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FIFA World Cup 2018: ग्रुप एफ में बेल्जियम और इंग्लैंड के बीच होगी असली जंग

बेल्जियम और इंग्लैंड के अलावा ग्रुप में पनामा है जो पहली बार वर्ल्ड कप में खेल रही है वहीं ट्यूनीशिया के आंकड़े भी खास प्रभावी नहीं हैं

Riya Kasana

ग्रुप एफ : बेल्जियम, पनामा, इंग्लैंड और ट्यूनीशिया 

इस ग्रुप बेशक बेल्जियम सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर दिखती है. बेल्जियम के अलावा इस ग्रुप में इंग्लैंड प्लेऑफ के दौर में जगह बना सकती है. पनामा ने पहली बार वर्ल्ड कप में अपनी जगह बनाई है. वहीं ट्यूनीशिया की टीम आखिरी बार साल 2006 में जर्मनी में हुए वर्ल्ड कप में दिखाई दी थी. हालांकि इंग्लैंड और बेल्जियम के रहते हुए ये करना मुश्किल  होने वाला है. पनामा के साथ उनकी भिड़ंत बराबरी की होगी.


सफलता इन स्टारों पर निर्भर

 केविन डी ब्रॉयन (बेल्जियम) - बेल्जियम का ये खिलाड़ी फिलहाल दुनिया के सबसे बेहतरीन मिडफील्डरों में शामिल है. 26 साल के केविन मैनचेस्टर सिटी के लिए खेलते हैं. इस सीजन में केविन ने आठ गोल किए हैं, वहीं 15 गोल के लिए बेहतरीन पास की वजह रहे हैं. लोग उन्हें इस बार बैलन डी' ओर का दावेदार भी मान रहे हैं. केविन के अलावा चेल्सी के खेलने वाले हजार्ड भी टीम के लिए अहम साबित हो सकते हैं.

हैरी केन (इंग्लैंड) - हैरी कैन इंग्लैंड के लिए सबसे बड़ी उम्मीद हैं. हैरी दुनिया के बेहतरीन स्ट्राइकरों में शामिल हैं. टीम का प्लेऑफ में जाना कहीं ना कहीं उन पर ही निर्भर करेगा. साल 2017 में उन्होंने प्रीमियर लीग में 39 गोल करके एक कैलेंडर इयर में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड बनाया था.

जेम पनेदो (पनामा) - ये गोलकीपर टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में हैं. जेम अब तक अपने देश के लिए 130 मैच खेल चुके हैं. क्वालीफिकेशन राउंड में उन्होंने कई बार बेहतरीन सेव करके साबित किया कि  विरोधी टीम को उनके रहते गोल तक पहुंचने में काफी मुश्किल आने वाली है. पहली बार वर्ल्ड कप में खेल रही इस टीम की उम्मीदें उन्ही पर टिकी होंगी.

वहिब खाजरी (ट्यूनीशिया) - ट्यूनीशिया के लिए यूसेफ मसकनी की इंजरी ने टीम को बड़ा झटका दिया. उनके बाहर हो जाने के बाद टीम का दारोमदार संडरलैंड के लिए खेल चुके वाहबी खाजरी पर होगा. टीम को क्वालीफाई कराने में उनकी अहम भूमिका रही थी. ग्रुप स्टेज से टीम को क्वालीफाई कराने के लिए भी उनका प्रदर्शन करना जरूरी होगा.

ग्रुप टीमों का इतिहास

इस ग्रुप में पनामा एकलौती ऐसी टीम है जिसने पहली बार फीफा वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया है. ग्रुप जी की एक अन्य टीम ट्यूनीशिया ने अब तक चार बार फीफा वर्ल्ड के लिए क्वालीफाई किया है. पहली बार 1978 में और आखिरी बार साल 2006 में. हालांकि चारों बार टीम कभी भी ग्रुप स्टेज से आगे नहीं पहुंची है. टीम को वर्ल्ड कप में इकलौती जीत 1978 में अपने पहले मैच में मिली थी. 1966 के बाद से इंग्लैंड की टीम खिताब जीतने में नाकाम रही है. इंग्लैंड टीम 14 बार फीफा वर्ल्ड कप का हिस्सा रही है. 2006 से वह लगातार वर्ल्ड कप का हिस्सा रही है, लेकिन प्लेऑफ में नहीं पहुंच पाई है. अब तक 12 बार वर्ल्ड कप खेल चुकी बेल्जियम की टीम ने पहला वर्ल्ड कप 1930 में खेला था. टीम का सबसे अच्छा प्रदर्शन साल 1986 में था, जब वह सेमीफाइनल में पहुंची थी.

किसके दावों में कितना दम

बेल्जियम की टीम यकीनन इस ग्रुप में सबसे मजबूत टीम है. टीम में इडन हजार्ड और केविन डी ब्रॉयन जैसे खिलाड़ी हैं जो टीम को आसानी से प्लेऑफ में पहुंचा सकते हैं. टीम के अंतरराष्ट्रीय आंकड़े बहुत अच्छे नहीं हैं. इंग्लैंड के खिलाफ अहम मुकाबला खेलने से पहले ये टीम ट्यूनीशिया और पनामा से खेलेगी. उसकी कोशिश होगी कि वो पहले दोनों मुकाबलों में जीत हासिल करके नॉकआउट के लिए अपनी जगह पक्की कर ले.

पनामा ने पहली बार रूस में होने वाले फीफा विश्व कप में प्रवेश किया है. विश्व कप अभियान की शुरुआत पनामा 17 जून को बेल्जियम के खिलाफ होने वाले मैच से करेगा. इंग्लैंड और बेल्जियम के रहते टीम को नॉकआउट में जगह बनाने के लिए कुछ बड़ा करने की जरूरी है. टीम ने क्वालीफाइंग अभियान के दौरान केवल नौ गोल किए थे जो उसके कमजोर अटैक को दिखाता है. टीम के पास कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं है, लेकिन टीम के अधिकतर खिलाड़ी अमेरिका में रहकर एमएलएस में खेलते हैं.

आंकड़ों के आधार पर ये कहना आसान है कि ट्यूनीशिया का प्लेऑफ दौर में पहुंचना बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन फुटबॉल ऐसा खेल है जिसमें कभी भी उलटफेर हो सकता है. 2004 में इस टीम ने अफ्रीकन कप ऑफ नेशंस जीता था, लेकिन उसके बाद से कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की है. टीम के पास वाहबी खजरी के तौर पर अच्छा मिडफील्डर है और साथ ही ऐमन के तौर पर एक बेहतरीन डिफेंडर भी.

इंग्लैंड के पास इस बार एक बेहद ही प्रतिभावान टीम है. टीम के सभी खिलाड़ी प्रीमियर लीग में खेलते है जो उनके खेल के स्तर को दर्शाता है. टीम के सबसे सफल स्कोरर रहे वायने रूनी के रिटायरमेंट के बाद हैरी केन पर अहम जिम्मेदारी होगी. टीम का डिफेंस और मिडफील्ड उतना मजबूत नहीं है, लेकिन अप फ्रंट पर वह बेहद मजबूत दिखती है. हैरी कैन साल 2017 में बेहद सफल रहे थे और उम्मीद है कि वो टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे.