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FIFA WORLD CUP 2018: चैंपियन जर्मनी के सामने होगी मेक्सिको, स्वीडन और साउथ कोरिया की चुनौती

चार बार विश्व कप जीतने वाली जर्मनी को अपना खिताब बरकरार रखने के लिए मेक्सिको और स्वीडन जैसी टीमों की कड़ी चुनौती से निपटना होगा

Sachin Shankar

ग्रुप एफ - जर्मनी, मेक्सिको, स्वीडन और साउथ कोरिया

इस ग्रुप में गत विजेता जर्मनी है. चार बार विश्व कप जीतने वाली जर्मनी को अपना खिताब बरकरार रखने के लिए मेक्सिको और स्वीडन जैसी टीमों की कड़ी चुनौती से निपटना होगा. जर्मनी के अलावा केवल इटली और ब्राजील ही ऐसी टीमें हैं, जिन्होंने लगातार दो बार खिताब जीतने का कमाल कर दिखाया है. साल 2010 और 2014 में हुए विश्व कप से बाहर रही स्वीडन ने इस साल बड़े संघर्ष के बाद फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया और ऐसे में उसका लक्ष्य एक टीम के रूप में अपने पहले विश्व कप खिताब तक पहुंचना होगा. मेक्सिको का शुमार भी दुनिया की टॉप 15 टीमों में होता है. पिछले छह संस्करणों में अंतिम-16 दौर का सफर कर बाहर होने वाली मेक्सिको टीम इस बार क्वार्टर फाइनल में पहुंचने की उम्मीद से फीफा विश्व कप में कदम रखेगी. मेक्सिको ने 32 साल पहले क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी.


मौजूदा विजेता जर्मनी के होते हुए ग्रुप स्तर पर शीर्ष स्थान हासिल कर पाना मेक्सिको के लिए थोड़ा मुश्किल होगा. साउथ कोरिया भी छुपा रुस्तम साबित हो सकता है. वो अपनी मेजबानी में 2002 में सेमीफाइनल तक पहुंचा था. कोरिया का भी दावा है कि वह इस टूर्नामेंट में अलग रणनीति के साथ उतरेगी और इसकी भनक वह किसी अन्य टीम को भी नहीं लगने देगी. इसलिए ग्रुप एफ  आगे निकलने के लिए मुकाबला जोरदार रहने वाला है

सफलता इन स्टारों पर निर्भर

टोनी क्रूस (जर्मनी)- टोनी क्रूस को मौजूदा पीढ़ी के बेहतरीन मिडफील्डरों में से एक माना जाता है. उन्होंने 2014 में जर्मनी को चौथी बार विश्व कप दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई थी. वह बायर्न म्युनिख और रियाल मैड्रिड दोनों के साथ यूइएफए चैंपियंस लीग खिताब जीतने वाली टीम के सदस्य रहे.

टोनी क्रूस (जर्मनी)

जेवियर हर्नांडेज (मेक्सिको)- मेक्सिको की ओर से गोल दागने के मामले में सर्वकालिक नंबर एक खिलाड़ी हैं. ये उनका तीसरा विश्व कप होगा. 2014 में वह फीफा क्लब विश्व कप खिताब जीतने वाली रियाल मैड्रिड टीम के सदस्य थे. 29 वर्षीय जेवियर हर्नांडेज ने 101 मैच खेले हैं और 49 गोल दागे हैं.

मार्कस बर्ज (स्वीडन)- ज्लाटन इब्राहिमोविक के संन्यास के बाद मार्कस बर्ज ने अपनी टीम को उनकी कमी खलने नहीं दी है. कोच जेन एंडरसन की टीम के लिए वह लगातार गोल कर विरोधी टीमों के लिए मुश्किल बने हुए हैं. अल आइन की ओर से खेलने वाले इस स्ट्राइकर ने विश्व कप क्वालीफाइंग अभियान में आठ गोल दागे थे.

की सुंग यंग (साउथ कोरिया) - साउथ कोरिया के कप्तान की सुंग यंग का ये तीसरा विश्व कप होगा. वह इस समय देश के निर्विवाद सबसे अच्छे खिलाड़ी हैं. ये मिडफील्डर तकनीकी रूप से भी काफी दक्ष है. स्वानसी सिटी का ये खिलाड़ी इंग्लिश प्रीमियर लीग में छह सीजन से खेल रहे है. निश्चित तौर पर की सुंग यंग को लगातार विदेशी लीग में खेलने का लाभ विश्व कप में मिलेगा.

ग्रुप की टीमों का इतिहास

जर्मनी की टीम 19वीं बार विश्व कप में खेलने उतरेगी. टीम चार बार चैंपियन बनी है और विश्व कप में आठ फाइनल मुकाबले खेलने वाला अकेला देश है. मेक्सिको की टीम 16वीं बार विश्व कप में खेलने उतरेगी. उसने 1970 और 1986 के विश्व कप में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था, जो उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. स्वीडन भी कोई कम नहीं है. वो 12वीं बार विश्व कप में अपना अभियान शुरू करेगा. स्वीडन ने एक बार 1958 में फाइनल में जगह बनाई थी, तब उसे ब्राजील के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था. साउथ कोरिया का विश्व कप में भाग लेने का ये दसवां मौका होगा. 2002 में उसने अपनी सह मेजबानी में सेमीफाइनल में जगह बनाकर सबको चौंका दिया था. तब उसका अभियान जर्मनी ने थाम दिया था, जो इस बार उसके साथ ग्रुप में ही है.

