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फीफा विश्व कप 2018 :  अर्जेंटीना को तो ग्रुप से निकलने में ही करनी पड़ेगी मशक्कत

मेजबान रूस, ब्राजील और फ्रांस को मिला है आसान ग्रुप

Manoj Chaturvedi

फीफा विश्व कप के 21वें संस्करण की शुरुआत अगले साल 14 जून को रूस में होने जा रही है. यह दुनिया के सबसे बड़े खेल हैं, क्योंकि टेलीविजन पर देखने के मामले में फुटबॉल विश्व कप ओलिंपिक खेलों से भी आगे है. 15 जुलाई तक चलने वाले खेलों के ग्रुप और कार्यक्रम तैयार हो गए हैं. इस विश्व कप में 2014 विश्व कप में खेलीं 20 टीमें फिर से नजर आएंगी. इस बार भाग लेने वाली 32 टीमों में से दो आइसलैंड और पनामा ऐसी टीमें हैं, जो कि पहली बार भाग लेंगी.

हम यदि ग्रुपों पर नजर दौड़ाएं तो मेजबान रूस, ब्राजील और फ्रांस के ग्रुप आसान हैं. इंग्लैंड और स्पेन को ग्रुप में टॉप पर आने के लिए बेल्जियम और पुर्तगाल की तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. पिछली उपविजेता अर्जेंटीना को इस बार ग्रुप ऑफ डेथ मिला है.


अर्जेंटीना को ग्रुप डी में आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया के साथ रखा गया है. अर्जेंटीना का रूस पहुंचने का सफर भी बहुत आकर्षक नहीं रहा है. आखिरी मुकाबले में लियोनेल मेसी की हैट्रिक के सहारे उसने विश्व कप के लिए क्वालिफाई किया है. क्वालिफाइंग चरण में भले ही उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सका पर उसके पास मेसी के अलावा भी कई धुरंधर खिलाड़ी हैं. इस टीम में पाउलो डिबाला, सर्गियो अग्युरे और गोंजाले हिग्वेन जैसे दमदार खिलाड़ी हैं, जो किसी भी मैच का रुख बदल सकते हैं.

छोटा देश, लेकिन दमदार खेल है आइसलैंड का

अर्जेंटीना के ग्रुप में आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया के रूप में ऐसी टीमें हैं, जिन पर दिग्गज टीमों वाला टैग तो नहीं लगा है. लेकिन यह तीनों ही टीमें बहुत ही सक्षम हैं और यह अर्जेंटीना के बढ़ाव को भी थामने की कुव्वत रखती हैं. हम अगर आइसलैंड की बात करें तो लगभग सवा तीन लाख की आबादी वाला यह देश इस विश्व कप में भाग लेने वाला सबसे छोटा देश है. रूस की राजधानी मास्को की ही इससे 40 गुना आबादी है. पर आबादी पर मत जाएं, इसके खेल के आगे अच्छी-अच्छी टीमें पानी भरती हैं. हम पिछले साल की यूरो चैंपियनशिप के प्रदर्शन को देखें तो टीम की क्षमता समझ में आती है. उसने क्रोएशिया, यूक्रेन और तुर्की को हराकर ग्रुप ए में पहला स्थान प्राप्त किया था.

क्रोएशिया के पास मैच का रुख बदलने वाले खिलाड़ी

क्रोएशिया को भले ही क्वालिफाई करने के लिए ग्रीस के साथ प्लेऑफ खेलना पड़ा था. पर उसके पास कई प्रतिभाएं हैं. लुका मोड्रिच उनके स्टार खिलाड़ी हैं. इसके अलावा इवान पेरीसिक, इवान रेकटिक और मारियो जैसे मैच का रुख बदलने वाले खिलाड़ी हैं. वहीं, नाइजीरिया अफ्रीका से सबसे पहले क्वालिफाई करने वाली टीम है. उसने कैमरून, जांबिया और अल्जीरिया को हराकर क्वालिफाई किया था. वह पिछले विश्व कप में अर्जेंटीना से पीछे रहकर ग्रुप में दूसरे स्थान पर रही थी. वह पिछले दिनों मास्को में अर्जेंटीना को हरा चुकी है. इससे एक बात साफ है कि अर्जेंटीना की इस बार राह आसान नहीं है.

