एक माह बाद फीफा की विश्व कप ट्रॉफी को आखिरकार वो घर भी मिल गया, जहां उसे जाना था. टूर्नामेंट शुरू होने तक ट्रॉफी कंन्फ्यूज थी कि वह 32 में से किस घर जा रही है. इसके साथ ही कुछ और खिताब को भी अपना मालिक मिल गया है. इंग्लैंड भले ही सेमीफाइनल में क्रोएशिया से हारकर खिताब की दावेदारी से बाहर हो गई हो, लेकिन वो इस बात से जरूर खुश होंगे कि गोल्डन बूट उनके घर आया. इंग्लिश कप्तान हैरी केन इस विश्व कप के गोल्डन बूट के हकदार बने. गौरतलब है कि तीसरे स्थान के लिए बेल्जियम के साथ हुए मुकाबले में भी इंग्लैंड को हार का सामना करना पड़ा और एक बार फिर चौथे ही स्थान से संतुष्ट करना पड़ा. हैरी केन ने ग्रुप चरण के मैच में पनामा के खिलाफ हैट्रिक लगाने के साथ ही कुल छह गोल किए, जो इस विश्व कप में टॉप स्कोरर रहे. वहीं फाइनल मुकाबले में एक-एक गोल करके एंटोनी ग्रीजमैन और एम्बाप्पे चार गोल किए. उनके अलावा बेल्जियम के लुकाकू, पुर्तगाल रोनाल्डो और रूस के डेनिस ने भी चार गोल किए.
केन फुटबॉल विश्व कप में गोल्डन बूट जीतने वाले इंग्लैंड के दूसरे खिलाड़ी हैं. इससे पहले 1986 में मेक्सिको में हुए विश्व कप में गैरी लिनेकर ने गोल्डन बूट जीता था. लिनेकर ने भी छह गोल किए थे.
हैरी केन ने अपने छह गोल में से दो गोल ट्यूनीशिया, तीन गोल पनामा और एक गोल कोलंबिया के खिलाफ किया. इन गोल में तीन गोल उन्होंने पेनल्टी पर और एक गोल हेडर लगाकर किया था.
पहला गोल
ट्यूनीशिया के खिलाफ हैरी केन ने पहला गोल किया. यंग के कॉर्नर पर जॉन स्टोंस ने हेडर लगाया और केन ने तीन गज बाहर से गोल किया.
दूसरा गोल
ट्यूनीशिया के खिलाफ दूसरा गोल केन ने हेडर लगाकर किया. ट्रिपपीयर ने कॉर्नर लिया और उससे बने मूव पर केन ने तीन गज बाहर से हेडर लगाकर गोल किया.
तीसरा गोल
पनामा के खिलाफ हैरी केन ने हैट्रिक लगाई. पनामा के खिलाफ पहला गोल पेनल्टी स्पॉट से किया.
चौथा गोल
पनामा के खिलाफ दूसरा गोल भी पेनल्टी स्पॉट से किया गया.
पांचवां गोल
ओपन प्ले से केन का एकमात्र गोल, रूबेन की लो स्ट्राइक उनके हील से डिफ्लेक्ट हुई और उन्होंने इसे नेट में पहुंचा दिया.
छठा गोल
हैरी केन का कोलंबिया के खिलाफ एकमात्र गोल, केन से पेनल्टी स्पॉट से सीधा शॉट लगाकर गेंद को लक्ष्य तक पहुंचाया.