किसके दावे में कितना दम :

जर्मनी के कोच जोएकिम लोउ 12 सालों से अपनी टीम के साथ है. 57 वर्षीय लोउ 2006 में कोच बने थे. उन्होंने अपने नेतृत्व में टीम को कई सफलताएं दिलाईं और साथ ही 2014 में फीफा का खिताब भी. लोउ ने अपनी टीम में बहुत बदलाव किए हैं और इसी कारण उनकी टीम इतना अच्छा प्रदर्शन कर रही है. जर्मन टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो 2014 विश्व कप का हिस्सा रहे हैं. इनमें मुलर और टोनी क्रूस जैसे कुछ शानदार खिलाड़ी भी शामिल हैं. मुलर इस टीम की रीढ़ हैं जो मैदान में हमेशा एक नई उर्जा के साथ उतरते हैं. वहीं मेसुत ओजिल की अगर बात करें तो वह इस प्रतियोगिता के शानदार खिलाड़ियों में से एक हैं. वहीं गोलकीपर और इस टीम के कप्तान मैनुअल नॉयर अभी हाल ही में चोट से उबरे हैं. 

मेक्सिको को विश्वास है कि वह मिडफील्डर हिर्विंग लोजानो और फारवर्ड कार्लोस वेला के दम पर इस बार अंतिम आठ में प्रवेश कर लेगा. मेक्सिको की सबसे बड़ी कमजोरी उसका मिडफील्ड है. इसके अलावा, उसे फुल बैक में भी अच्छे खिलाड़ियों की जरूरत है, जो मिगुएल लेउन के साथ अच्छी साझेदारी कर खेल सकें. हालांकि, यूरोप में अपने पहले सीजन के साथ ही पीएसवी क्लब में मुख्य खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले इर्विंग और लॉस एंजेलिस क्लब के खिलाड़ी कार्लोस टीम की मजबूती बनकर उभरे हैं.

कार्लोस ने मेक्सिको के साथ 2010 फीफा विश्व कप में भी हिस्सा लिया था. उन्होंने 2005 में फीफा अंडर-17 विश्व कप में गोल्डन बूट पुरस्कार हासिल किया था, लेकिन लोजानो का यह राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के साथ पहला विश्व कप है. इसके अलावा कप्तान आंद्रेस गुआर्डाडो से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.

साउथ कोरिया मुख्य रूप से 4-4-2 के प्रारूप में खेलती है, लेकिन चोटिल होने के कारण कुछ मुख्य खिलाड़ी टीम से बाहर हो गए हैं और ऐसे में कोच शिन ने कहा कि वह विश्व कप में नई रणनीति बनाने के बारे में सोच रहे हैं. 49 वर्षीय कोच शिन ने कहा कि विशेष रूप से स्वीडन के खिलाफ 18 जून को खेले जाने वाले पहले मैच में ही नई रणनीति अपनाने के बारे में सोच रहे हैं. शिन ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट से यह पता चल रहा है कि हम 4-4-2 प्रारूप में खेलेंगे, लेकिन अगर वह इस पर भरोसा करना चाहते है, तो मैं कुछ नहीं कहूंगा. मैं यह जरूर कहूंगा कि हम भी अन्य चीजों की तैयारी कर रहे हैं. हम नई रणनीति के साथ उतर सकते हैं.

स्वीडन की टीम को अपने स्टार खिलाड़ी ज्लाटन इब्राहिमोविक के बगैर ही अपनी वापसी को सार्थक बनाना होगा. स्वीडन की सबसे बड़ी विशेषता है उसकी एकता. इन दिनों उसके ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों के बीच एकता साफ नजर आती है. ऐसे में इस टूर्नामेंट के लिए उसकी यह एकता सबसे बड़ी ताकत है.. टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी और कप्तान आंद्रेस ग्रैंक्विस्ट नेतृत्व के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. विक्टर क्लासन भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की कोशिश करेंगे. एमिल फोर्सबर्ग के अलावा टीम के किसी अन्य खिलाड़ी को स्टार खिलाड़ी के दायरे में शामिल नहीं किया जा सकता. स्वीडन के सेंटर बैक विक्टर लिंडलोफ का मैनचेस्टर युनाइटेड में पदार्पण खराब रहा.

इसके अलावा, एलावेस क्लब में जॉन गुइडेटी और टोलोउसे में ओला टोइवोनेन खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं. टीम के प्रमुख गोलकीपरों में से एक रॉबिन ओल्सन चोटिल हैं. ऐसे में देखा जाए, तो स्वीडन की टीम किस्मत से कोरिया के खिलाफ ग्रुप स्तर पर जीत हासिल कर सकती है, लेकिन जर्मनी और मेक्सिको के खिलाफ उसका जीत हासिल कर पाना असंभव सा है.