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जन्मदिन विशेष लियोनेल मेसी: फुटबॉल के मैदान का जादूगर

24 जून को 30 साल के हो रहे हैं लियोनेल मेसी

Pawas Kumar

अर्जेंटीना के सैंटा फे का शहर रोजारियो दुनिया के महान क्रांतिकारियों में से एक चे ग्वेरा के जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है. 1987 में यह शहर जश्न में डूबा था- एक साल पहले अर्जेंटीना की वर्ल्ड कप की जीत का खुमार अभी उतरा न था. ये वर्ल्ड कप मैराडोना के करिश्माई प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है. रोजारियो का बच्चा-बच्चा अगला मैराडोना बनना चाहता था. इसी रोजारियो शहर में 24 जून 1987 को एक बच्चे का जन्म हुआ जिसके नाम मैराडोना से भी बड़ी शोहरत लिखी थी.

इस बच्चे का नाम रखा गया- लियोनेल एंड्रेस मेसी.


छह साल की उम्र में मेसी ने रोजारियो के न्यूएल्स ओल्ड बॉयज क्लब के साथ खेलना शुरू कर दिया. मेसी के पहले कोच उनके पिता ही थे लेकिन उनके खेल पर सबसे बड़ा असर था उनकी दादी का. उनकी दादी ही उन्हें ट्रेनिंग के लिए ले जातीं.

द मशीन ऑफ 87

छह साल की उम्र में ही मेसी की प्रतिभा सबको दिख रही थी. क्लब की यूथ टीम के लिए खेलते हुए मेसी ने करीब 500 गोल दागे. मेसी का असर ऐसा था कि इस टीम का नाम ही 'द मशीन ऑफ 87' ही रख दिया गया था. 87 यानी वो साल जब मेसी का जन्म हुआ था.

हाफ-टाइम या मैच शुरू होने से पहले मेसी गेंद का साथ अपनी क्षमता दिखाते. 15-15 मिनट तक गेंद उनके पैरों पर उछलती रहती और नीचे नहीं गिरती. लोग खुश होकर नन्हे मेसी की ओर पैसे उछालते.

मेसी की प्रतिभा की चर्चा रोजारियो से निकलकर अर्जेंटीना और पूरी दुनिया में फैल रही थी. लोग उन्हें भविष्य का फुटबॉलर कहने लगे थे.

लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मेसी के भविष्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया. जब लियोनेल मेसी 10 साल के थे तो पता चला कि वह ग्रोथ हार्मोन डिफिशिएंसी से जूझ रहे हैं. इसका मतलब था कि अगर उनका जल्द इलाज नहीं किया गया तो उनके शरीर का विकास ही रुक जाएगा. यह इलाज बहुत कष्ट भरा था और खर्चीला भी. हर महीने करीब डेढ़ हजार डॉलर का खर्च आता. मेसी के परिवार के लिए इस इलाज का खर्च उठाना आसान नहीं था.

इसी दौरान मेसी की दादी नहीं रहीं. मेसी के लिए यह बहुत बुरा समय था. उनके सपने खत्म होने को थे और उनका सबसे बड़ा सहारा छिन चुका था.

नैपकीन पर लिखी गई मेसी की किस्मत

मेसी के पिता को किसी ने बताया कि स्पेन का क्लब एफसी बार्सिलोना टैलेंटेड फुटबॉलरों के इलाज का खर्च भी देता है. स्पेन के फुटबॉल क्लब एफसी बार्सिलोना के स्पोर्टिंग डायरेक्टर कार्लेस रेक्सैक ने भी मेसी की प्रतिभा के चर्चे सुन रखे थे. क्लब ने मेसी के इलाज का खर्च उठाने का वादा किया बशर्ते मेसी व उनका परिवार स्पेन आ जाए. मेसी का परिवार मान गया लेकिन यह कॉन्ट्रैक्ट पक्का करने के लिए उस समय कागज तक नहीं था. अंत में एक नैपकीन पर यह कॉन्ट्रैक्ट फाइनल किया गया. आज शायद यह दुनिया का सबसे महंगा नैपकीन हो.

बार्सिलोना में मेसी ने क्लब के प्रसिद्ध ला मेसिया अकैडमी का हिस्सा बन गए. 17 साल की उम्र में वह बार्सिलोना के लिए खेलने लगे. इसके बाद तो मेसी ने पीछे मुड़कर देखा ही नहीं.

30 साल के मेसी ने अब तक 30 ट्रॉफियां जीती हैं. मेसी को सबसे ज्यादा 5 बार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर चुना जा चुका है. मेसी ने करियर में अब तक 724 मैच खेले हैं जिनमें उन्होंने 584 गोल दागे हैं. वह 41 बार हैट्रिक लगा चुके हैं. वह बार्सिलोना के साथ 8 बार स्पेनिश घरेलू लीग और 7 बार स्पेनिश सुपर कप जीत चुके हैं. मेसी ने 4 बार चैंपियंस लीग खिताब जीता है. वह 3 बार फीफा क्लब वर्ल्ड कप विनर भी रहे हैं. उन्हें 3 बार यूरोप का बेस्ट फुटबॉलर चुना जा चुका है.

