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काम नहीं आएगी फुटबॉल टीम की बगावत, बची रहेगी विदेशी कोच की कुर्सी

भारतीय फुटबॉल टीम के कोच स्टीफन कॉन्सटेंटाइन के खिलाफ कई सीनियर खिलाड़ियों ने की है बगावत

FP Staff

टीम इंडिया में तो कप्तान कोहली ने कोच अनिल कुंबले के साथ अपने मतभेदों के चलते कुंबले की छुट्टी करवा दी हो,  लेकिन भारतीय फुटबॉल टीम में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. टीम के कई सीनियर किलाड़ियों की बगावत के बावजूद कोच की कुर्सी बचती हुई दिखे रही है.  ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन यानी एआईएफएफ के महासचिव कुशाल दास ने संकेत दिये कि सीनियर टीम के चीफ कोच स्टीफन कॉन्सटेंटाइन का अनुबंध मार्च में बढ़ा दिया जाएगा जबकि उनकी सीनियर खिलाड़ियों से मतभेद की कुछ खबरें भी आ रही हैं.

दास ने यह भी कहा कि पुर्तगाल के कोच लुई नोर्टन डि माटोस का अनुबंध आई लीग समाप्त होने के बाद खत्म हो जायेगा जिसमें वह इंडिन एरोज को कोचिंग दे रहे हैं.


उन्होंने एक कार्यक्रम के इतर कहा, ‘डि माटोस का अनुबंध आई लीग खत्म होने तक होगा. इसके बाद हम देखेंगे और इस पर चर्चा करेंगे. ’ कॉन्सटेंटाइन के बारे में उन्होंने संकेत दिये कि उन्हें सीनियर टीम की 13 मैचों में लगातार जीत का फायदा मिलेगा जिसमें 2019 एएफसी एशिया कप टूर्नामेंट में क्वालीफाइ करना भी शामिल हैं.

दास ने कहा, ‘यह मार्च 2018 में तकनीकी समिति का ही फैसला होगा लेकिन कॉन्सटेंटाइन के प्रदर्शन और नतीजों को देखते हुए मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि उनका अनुबंध क्यों नहीं बढ़ाया जायेगा. ’’ खिलाड़ियों और कॉन्सटेंटाइन के बीच मतभेद की खबरों के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई गंभीर मतभेद हैं. मुझे लगता है कि ये सब बढ़ा चढ़ाकर बताया गया है. हो सकता है कि उनके कुछ खिलाड़ियों से मतभेद हों लेकिन यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. आपको उनके कार्यकाल के दौरान के नतीजों को स्वीकार करना होगा कि भारत फीफा रैंकिंग में 105 तक पहुंचा और उसने एशिया कप के लिये क्वालीफाइ किया. ’

(एजेंसी इनपुट के साथ)