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महिला गोल्फ की तस्वीर बदलने आई हैं अदिति

पिछले दिनों इंडियन ओपन और कतर ओपन खिताब पर किया है कब्जा

Praveen Sinha

गोल्फ भारत के लिए कोई नया खेल नहीं है. भारतीय गोल्फरों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टार खिलाड़ी का दर्जा रखना और देश-विदेश में खिताबी जीत हासिल करना भी कोई नई बात नहीं है. इसी तरह देश में महिला गोल्फ भी नई बात नहीं है. लेकिन, महिला गोल्फर अदिति अशोक का धूमकेतु की तरह उभरना जरूर भारतीय गोल्फ सर्किट में नई बात है.

रियो ओलिंपिक में भारत की ओर से भाग लेने वाली पहली महिला गोल्फर बनने के बाद अदिति महज 18 साल की उम्र में पहली बार सुर्खियों में आईं. इसके बाद अदिति के कदम जैसे-जैसे आगे बढ़े, उसके पीछे इतिहास दर्ज होता चला गया. अदिति ने रियो ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन कर महिला स्टार गोल्फर बनने की ओर धमाकेदार कदम बढ़ाए और उसके बाद इंडियन ओपन व कतर ओपन (दोनों लेडीज यूरोपियन टूर की स्पर्धाएं) जीतकर उन्होंने खुद के स्टारडम पर मुहर लगा दी.


रियो में पाया था 41वां नंबर

रियो में हालांकि शुरुआती दो दौर में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पदक की दावेदारों में शामिल अदिति अंतिम दो दौर में तेज हवाओं और बड़े टूर्नामेंट का दबाव नहीं झेल पाईं, लेकिन 41वें नंबर पर रहते हुए उन्होंने भारतीय महिला गोल्फ में ताजी बयार जरूर बहा दी. अपनी 57वीं रैंकिंग से कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए अदिति ने संकेत दे दिया था कि वह भविष्य की स्टार गोल्फर हैं.

रियो में विश्व की तमाम शीर्षस्थ महिला गोल्फर शिरकत कर रही थीं, जिनसे मुकाबला करना अदिति के लिए नया और शायद सबसे बड़ा अनुभव था. रियो ओलिंपिक के बाद लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए अदिति नित नई ऊंचाइयां लांघती जा रही हैं.

पिछले दिनों जीते हैं दो बड़े खिताब

अदिति ने पिछले दिनों गुड़गांव में महिला इंडियन ओपन जीतकर इतिहास रचा. अदिति न केवल महिला इंडियन ओपन का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं, बल्कि लेडीज यूरोपियन टूर खिताब जीतने वाली भी वह पहली भारतीय महिला गोल्फर बनी. यूरोपियन टूर में खेलने वाली तमाम दिग्गजों के लिए यह अविश्वसनीय था, क्योंकि एक युवा गोल्फर ने उन्हें शिकस्त दी थी. जिस यूरोपियन टूर में खेलना भारतीय महिला गोल्फरों के लिए एक सपना हुआ करता है, उसका खिताब जीतना उनके बढ़ते सफर को बताता है.

अदिति अशोक ने शानदार प्रदर्शन का सिलसिला कतर लेडीज ओपन में भी जारी रखा और दूसरे दौर में अपने पेशेवर करियर का सर्वश्रेष्ठ छह अंडर पार 66 स्कोर कर खिताब भी जीत लिया. लेडीज यूरोपियन टूर में लगातार दूसरा खिताब जीतना महज एक संयोग नहीं हो सकता है. इस खिताब ने इतना संकेत तो दे ही दिया है कि अदिति एक आम नहीं, बेहद खास महिला गोल्फर है.