चैंपियन जर्मनी को मिला है आसान ग्रुप

पिछली चैंपियन जर्मनी का ग्रुप एफ टफ तो कतई नहीं है. उनके ग्रुप की मेक्सिको, स्वीडन और दक्षिण कोरिया किसी में भी जर्मनी जैसी क्षमता नहीं है. स्वीडन कड़ी मेहनत करने वाली टीम है. जर्मनी को अपने ग्रुप में तो चुनौती मिलने की संभावना न के बराबर है, साथ ही ग्रुप ऑफ 16 में भी उनकी राह आसान रहने वाली है. हां, क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड या बेल्जियम जैसी किसी दिग्गज टीम का सामना करना पड़ सकता है. क्वार्टर फाइनल में जीतने पर स्पेन अथवा पुर्तगाल जैसी टीम का सामना करना पड़ सकता है. इससे यह साफ है कि क्वार्टर फाइनल के आगे की राह आसान नहीं है.

ब्राजील की शुरुआती राह आसान

इसी तरह पिछली बार उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी ब्राजील की शुरुआती राह तो आसान है. उसे स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका और सर्बिया से ग्रुप में पार पाने के लिए ज्यादा दिक्कत का सामना शायद ही करना पड़े. क्वार्टर फाइनल से मुकाबले टफ हो ही जाते हैं.

रूस का ग्रुप से आगे निकलना मुश्किल

मेजबान रूस 14 जून को सऊदी अरब से खेलकर विश्व कप अभियान की शुरुआत करेगा. यह दोनों टीमें विश्व कप में भाग लेने वाली सबसे नीची रैंकिंग की टीमें हैं. लेकिन रूस को उरुग्वे के साथ राउंड ऑफ 16 में स्थान बनाने के लिए मिस्र की चुनौती को तोड़ना होगा. रूस ग्रुप से आगे निकल भी गई तो फिर राउंड ऑफ 16 से निकलना उनके लिए खासा मुश्किल होगा. खिताब की दावेदार के तौर पर उतरने वाली फ्रांस के लिए ड्रॉ अनुकूल ही है. इसमें फ्रांस के ग्रुप विजेता बनने पर शायद ही किसी को शक हो. पर ग्रुप में दूसरे स्थान के लिए डेनमार्क, पेरू और ऑस्ट्रेलिया में कड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है.

इंग्लैंड को मिलेगी बेल्जियम की तगड़ी चुनौती

वहीं, इंग्लैंड को तो ग्रुप जी में विजेता बनने के लिए बेल्जियम की तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. पर दोनों टीमों की नॉकआउट चरण की राह रोकने वाली कोई अन्य टीम नजर नहीं आ रही है. इस बार पनामा और आइसलैंड की टीमें पहली बार विश्व कप में भाग ले रही हैं. दोनों टीमों के पास सुपरस्टार भले ही न हों पर टीम की एकजुटता की वजह से वह किसी का भी खेल बिगाड़ सकती हैं.

एशियाई टीमों की कमजोर दावेदारी

हम एशिया की टीमों की बात करें तो ग्रुप ए में सऊदी अरब, ग्रुप बी में ईरान, ग्रुप एफ में दक्षिण कोरिया और ग्रुप एच में जापान की टीमें भाग ले रही हैं. सऊदी अरब और ईरान तो ऐसी टीमों के बीच फंसी हैं, जिनकी नॉकआउट चरण में पहुंचने की संभावनाएं कमजोर हैं. दक्षिण कोरिया भी पिछली चैंपियन वाले ग्रुप में है, इसलिए उसका आगे बढ़ना आसान नहीं होगा. जापान जरूर पोलैंड, सेनेगल और कोलंबिया के साथ ग्रुप एच में है, वह ग्रुप ऑफ 16 में स्थान बनाने की संभावनाएं बना सकता है.