकर और सौरभ चौधरी जैसे खिलाड़ियों का आना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर छाना आश्वस्त करता हैं कि हमारी चुनौती भी दमदार हो सकती है.

हिमा दास ने दिखाई ट्रैक पर सोने की चमक


एक किसान के पांच बच्चों में सबसे छोटी असम की 18 वर्षीय हिमा दास पहले फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं. लेकिन फिर उन्होंने एथलेटिक्स में भाग्य आजमाने की सोची और आज वह शीर्ष एथलीटों की कतार में हैं. हिमा को इस साल की शुरुआत में हुए फेडरेशन कप से पहले कोई नहीं जानता था. मूलत: 100 और 200 मीटर की धाविका हिमा ने मार्च में हुए फेडरेशन कप में पहली बार 400 मीटर दौड़ में हिस्सा लिया और अपनी श्रेष्ठता साबित की. फिर हिमा ने फिनलैंड के टैम्पेयर में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.

यह पहली बार है कि भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी. हिमा ने यह दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की. दौड़ के 35वें सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन खिलाड़ियों में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में उन्होंने रफ्तार पकड़ी और इतिहास बना लिया. स्पर्धा के बाद जब हिना ने गोल्ड मेडल लिया और राष्ट्रगान बजा तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. इस युवा एथलीट ने एशियन गेम्स में 400 मीटर स्पर्धा का सिल्वर जीतकर सभी उम्मीदो को पूरा किया. हिमा ने भारत को एशियन गेम्स में लगातार पांचवीं बार 4X100 मीटर रिले का गोल्ड मेडल दिलवाने में अहम भूमिका निभाई. हिमा ने बेहतरीन शुरुआत की थी और अच्‍छी बढ़त बना ली थी, जो आखिरी तक कायम रही.

मनु भाकर- निशानेबाजी की युवा सनसनी

शूटिंग में अब युवाओं का समय आ गया है. 16 साल की मनु भाकर ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना सिद्धू सहित बड़े बड़े दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड मेडल जीतकर सबको चौंका दिया. मनु इन खेलों से पहले ही सुर्खियों में आ गई थीं. गोल्ड कोस्ट में अपने अभियान का आगाज करने से पहले मनु ने मेक्सिको में हुए सीनियर आईएसएसएफ विश्व कप में दो स्वर्ण जीते थे. इसलिए उनसे उम्मीद थी, जिसे उन्होंने पूरा किया. राष्ट्रमंडल खेलों की गोल्डन गर्ल के लिए एशियन गेम्स निराशाजनक रहे. वह 10 मीटर एयर पिस्टल में पांचवें स्थान पर रहते हुए फाइनल से एलिमनेट हुईं. यह लगातार दूसरी स्पर्धा थी जब मनु ने क्लालीफिकेशन में शानदार प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में चूक गईं. हरियाणा की इस खिलाड़ी ने 25 मीटर पिस्टल स्पर्धा के क्वालीफिकेशन में खेलों का रिकॉर्ड बनाया था और वह क्वालीफिकेशन में तीसरे स्थान पर रहीं.

एशियन गेम्स की नाकामी मनु भाकर के लिए भले परेशान करने वाली रही हो लेकिन इससे उन्हें गिरकर संभलने का मौका मिला. इसके बाद वह युवा ओलिंपिक में देश को निशानेबाजी में गोल्ड मेडल दिलाने में सफल रहीं. इसके बाद मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने कुवैत में कमाल करके दिखा दिया. इस जोड़ी ने 11वीं एशियाई एयरगन चैंपियनशिप के 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में नए जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल हासिल किया. निशानेबाज से कोच बने जसपाल राणा को लगता है कि भाकर कि यही काबिलियत उसे कुछ अन्य निशानेबाजों के साथ ओलिंपिक पदक का प्रबल दावेदार बनाती है.

