जब मैंने पहली बार स्टीवन जेरार्ड को लिवरपूल के लिए खेलते देखा था तो मैंने उनपर अधिक ध्यान नहीं दिया. मैं माइकल ओवेन का खेल देख रहा था. बिहार (अब झारखंड) के एक छोटे से कस्बे में ओवेन पहले अंग्रेज खिलाड़ी थे जिसका मैंने नाम सुना था (हम पेले-रोनाल्डो-माराडोना को जानते थे). ओवेन को देखते-देखते मैं लिवरपूल का फैन बना और लिवरपूल को देखते-देखते स्टीवन जेरार्ड का.
स्टीवन जेरार्ड ने गुरुवार को सभी तरह के फुटबॉल से संन्यास की घोषणा कर दी. जेरार्ड ने अमेरिकी एमएलएस के लॉस एंजिल्स गेलैक्सी के साथ अपने करार की समाप्ति के साथ अपने 19 साल के करियर को अलविदा कह दिया है. 'स्टीवी जी' ने पिछले साल गेलैक्सी के साथ करार किया था. इससे पहले लिवरपूल के लिए जेरार्ड ने 710 मैच खेले. जेरार्ड ने आठ बड़ी ट्रॉफियां जीतीं. हालांकि प्रीमियर लीग कभी नहीं जीता. इंग्लैंड के लिए 114 मैच खेले. इंग्लैंड के कप्तान बने. वर्ल्ड कप कभी नहीं जीता. वह प्रीमियर लीग से सबसे अधिक गोल करने वालों और सबसे अधिक असिस्ट वाले खिलाड़ियों में शामिल हैं.
जेरार्ड के खिलाफ बोलने वाले कहेंगे कि वह कभी लिवरपूल को प्रीमियर लीग नहीं जिता पाए. इंग्लैंड को कोई खिताब नहीं दिला पाए. वह जेरार्ड के उस कुख्यात 'स्लिप' की बात करेंगे जिसके कारण लिवरपूल 2013-14 में खिताब नहीं जीत पाया. अल हाजी डियोफ जैसे लोग कह सकते हैं कि 'वह कुछ नहीं हैं.'
लेकिन जेरार्ड की महानता उनकी ट्रॉफियों, नंबरों या जीतों में नहीं है.
जेरार्ड की महानता उनकी लॉ़यल्टी में है. जेरार्ड लिवरपूल के लिए 17 साल खेले. उन्होंने अपने सबसे शानदार दिनों में किसी और क्लब का रुख नहीं किया. शायद वह किसी और क्लब में गए होते तो और खिताब जीत सकते थे. वह और पैसे कमा सकते थे. लेकिन जेरार्ड लिवरपूल में बने रहे.
2005 में जब वह अमेरिका में 'सॉकर' खेलने गए तो उनके करियर के शानदार दिन खत्म हो चुके थे. यह फैसला भी लिवरपूल के लिए ही था क्योंकि वह जानते थे कि अब क्लब को नए खून की जरूरत है.
पैसों की चकाचौंध वाली क्लब फुटबॉल की दुनिया में ऐसे कम ही उदाहरण मिलते हैं जहां कोई खिलाड़ी किसी क्लब का पर्याय बन जाए. लेकिन जेरार्ड लिवरपूल थे, लिवरपूल जेरार्ड था.
जेरार्ड लिवरपूल की 'फाइटिंग स्पिरिट' के प्रतीक थे. लिवरपूल क्लब का इतिहास महान रहा था लेकिन जेरार्ड के समय यह कभी उस ऊंचाई पर नहीं रहा. यह जेरार्ड ही थे जिसने कभी-कभार क्लब को उस पुरानी महानता को महसूस करने का मौका दिया. आखिर 2005 का वह चैंपियन लीग फाइनल कौन भूल सकता है जब लिवरपूल ने एसी मिलान से 3 गोलों से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए खिताब जीता था. यह 'मिरैकल ऑफ इस्तांबुल' था जिसके हीरो जेरार्ड थे. इसमें कोई आश्चर्य नहीं था कि इसके 10 साल बाद हुए एक पोल में लिवरपूल फैंस ने उन्हें क्लब का महानतम खिलाड़ी चुना.
जेरार्ड लिवरपूल के असली हीरो थे. वह इसी शहर में जन्मे था. जेरार्ड ने यहां की गलियों में खेलते हुए न सिर्फ क्लब बल्कि इंटरनेशनल फुटबॉल में सबसे ऊंचाई तक का सफर इसी शहर के जरिए तय किया.
लिवरपूल फुटबॉल क्लब के इतिहास के दुखद पल हिल्सबोरो त्रासदी में मरनेवालों में उनका एक रिश्तेदार भी था. फैंस को सीजन 2013-14 सीजन में जेरार्ड की भीगी आंखें याद होंगी जब हिल्सबोरो त्रासदी की 24वीं वर्षगांठ के चंद दिनों बाद लिवरपूल अपने प्रतिद्वंद्वी मैनचेस्टर सिटी को हराकर लीग में टॉप पर पहुंचा था. अजीब संयोग था कि इसके अगले ही मैच में जेरार्ड फिसले और खिताब लिवरपूल के हाथ से फिसल गया. लिवरपूल में रहते हुए जेरार्ड ने ऐसे कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन वह लगातार अपने साथी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने रहे.
जब जेरार्ड 16 मई 2015 को क्रिस्टल पैलेस के खिलाफ खेलने उतरे थे तो एक बैनर लिवरपूल के फैंस के दिलों में उनकी जगह को बेहतरीन तरीके से बयां कर रहा था: 'जो सबसे महान है. जो सबसे महान था. जो सबसे महान रहेगा.'
चर्चा है कि जेरार्ड लिवरपूल में कोचिंग से जुड़े किसी रोल में लौट सकते हैं. क्लब के फैंस के लिए इससे बेहतर क्या होगा. क्लब के यंगस्टर्स को सिखाने के लिए स्टीवन जेरार्ड से बेहतर रोल मॉडल कौन हो सकता है. अगर जेरार्ड क्लब लौटते हैं तो यह लिवरपूल के सबसे प्यारे बेटे की घर वापसी होगी.
(सभी तस्वीरें ट्विटर से ली गई हैं)