अर्जेंटीना के लिए खेलते हुए 2008 में उन्होंने ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीता.

फुटबॉल के जादूगर हैं मेसी 

मेसी के खेल की तारीफ में कुछ कहने की जरूरत नहीं है. जिन्होंने मेसी को खेलते देखा है वह जानते हैं कि मेसी में अद्भुत प्रतिभा है. उनके पास गजब की तेजी है. ऐसी क्षमता है कि फुटबॉल उनके पैरों से लगने के बाद मानो उनके इशारों पर चलती है. गेंद को नेट तक पहुंचाने में उनका जवाब नहीं. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि 5 फीट 7 इंच के इस खिलाड़ी में गजब का साहस भरा है. बड़े-बड़े डिफेंडरों के बीच बिना किसी डर के गेंद लेकर निकल जाना मेसी की खूबी है.

लिवरपूल फुटबॉल क्लब के मैनेजर यर्गेन क्लॉप कहते हैं, 'मेसी सर्वश्रेष्ठ हैं. दुनिया में कहीं और जीवन जरूर होगा. क्योंकि हम उनके काबिल नहीं है और वह हमसे बहुत अच्छे हैं.'

इसके पीछे केवल नैचुरल टैलेंट ही नहीं मेसी की मेहनत भी है. दुनिया के सबसे बड़े फुटबॉल सेलेब्रिटी होने के बाद भी मेसी सभी खिलाड़ियों से पहले मैदान पर पहुंचते हैं और पूरी टीम के जाने के बाद ही लौटते हैं. छोटा कद होने के कारण हेडर करने के मामले में वे पीछे रह जाते हैं, लेकिन यही कद उन्हें दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में ज्यादा फुर्तीला बनाता है.

कायम है फुटबॉल का जुनून

सबसे बड़ी बात है कि मेसी में फुटबॉल को लेकर अभी भी वहीं जुनून है जो 11 साल के मेसी में था. उनके फुटबॉल को लेकर जुनून का अंदाजा इस एक घटना से लगाया जा सकता है. एक घरेलू टूर्नामेंट में उन्हें हिस्सा लेना था, लेकिन गलती से वे खुद को बाथरूम में लॉक कर बैठे. मेसी बाथरूम की खिड़की का शीशा तोड़ मैदान पर पहुंचे तो हाफटाइम तक उनकी टीम 1-0 से पीछे थी और स्ट्रगल कर रही थी. जैसे ही मेसी मैदान में उतरे मामला उल्टा हो गया. विरोधी टीम एक भी गोल नहीं कर सकी. उनकी टीम ने मैच 3-1 से जीत लिया. तीनों गोल मेसी ने ही किए थे.

मेसी की खासियत यह भी है कि उनके अंदर अभी भी वही विनम्रता है जो युवा लियोनेल में थी. मेसी ने जब 2012 में गेरार्ड मुलर के एक सीजन में सबसे अधिक गोल का रिकॉर्ड तोड़ा तो अगले दिन मुलर को मेसी की ओर एक तोहफा मिला. बार्सिलोना की 10 नंबर की इस जर्सी पर लिखा था- 'सम्मान और आदर के साथ'.

मेसी वर्षों से यूनिसेफ के गुडविल एंबैसेडर रहे हैं और साथ ही वह ऑटिज्म के शिकार लोगों की मदद के लिए भी काम करते हैं. मेसी जब भी गोल करते हैं तो दोनों हाथ हवा में उठाकर आसमान की ओर इशारा करते हैं- यह अपनी दादी के प्रति उनकी श्रद्धांजलि होती है.

30 साल में मेसी ने इतना कुछ हासिल किया है कि फुटबॉल इतिहास में उनका नाम दर्ज हो चुका है. क्रिस्टियानो रोनाल्डो को छोड़कर उनकी टक्कर का कोई खिलाड़ी फिलहाल नजर नहीं आता. मेसी का कमाल ऐसा है कि उनका रिकॉर्ड तोड़ना या नए कीर्तिमान बनाना अब चौंकाता भी नहीं. हां, अर्जेंटीना के लिए वर्ल्ड कप न जीत पाने का दर्द शायद उन्हें सताता होगा.

मेसी के रिकॉर्ड, उनकी कहानी और उनकी प्रतिभा की बातें हम कितनी भी कर लें असल में तो मेसी की सबसे बड़ी खासियत फुटबॉल के मैदान पर उनकी जादूगरी है. उम्मीद है मेसी का यह मैजिक अभी कई साल तक चलता रहेगा.