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फीफा अंडर-17 फुटबॉल विश्वकप : मुकाबले में उतरने के साथ ही इतिहास रच देगी भारतीय टीम

अमेरिका के खिलाफ नतीजे पर नहीं, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर लगी हैं मेजबान टीम की निगाहें

FP Staff

भारतीय फुटबॉल के लिए छह अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक होगा, जब देश पहली बार किसी भी वर्ग में फीफा मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए उतरेगा. आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश के लोगों की ढेरों उम्मीदों और आकांक्षाओं के बीच भारतीय टीम फीफा अंडर-17 फुटबॉल विश्वकप में खेलने उतरेगी. भारतीय टीम का लक्ष्य मजबूत व अनुभवी अमेरिकी टीम के खिलाफ ऊंचे मनोबल और देशवासियों के अपार समर्थन के साथ नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अपने अभियान की शानदार शुरुआत करना होगा.

भारत की जमीन पर पहली बार हो रहे फीफा टूर्नामेंट में दुनिया के 24 देश हिस्सा ले रहे हैं, जो छह से 28 अक्टूबर तक चलने वाले टूर्नामेंट में देश के छह विभिन्न शहरों में मुकाबलों के लिए उतरेंगे. यह पहला मौका है जब भारत किसी भी वर्ग के फीफा विश्वकप फाइनल्स में हिस्सा ले रहा है. भारत को मेजबान होने की हैसियत से टूर्नामेंट में सीधे क्वालीफिकेशन मिला है और यह उसके लिए वैश्विक स्तर का अब तक का सबसे बड़ा टूर्नामेंट है.


कठिन ग्रुप में है मेजबान टीम

अमेरिका, कोलंबिया और दो बार की चैंपियन घाना के साथ कठिन ग्रुप ए में शामिल भारतीय टीम को निश्चित रूप से अगले दौर में पहुंचने के दावेदार के रूप में नहीं देखा जा रहा है. लेकिन टीम के खिलाड़ी जोश से भरे हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ करने के लिए बेताब हैं. इस ग्रुप में अमेरिकी टीम प्रबल दावेदार है जिसके ज्यादातर खिलाड़ी मेजर लीग सॉकर की युवा टीम में खेल चुके हैं और कुछ तो शीर्ष यूरोपीय क्लबों के लिए खेलने के लिए तैयार हैं.

माटोस को खिलाड़ियों पर भरोसा

टीम के मुख्य कोच लुई नार्टन डि माटोस को खिलाड़ियों के साथ तैयारी के लिए केवल आठ महीने का समय मिला है, लेकिन उन्हें अपने खिलाड़ियों से अच्छे प्रदर्शन करने का पूरा भरोसा है. हालांकि वह भी मानते हैं कि अगर टीम किसी भी लीग मैच में नहीं हारती और ड्रॉ भी हासिल कर लेती है तो यह भी उनके लिए अच्छा परिणाम होगा. हालांकि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने मेजबान होने के नाते अपने खिलाड़ियों की तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर मुहैया कराया है, जिसमें यूरोप का ट्रेनिंग दौरा और मेक्सिको में टूर्नामेंट शामिल हैं.

पूर्व खिलाड़ियों को भी इस टूर्नामेंट से काफी उम्मीद 

महासंघ के साथ ही कुछ पूर्व खिलाड़ियों को भी इस टूर्नामेंट से काफी उम्मीद है. वे मानते हैं कि भारतीय टीम फिर से 1950 और 1960 के दशक जैसी मजबूत बन सकची है. अंडर- 17 विश्व कप की मेजबानी से निश्चित रूप से बड़े टूर्नामेंट के आयोजन के रास्ते भी खुल जाएंगे, जिसमें अंडर-20 फीफा विश्व कप टूर्नामेंट शामिल है जिसके लिए भारत ने 2019 संस्करण के लिए बोली लगाई है.

बिना किसी दबाव के खेलें खिलाड़ी

कोच डि माटोस चाहते हैं कि खिलाड़ी बिना किसी दबाव के प्रतिस्पर्धी होकर खेलें और गोल का कोई मौका नहीं गंवाएं. उन्होंने अमेरिका के खिलाफ मुकाबले के बारे में कहा, 'उनका आक्रमण काफी मजबूत है और हमें डिफेंस में मजबूत होना होगा.' वहीं, अमेरिका के मुख्य कोच जान हैकवर्थ ने भारत को हल्के में लेने से इन्कार करते हुए कहा, 'हम पहले एक बार भारत के खिलाफ खेल चुके हैं और उनके खिलाफ सफल रहे थे. लेकिन वो विश्व कप का शुरुआती मैच नहीं था और वे विश्व कप की मेजबानी भी नहीं कर रहे थे. उन्हें काफी घरेलू समर्थन मिलेगा.' पिछले साल ब्रिक्स चैंपियनिशप में ब्राजील के खिलाफ शानदार गोल करने वाले मिडफील्डर कोमल थाटल की कोशिश वैसा ही प्रदर्शन करने पर लगी हैं जिनका मानना है कि टीम के खिलाड़ी मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से तैयार हैं.

घरेलू दर्शकों का मिलेगा समर्थन

उद्घाटन मैच का हाउस फुल होना तय हो चुका है. ऐसे में घरेलू दर्शकों के समर्थन के बीच भारत के पास अपने पहले मैच में ही उलटफेर भरा नतीजा देने का सुनहरा अवसर होगा. अमेरिका के सामने लंबे सफर की थकान से उबरने और उपमहाद्वीपिय मौसम में खुद को ढालने की चुनौती भी होगी. अमेरिका के संभलने के पहले यदि भारत वार करने में सफल रहा, यानी शुरुआती मिनटों में ही गोल करने में सफल रहा तो एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले इस देश का अगला राउंड लगभग तय हो जाएगा. अगर भारत ने ड्रॉ भी खेल लिया तो भी उम्मीदों की डोर टूटेगी नहीं.

अमेरिका के पास अनुभव का अपार भंडार

अमेरिकी टीम ने फीफा अंडर-17 विश्वकप के कुल 16 संस्करणों में से 15 में हिस्सा लिया है. अमेरिका ने अब तक केवल 2013 में एक बार इस वर्ग के फीफा टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है. इस लिहाज से वह मेजबान टीम के सामने न सिर्फ काफी मजबूत होगी, बल्कि उसके पास विश्वकप का अपार अनुभव भी है. इसके अलावा अमेरिकी टीम के 21 में से 12 खिलाड़ी दुनिया के बड़े फुटबॉल लीग क्लबों की ओर से भी खेलते हैं.

कौन बनाएगा नॉकआउट चरण में जगह

 प्रत्येक ग्रुप में शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें और ग्रुप में तीसरे स्थान पर रहने वाली सर्वश्रेष्ठ चार टीमें नॉकआउट चरण में जगह बनाएंगी. यानी भारत अपने ग्रुप में तीसरे स्थान पर भी रहता है तो भी वो अगले दौर में जगह बना सकता है. टूर्नामेंट में तीन बार की चैंपियन ब्राजील, यूरोपीय विजेता स्पेन और मेक्सिको ट्रॉफी जीतने की प्रबल दावेदार हैं, जबकि दो बार की चैंपियन घाना, जर्मनी, इंग्लैंड और अमेरिका भी अपने प्रदर्शन से हैरान कर सकती हैं.

भारत मेजबानी करने वाला पांचवां एशियाई देश

चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त अरब अमीरात के बाद भारत पांचवां एशियाई देश है जो 1985 से शुरू हुए इस टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है.