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भारत-इंग्लैंड दूसरा वनडे: 'मार्गदर्शक मंडल' के माही-युवी का स्पेशल शो

छह साल बाद शतक जमाया युवराज ने, तीन साल बाद धोनी ने

Shailesh Chaturvedi

वो 20 मार्च 2011 था. चेन्नई का एमए चिदंबरम स्टेडियम था. वर्ल्ड कप का मैच था वेस्ट इंडीज के खिलाफ. युवराज सिंह ने 113 रन बनाए थे. युवी मैन ऑफ द मैच बने थे. यही वो मौका था, जब उनके मुंह से खून निकला था. युवराज और पूरी टीम को लगा था कि डीहाइड्रेशन से जुड़ा कोई मामला है. उसके बाद युवराज ने टेस्ट कराए. पता चला कि कैंसर है. अप्रैल 2011 के बाद करीब वो डेढ़ साल तक नहीं खेले.

अब तारीख 19 जनवरी है. साल 2017 आ गया है. करीब छह साल बीत गए हैं. इस बीच आपका दिल 245.7 मिलियन बार धड़क चुका है. 61.4 मिलियन बार हमारी पलकें झपक चुकी हैं. 26 खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए वनडे में आगाज कर चुके हैं. डॉलर के मुकाबले रुपया पचास फीसदी से ज्यादा गिर चुका है. यानी दुनिया बदल चुकी है.


युवराज मैदान पर धीमे हो गए हैं. अब वो उस जमाने के ‘इलेक्ट्रिक’ फील्डर नहीं रहे, जो पॉइंट में किसी गेंद को पीछे नहीं जाने देता था. विकेटों के बीच दौड़ धीमी पड़ गई है. कई बार टीम से बाहर रह चुके हैं. छह साल बाद उन्होंने फिर शतक जमाया है. कैंसर से वापसी, फॉर्म में वापसी और उसके बाद यह शतक. युवराज की ये पारी बहुत कुछ कहती है.

तभी मैच के बाद जब उन्होंने इंटरव्यू दिया, तो पहली बात कही कि शायद ये मेरी बेस्ट पारी है. उन्होंने याद किया कि पिछला शतक उन्होंने 2011 वर्ल्ड कप में लगाया था. जाहिर है, छह साल बाद शतक जमाना किसी के लिए भी खास होगा. युवराज तो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कैंसर से लेकर करियर खत्म होने की सारी आशंकाओं के बाद ये वापसी की है.

उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ मैदानी शॉट खेलना चाहता था. जोखिम नहीं लेना चाहता था. मैं घरेलू सीजन में अच्छी तरह हिट कर रहा था.’ उन्होंने पांच खिलाड़ियों के नियम का पूरी तरह फायदा उठाया. 98 गेंद में युवराज का शतक पूरा हुआ. वनडे में 14वां शतक उन्होंने लगाया. अपने करियर बेस्ट 144 को उन्होंने पार किया. महेंद्र सिंह धोनी के साथ 200 से ज्यादा, बल्कि 256 रन की साझेदारी की.

ऐसी पारी के बाद आखिर कैसे ट्विटर दुनिया खामोश रह जाती. उन्हें लेकर एक के बाद एक ट्वीट किए जाते रहे. युवी की इस पारी की एक और खास बात रही धोनी के साथ साझेदारी. धोनी ने जिस तरह अपनी पारी को आगे बढ़ाया, वो उनकी क्रिकेटिंग समझ को एक बार फिर दिखाने वाला था.

धोनी ने लगातार युवराज का साथ दिया. उन्होंने युवराज को ज्यादा से ज्यादा खेलने का मौका दिया. बड़े आराम से वह पचास तक पहुंचे. 68 गेंद में उन्होंने अर्ध शतक जमाया. यहां से अपना गियर बदला. अगली 38 गेंदों में पचास रन और जोड़कर 106 गेंदों में शतक पूरा किया. अगली 16 गेंदों पर उन्होंने 34 रन और जोड़ दिए.

जब युवराज सिंह की वापसी हुई थी, तो तमाम लोगों ने कहा था कि धोनी की कप्तानी जाने की वजह से उनकी वापसी हुई है. यहां तक कि युवराज के पिता योगराज सिंह ने भी यह बात कही. युवराज ने अपनी पारी के बाद कहा, ‘धोनी टीम इंडिया के लिए बेहतरीन कप्तान रहे हैं. अब जब वो कप्तान नहीं हैं, ज्यादा खुलकर बल्लेबाजी कर सकते हैं. वही उन्होंने किया.’

इस पारी ने दिखाया है कि अनुभव का क्या मतलब होता है. दो ऐसे खिलाड़ी, जिन्हें कुछ लोग ‘मार्गदर्शक मंडल’ में भेजने लायक मानने लगे थे. उन्होंने वाकई टीम इंडिया का मार्गदर्शन किया. धोनी ने भी अक्टूबर 2013 के बाद पहला शतक जमाया है. उम्मीद की जाए कि कप्तानी का दबाव खत्म होने के बाद कुछ और शतक दिखाई देंगे.