पढ़ाई में नहीं लगता था मन तो शूटिंग में लोहा मनवाया

मेरठ के 16 साल के सौरभ चौधरी एशियन गेम्‍स में गोल्‍ड पर निशाना साधकर रातोंरात स्‍टार बन गए. सौरभ ने तीन साल पहले ही पिस्‍टल पकड़ना सीखा है और वो भी पढ़ाई से बचने के लिए. जी हां, सौरभ का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वो उन्‍होंने इससे बचने के लिए शूटिंग को चुन लिया. किसान परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले सौरभ का इसमें सभी ने साथ दिया. 11वीं के स्‍टूडेंट सौरभ को शूटिंग से इतना अधिक प्‍यार हो गया कि कई बार तो ट्रेनिंग के चक्‍कर में वह लंच करना भी भूल जाते थे. सौरभ इन गेम्‍स में 10 मीटर एयर पिस्‍टल में गोल्‍ड जीतने वाले भारत के पहले शूटर बन गए. इससे पहले विजय कुमार ने 2010 एशियाड में ब्रॉन्‍ज मेडल जीता था. भारत ने इस युवा निशानेबाज ने दो बार के ओलिंपियन और वर्ल्‍ड चैंपियन जापान के मतसुदा को हराया.

इस युवा शूटर ने यूथ ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड जीता. एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद सौरभ चौधरी ने एक और कमाल किया. उन्होंने विश्व रिकॉर्ड के साथ आईएसएसएफ विश्व चैंपियनशिप में जूनियर 10 मीटर एयर पिस्टल का गोल्ड मेडल जीत लिया. उन्होंने फाइनल में 245 .5 पॉइंट्स् के साथ अपना ही विश्व रिकार्ड तोड़ा. भारतीय टीम सौरभ के शानदार व्यक्तिगत प्रदर्शन की बदौलत सिल्वर मेडल जीतने में सफल रही. सौरभ ने सबसे पहले जून में आईएसएसएफ विश्व कप के दौरान 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

नीरज चोपड़ा -जेवलिन के गोल्डन बॉय

ऐसे खिलाड़ी थे जिनसे इंडोनेशिया में एशियन गेम्स में सबको गोल्ड मेडल की उम्मीद थी. नीरज ने भी निराश नहीं किया और 88 मीटर से अधिक जेवलिन थ्रो कर गोल्‍ड जीता और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. फाइनल में उनके हर थ्रो के बाद ऐसा लग रहा था कि मानो वो कह रहे हो कि गोल्‍ड तो सिर्फ उनका ही है. उन्होंने इससे पहले अप्रैल में 86.47 मीटर तक जेवलिन थ्रो कर गोल्ड मेडल जीत कर कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था.

नीरज यह खुद-ब-खुद में संघर्ष और संकल्प की एक कहानी है. हरियाणा के पानीपत के एक किसान के बेटे नीरज एक समय पर उस खेल का नाम तक नहीं जानते थे जिसमें उन्होंने गोल्‍ड जीता. खेलकूद के शौकीन नीरज चोपड़ा दोस्तों के साथ घूमते फिरते एक दिन पानीपत के शिवाजी स्टेडियम जा पहुंचे. वहां अपने कुछ सीनियर्स को जेवलिन थ्रो करते हुए देख, खुद भी जेवलिन थाम लिया. पहली बार जेवलिन थ्रो करने वाले नीरज को उस दिन लगा कि यह खेल उनके लिए जिंदगी है. पहले राष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाबले जीते. फिर महज 18 साल की उम्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी परचम लहराया. महज 18 साल की उम्र में अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में रिकॉर्ड तोड़ते हुए उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. नीरज में शानदार प्रतिभा है और वह 90 मीटर क्लब में शामिल होने की काबिलियत रखते हैं. महज 20 साल के नीरज के सामने लंबा करियर है. वह ओलिंपिक में भारत को एथलेटिक्स में  मेडल दिला सकते हैं.