भारतीय टीम के सिक्सर किंग युवराज सिंह की बुधवार से शुरू हो रही विजय हजारे ट्रॉफी में काफी लंबे समय बाद टीम में वापसी हुई और अब उनकी नजर इस मौके को भुनाते हुए अगले साल होने वाले विश्व कप पर टिकी हुई हैं. 304 वनडे खेल चुके युवराज ने पिछली बार मैच साल 2017 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था. जाहिर तौर पर युवराज के लिए यह एक अच्छी खबर है और खास बात है कि सिक्सर किंग बने हुए आज उन्हें 11 साल हो गए हैं और कुछ एक दिन पहले ही उनकी टीम में वापसी हो गई.
आज से ठीक 11 साल पहले यानी 2007 में पहले टी20 वर्ल्ड कप में युवराज ने ऐसी पारी खेली की, जिसे आज भी याद किया जाता है. भारत का मुकाबला इंग्लैंड से था और उसे जीत के लिए 16 गेंदों पर 58 रन की जरूरत थी. लक्ष्य दिखने में काफी बड़ा लग रहा था. भारतीय खेमे मं निराशा छाई हुई थी, तभी युवराज ने जो किया और किसी चमत्कार के कम कतई कम नहीं था. अटैक में स्टुअर्ट ब्रॉड थे और स्ट्राकर में युवराज सिंह थे. पहली गेंद पर उन्होंने हाथ खोला और गेंद को बाउंड्री पारी पहुंचा दिया, इसके बड़े शॉट के साथ भारतीय खेमे में और प्रशंसकों को एक उम्मीद दिखाई देने लगी थी और अगली पांच गेंदों में तो युवराज ने भारत की जीत लगभग तय ही कर दी थी. ब्रॉड के इस ओवर की सभी गेंदों को उन्होंने बाउंड्री पार पहुंचाकर एक ओवर में 36 रन जोड़ने के साथ ही टी 20 में सबसे तेज अर्धशतक बनाने वाले खिलाड़ी भी बने, जिसे रिकॉर्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया. युवराज ने 12 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया था.
वैसे युवराज की इस यादगार पारी और उसी समय इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखने वाले ब्रॉड की ऐसी धुनीई में इंग्लैंड के ही फ्लिंटॉफ का हाथ था. दरअसल मैच में शांति बनी हुई थी, लेकिन जैसे ही फ्लिंटॉफ ने युवराज को छेड़ा, तो युवी ने अपना आपा खो दिया और उसका गुस्सा ब्रॉड की गेंदों पर निकला. दरअसल फ्लिंटाफ की रणनीति युवराज को उकसाकर उसका फायदा उनके विकेट के तौर पर थी, लेकिन उनका दांव उलटा पड़ गया.