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पेसर ही क्यों, विश्व कप चाहिए तो इस ‘रन-मशीन’ को आईपीएल में बेलगाम चलने से रोको

बतौर बल्लेबाज विराट पर वर्कलोड परेशान कर देने वाला है. इस साल अब तक विराट टेस्ट, वनडे, टी-20 और आईपीएल के 55 मैच खेल चुके हैं. इन मैचों में उन्होंने 3485 गेंदों यानी 580 ओवर बल्लेबाजी की है

Jasvinder Sidhu

ऐसी खबर है कि भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अगले साल मई-जून में होने वाले आईसीसी विश्व कप के मद्देनजर तेज गेंदबाजों को आईपीएल से दूर रखने की सलाह दी है. यह विचार इन दिनों भारतीय बोर्ड को चला रही सुप्रीम कोर्ट की प्रशासन समिति के सामने रखा गया है.

विराट की इस सोच की जितनी तारीफ की जाए कम है. समिति अगर उनकी इस मांग को स्वीकार कर लेती है, तो इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप में टीम इंडिया की संभावनाएं मजबूत होंगी. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या वर्ल्ड कप को देखते हुए सिर्फ तेज गेंदबाजों को ही थकावट से बचाने के लिए आईपीएल से दूर रखने की जरूरत है?


इन दो सालों में कप्तान कोहली की फॉर्म ने टीम इंडिया को लगातार रन दिए हैं और उनका बल्ला वनडे में टीम की जीत की गारंटी भी नजर आता है. शायद यही कारण है कि अखबारों की हेडलाइनों में उन्हें ‘वन मैन आर्मी’ और ‘रन- मशीन’ जैसी संज्ञाएं दी जा रही हैं.

लेकिन एक खतरा है. पिछले दो साल से जिस तरह से वह लगातार खेल रहे हैं या यूं कहिए कि टीम में अकेले ही खेल रहे हैं, उन्हें भी आईपीएल से छुट्टी लेनी चाहिए ताकि वह पूरी ताजगी के साथ भारत की विश्व कप में संभावनाओं को मजबूत कर सकें.

बतौर बल्लेबाज विराट पर वर्क लोड परेशान कर देने वाला है. इस साल अब तक विराट हर फार्मेट (टेस्ट, वनडे, टी-20 और आईपीएल) के 55 मैच खेल चुके हैं. इन मैचों में उन्होंने 3485 गेंदों यानी 580 ओवर बल्लेबाजी की है.

पिछले साल के आंकड़ें जोड़ दें तो वह 1132 से ज्यादा ओवर तक क्रीज पर रहे. फील्डिंग, कप्तानी  और मैचों के लिए लगातार यात्राएं कीं. इसके अलावा उन्होंने 2017-2018 में अब तक मैराथन बल्लेबाजी से नौ शतक भी मारे हैं.

इस साल अब तक 14 वनडे, 20 टेस्ट, सात टी-20 और 14 आईपीएल के मैच खेल चुके हैं. टीम के बाकी सदस्य इन आंकड़ों के आस-पास भी नहीं हैं. खुदा की रहमत है कि उनकी फिटनेस जबरदस्त है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि शरीर कभी धोखा नहीं देगा.

राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान स्थापित किए गए सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स मेडिसन सेंटर के निदेशक दीपक चौधरी बताते हैं कि शरीर के ज्यादा इस्तेमाल से खिलाड़ियों का चोटिल होना सामान्य बात है. क्योंकि अगर जिस्म का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है तो विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में फिर से उतरने के लिए मसल्स की रिकवरी होना बहुत जरूरी है. शरीर के मसल ठीक से रिकवर न होने की स्थिति में खिलाड़ी के चोटिल होने का पूरे चांस हैं.

असल में इन सब में आईपीएल फॉर्मेट शरीर को तोड़ देने वाला है. कल्पना कीजिए कि एक खिलाड़ी की, जिसे अल-सुबह एक-दो बजे मैच खत्म करने के बाद अगले मुकाबले की लिए सुबह फ्लाइट पकड़नी हो और 15-20 घंटे बाद वह फिर मैदान पर हो.

पूरे डेढ़ महीने एक से दूसरे शहर, घर से दूर होटल-दर-होटल, बाहर का खाना, यह सब ऐसा है जो किसी को भी जिस्मानी, दिमागी और भावनात्मक तौर पर तोड़ देता है. जाहिर है कि इन्हीं संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए विराट ने तेज गेंदबाजों को अगले आईपीएल से बाहर रखने का सुझाव दिया है.

खुद विराट इस समय सबसे ज्यादा बोझ उठाए हुए हैं और विश्व कप से पहले उन्हें लेकर चिंता लाजिमी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि विराट जैसे क्रिकेटर को बचाने के लिए प्रशासक समिति खुद उन्हें आईपीएल से बाहर बैठ विश्व कप के लिए जिस्म को तैयार रखने को कहेगी. क्योंकि विश्व कप में उनका बल्ला सबसे  ज्यादा जीत की संभावना की राह दिखा सकता है.