कतर लेडीज ओपन खिताब के साथ अदिति।(फोटो: ट्विटर)

विश्व स्तरीय गोल्फर बनने की काबिलियत

ड्राइविंग और पटिंग में बेहतरीन नियंत्रण का सम्मिश्रण बहुत कम गोल्फरों में देखने को मिलता है. इसी साल पहली जनवरी को पेशेवर गोल्फर बनीं अदिति ने बहुत ही कम समय में साबित कर दिया है कि उनमें विश्व की शीर्षस्थ गोल्फरों की कतार में शामिल होने का माद्दा है. रियो ओलंपिक और इंडियन ओपन के बाद अदिति ने संकेत दिया था कि हर टूर्नामेंट उनके लिए नया अनुभव है और वह बेहतर प्रदर्शन करने की सीख ले रही हैं. विलक्षण प्रतिभा की धनी अदिति कड़ी मेहनत और अनुशासन पर विशेष ध्यान देती हैं जिससे उनके ज्यादातर शॉट फेयरवे से भटकते नहीं हैं. यही कारण है कि ग्रीन्स पर उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा होता है और बर्डी, ईगल मार वह अपनी प्रतिद्वंद्वियों पर दबाब बढ़ा देती हैं. अदिति ने इसका उदाहरण इंडियन ओपन और कतर ओपन दोनों ही टूर्नामेंट के अंतिम होल पर बर्डी मारकर दिया है.

चाइल्ड प्रॉडिजी हैं अदिति

अदिति ने छह वर्ष दो माह की उम्र में गोल्फ खेलना शुरू किया. अदिति के पिता पंडित गुडलामनि अशोक उसके कैडी हैं. अदिति को अपने परिवार से गोल्फ खेलने की प्रेरणा मिली जिसका निर्वहन उसके पिता आज भी कर रहे हैं. अदिति ने महज नौ वर्ष 10 माह की उम्र में जब पहला अमेच्योर खिताब जीता था तभी पूत के पांव पालने में नजर आ गए थे. अदिति ने वर्ष 2011 में 13 साल 5 माह की उम्र में पहली बार भारतीय महिला गोल्फ संघ (डब्ल्यूजीएआई) का खिताब जीता. यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह भारत की सबसे युवा गोल्फर है.

अदिति एशियाई युवा खेलों (2013) और एशियाड (2014) में शिरकत करने वाली भारत की पहली महिला गोल्फर है. इसी तरह वह युवा ओलिंपिक (2014) और ओलिंपिक खेलों (रियो 2016) में भाग लेने वाली भी पहली और एकमात्र भारतीय महिला गोल्फर हैं.

अदिति दो बार नेशनल अमेच्योर चैंपियन और तीन बार जूनियर नेशनल खिताब अपने नाम कर चुकी है, जिसमें वर्ष 2014 में तो उसने सीनियर और जूनियर दोनों वर्गों का खिताब अपने नाम किया था. इस दौरान अदिति को स्मृति मेहरा, शर्मिला निकोलेट, वाणी कपूर जैसी दिग्गज गोल्फरों का सामना करना पड़ा, लेकिन नैसर्गिक प्रतिभा की धनी अदिति ने सबको पीछे छोड़ते हुए अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी.

हालांकि अदिति के लिए पिछले साल लाल्ला आइचा टूर स्कूल खिताब जीतकर लेडीज यूरोपियन टूर में खेलने की पात्रता हासिल करना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. अदिति ने सबसे युवा गोल्फर के रूप में इस खिताब को जीतकर इतिहास रचा था, जिससे उनका मनोबल काफी बढ़ा. इसके बाद उनके सामने यूरोपियन टूर में बेहतर प्रदर्शन करना सबसे बड़ा लक्ष्य था. अदिति यूरोपियन टूर में दो खिताब सहित पांच बार शीर्ष दस गोल्फरों में शामिल रही हैं. किसी भी गोल्फर के पेशेवर करियर की यह एक स्वप्निल शुरुआत मानी जाएगी. अदिति के लिए भी ठीक ऐसा ही है। इसी स्वप्निल शुरुआत के बल पर अदिति यदि यूरोपियन टूर की सर्वश्रेष्ठ रूकी (युवा) का अवॉर्ड भी जीतने में सफल हो जाती हैं तो कोई हैरत की बात नहीं होगी,