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FIFA World Cup 2018: मां के हाथ से पानी मिला दूध पीने वाला दे रहा है रोनाल्डो को टक्कर

बेल्जियम के रोमेलु लुकाकु अब तक चार गोल दाग चुके है, ट्यूनीशिया के खिलाफ मुकबले में रैफरी को पेनल्टी देने से रोक कर पेश की खेल भावना की मिसाल

FP Staff

फीफा वर्ल्ड कप जैसे-जैसे अपन शबाब पर पहुंचता जा रहा है वैसे-वैसे इस टूर्नामेंट में शामिल टीमों और खिलाड़ियों के कई ऐसे पहलू सामने आ रहे हैं जिनके बारे में जानकर फैंस चौंक रहे हैं. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं बेल्जियम के स्ट्राइकर रोमेलु लुकाकु.

शनिवार को ट्यूनीशिया के खिलाफ बेल्जियम के मुकाबले में एक बेहद अचरज भरा नजारा देखने को मिला. आम तौर पर वर्ल्ड कप जैसे मुकाबले में जहां हर स्ट्राइक की कोशिश किसी भी तरह से गोल दाग कर अपनी टीम को जिताने और अपने गोलों की टेली को बढ़ाने की होती है वहीं लुकाकु ने एक ऐसी नजीर पेश की है जिसकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती.


VAR टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बाद अब फॉरवर्ड खिलाड़ी पेनल्टी किक हासिल करने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते हैं वहीं लुकाकु ने मैच के दौरान रेफरी को पेनल्टी देने से रोक दिया. ट्यूनिशिया के बॉक्स में गोलकीपर ने लोकाकु को गिरा दिया. लुकाकु तुरंत उठे और उन्होंने रैफरी को इशारा किया यह पेनल्टी देने के लिए फिट केस नहीं है. लोकाकु की इस खेल भावना को सोशल मीडया पर जमकर सराहा गया.

अगर उन्हें यह पेनल्टी मिली होती और वह गोल में तब्दील हुई होती तो लुकाकु इस वक्त फीफा वर्ल्ड कप 2018 में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बन गए होते.

ट्यूनीशिया के खिलाफ दो गोल दागने वाले लुकाकु अब तक दो मुकाबलों में चार गोल दाग कर  गोल्डन बूट की दावेदारी में बने हुए हैं. इंग्लैंड के हैरी केन पांच गोल दागकर पहले नंबर पर है.

बेहद मुफलिसी में बीता है लुकाकु का बचपन

रोनाल्डो जैसे बड़े खिलाड़ी को टक्कर देने वाले इस खिलाड़ी का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल रहा है. लुकाकु ने का बचपन इस कदर मुफलिसी में बीता है कि उनकी मां उन्हें दूध में पानी मिला कर पिलाया करती थी. उस वक्त 6 साल के रहे लुकाकु जब अपनी मां की मजबूरी को देखा तो उसी वक्त फुटबॉलर बनने की ठान ली.

आखिर क्यों मैदान पर गुस्से में रहते है लुकाकु!

घर में बसे चूहे, घर में केबल कनेक्शन न होने के चलते चैंपियंस लीग ना देख पाना या फिर बाकी बच्चों के पैरैंट्स का उनके प्रति घृणा का रवैया जैसी कई वजहें थीं जो मैदान पर उन्हें गुस्से में खेलने के के लिए मजबूर करती थीं. 12 साल की उम्र में लुकाकु ने 34 मुकाबलों में 76 गोल दाग दिए.

लुकाकु को याद है कि 2002 में उनके जूतों में हुए छेद को सिलवाने तक के पैसे नहीं थे लेकिन अज वह वर्ल्ड कप खेल रहे हैं . 25 साल के लुकाकु का संघर्ष अब भी खत्म नहीं हुआ है. उनके देश बेल्जियम के ही कई लोग उनकी अलग नस्ल के चलते फनसे नफरत करत है . खुद उनका मानना है कि जब चेल्सी के लिए खेलते हुए नाकाम हो रहे थे तब बेल्जियम के कई लोग उनका मजाक उड़ाते थे. यही मजाक अब भी फील्ड पर लुकाकु के गुस्से की वजह बना हुआ जिसने उन्हें गोल करने की मशीन में तब्दील कर दिया है. उनका सबसे बड़ा सपना अपने देश को वर्ल्ड चैंपियन बनाना है.

बेल्जियम की टीम पिछले वर्ल्ड कप और यूरो में क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी है और इस बार लुकाकु उसे दुनिया पर छाने के लिए तैयार कर रहे हैं. हर मुकाबले में दो गोल की जिस दर से वह गोल दाग रहे हैं उसके हिसाब से वह 2002 के वर्ल्ड कप में ब्राजील के खिलाड़ी रोनाल्डो  के 8 गोल के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकते हैं.