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फीफा अंडर-17 विश्व कप : जर्मनी और कोलंबिया के बीच रोमांचक मुकाबले की उम्मीद

प्रीक्वार्टर फाइनल में अहम साबित होगी दोनों टीमों के गोलकीपर की भूमिका

FP Staff

फुटबॉल की प्रतिभा खोजने वाले बड़े टूर्नामेंट में जर्मनी की टीम का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय स्तर की अपनी ख्याति के अनुरूप नहीं रहा है. लेकिन सोमवार को जब वो नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में फीफा अंडर-17 विश्व कप के पहले प्रीक्वार्टर फाइनल में कोलंबिया से भिड़ेगी तो उसकी कोशिश अपनी इस छवि में सुधार करने की रहेगी.

हालांकि इसके लिए जर्मनी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा जिसमें फिर से लैटिन अमेरिकी और यूरोपीय कौशल की फुटबॉल देखने को मिलेगी. इसमें गोलकीपर की भूमिका अहम साबित होगी, क्योंकि दोनों ही टीमों के इस मानसिकता के साथ मैदान में उतरने की उम्मीद है कि एक दूसरे के आक्रमण को ध्वस्त किया जाए.


दोनों टीम के खिलाड़ियों के स्तर, अनुभव और जानकारी को देखते हुए मैदान पर दर्शकों को एक कड़ा मुकाबला देखने की उम्मीद है. दोनों ही टीमों का डिफेंस काफी मजबूत और भरोसेमंद हैं जिससे फारवर्ड लाइन थोड़ी आक्रामक रणनीति अपनाकर विपक्षी टीम पर दबाव डालने का प्रयास करेगी. इस टूर्नामेंट में दोनों ही टीमें मुकाबले दर मुकाबले बेहतर हुई हैं जिससे यूरोपीय टीम और दक्षिण अमेरिकी टीम के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा.

चार बार की विश्व चैंपियन और लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में दबदबा बनाए रखने वाली जर्मनी का रिकॉर्ड इस टूर्नामेंट में इतना शानदार नहीं है. उन्होंने चार बार टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में प्रवेश किया है और किसी अन्य यूरोपीय टीम की तुलना में कहीं ज्यादा 44 मैच खेले हैं. जर्मनी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1985 में किया था जब वह उपविजेता रहा था.

अपने 10वें फाइनल्स में खेल रही जर्मनी की टीम निश्चित रूप से इस बार कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहेगी. जर्मनी ने ईरान से (टूर्नामेंट का सबसे बड़ा उलटफेर) मिली हार के बाद शानदार वापसी की और वह निश्चित रूप से अंतिम-16 में अपने मौके का फायदा उठाना चाहेंगे.

इसमें कोई शक नहीं है कि कोलंबियाई टीम दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े फुटबॉल देशों में से एक है, लेकिन उसने कभी भी विश्व कप नहीं जीता है. यह कोलंबिया का छठा फाइनल्स है और अभी तक उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2009 में था जब वे सेमीफाइनल में स्पेन से 0-1 से हारकर तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्होंने जिस तरह से प्रत्येक मुकाबले में सुधार किया है, उससे ऐसा लगता है कि वह इस बार खिताब के सूखे को समाप्त करना चाहेगी.

आत्मविश्वास से भरी पराग्वे का सामना अमेरिका से

आत्मविश्वास से भरी पराग्वे की टीम सोमवार को जब नई दिल्ली में प्रीक्वार्टर फाइनल मुकाबले में अमेरिका से भिड़ेगी तो उसकी कोशिश होगी कि वह मौकों का पूरा फायदा उठाए. पराग्वे सभी मैच जीतकर राउंड-16 में प्रवेश करके आत्मविश्वास से भरी है. उसने तीन राउंड रॉबिन मैचों में उसने 10 गोल कर शानदार प्रदर्शन किया और स्पष्ट कर दिया कि इस दक्षिण अमेरिकी टीम में काफी अच्छे खिलाड़ी हैं.

न्यूजीलैंड के खिलाफ जहां उन्होंने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए अपनी मानसिक मजबूती दिखाई तो तुर्की और माली के खिलाफ टीम काफी आक्रामक रही. पराग्वे इस बात से वाकिफ है कि अमेरिकी टीम कोलंबिया से हारने के बाद टूर्नामेंट में सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकती है. अमेरिका ने मेजबान भारत को 3-0 से हराकर अपने अभियान की शानदार शुरुआत की और फिर एक दिलचस्प मुकाबले में दो बार की चैंपियन घाना को हरा दिया. हालांकि उन्हें कोलंबियाई टीम से शिकस्त का मुंह देखना पड़ा था जो दक्षिण अमेरिकी टीम के लिए करो या मरो का मैच था.

पराग्वे ने अभी तक टूर्नामेंट में जिस तरह का प्रदर्शन किया है उसे देखते हुए अमेरिकी टीम को निश्चित रूप से कड़ी चुनौती मिलेगी. अमेरिकी टीम उम्मीद करेगी कि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में उसका स्टार स्ट्राइकर अैर वर्डर ब्रेमेन क्लब के जोस सारजेंट आक्रामक प्रदर्शन करे और उनके अटलांटा यूनाईटेड के एंड्रयू कार्लटन के रूप में जोड़ीदार मिलने की उम्मीद है. अमेरिका के पास हालांकि अकी अकिनोला और टिमोथी वियाह भी अच्छे विकल्प हैं.

सीनियर टीम के 2018 विश्व कप की दौड़ से बाहर होने के बाद देश में प्रशंसक उम्मीद करेंगे कि उनके युवा खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और देशवासियों को खुशी का मौका प्रदान करें इसलिए दबाव अमेरिका पर ही होगा. सारजेंट जहां आगे की पंक्ति में सफल रहे हैं तो न्यूयार्क सिटी के एफसी मिडफील्डर जेम्स सैंड्स ने सेंट्रल डिफेंस में जिम्मेदारी अच्छी तरह निभाई थी, क्योंकि अमेरिकी टीम ने केवल तीन ही गोल गंवाए हैं और तीनों कोलंबिया के खिलाफ ही. डीसी यूनाईटेड के क्रिस डर्किन भी अच्छी फॉर्म में हैं.