2017 खत्म होने को है और यह साल क्रिकेट के लिहाज से यादगार रहेगा. भारतीय टीम ने इस साल सभी फॉरमेट में यानी टेस्ट, वनडे और टी-20 के 53 मैच खेले. इसमें वह 37 जीती और सिर्फ 12 हारी.
यह खबर क्रिकेट प्रेमियों को उत्साहित कर सकती है. लेकिन लगता है कि सरकार में इसे लेकर कोई जोश नहीं है. असल में सरकारी कागजों में भारतीय क्रिकेट टीम की उपलब्धियों के कोई मायने ही नहीं दिखाई देते.
अभी चार दिन पहले की ही बात है. लोकसभा सांसद मोहम्मद सलीम ने सवाल (नंबर 1096) कर सरकार से गुजारिश करके कहा कि सदन को पिछले पांच साल में अंतरराष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में शानदार उपलब्धियां हासिल करने वाली राष्ट्रीय टीमों और व्यक्तिगत खिलाड़ियों की जानकारी दी जाए.
खेल मंत्री और ओलंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन राठौड़ ने जवाब दिया कि बतौर राष्ट्रीय टीम व व्यक्तिगत स्तर पर पिछले पांच सालों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, कुश्ती, एथलेटिक्स, पैरा एथलेटिक्स, हॉकी, तीरंदाजी, जिमनास्टिक, बिलियर्ड्स-स्नूकर, वेटलिफ्टिंग, स्क्वॉश, कबड्डी और टेनिस में भारत ने सराहनीय परिणाम हासिल किए हैं.
साफ है कि सरकार की इस लिस्ट में क्रिकेट का नाम नहीं है. वैसे क्रिकेट टीमों ने बुरा नहीं किया है. विराट कोहली की टीम इस समय आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन और वनडे व टी-20 में दूसरे स्थान पर है. पिछले साल टीम ने एशिया कप टी-20 भी जीता है. महिला टीम जुलाई में इंग्लैंड के हाथों सिर्फ नौ रन से लॉर्डस में विश्व कप का फाइनल हारी थी.
आखिर किसकी है टीम इंडिया!
पहली नजर में खेल मंत्री के जवाब से लगता है कि उनका क्रिकेट को शामिल न करने को लेकर कुछ तकनीकी कारण रहा होगा. मसलन, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि विराट कोहली की टीम देश की टीम है या बीसीसीआई की.
बीसीसीआई का कहना है कि यह उसकी टीम है. सरकार संसद में कई बार लाचारी से स्वीकार कर चुकी है कि बीसीसीआई भारत सरकार या भारतीय ओलिंपिक संघ से पंजीकृत खेल संस्था नहीं हैं.
सरकार का कहना है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल बीसीसीआई को ही भारत में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था मानती है. इसलिए वह उसे बिना कोई सरकारी पैसा दिए देश का क्रिकेट चलाने दे रही है. लेकिन यह कब तक चलेगा?
समय आ गया है कि सरकार को तय करना होगा की क्रिकेट टीम देश की टीम है या नहीं! देश के नाम का इस्तेमाल हो रहा है. मैचों के पहले राष्ट्रगान बज रहा है. देश का मुखिया कप्तान की शादी में भी शिरकत कर रहा है. एक क्रिकेटर बतौर भारत रत्न राज्य सभा में भी है और सैकड़ों क्रिकेटरों के घरों के शोकेस में अर्जुन अवॉर्ड और खेल रत्न शोभा बढ़ा रहे हैं. ये सब कुछ हो रहा है लेकिन देश में क्रिकेट की आधिकारिक स्थिति क्या है, किसी को अंदाजा ही नहीं है.
साफ है कि अगर सरकार क्रिकेट टीम को एक निजी टीम मानती है तो उसका इस खेल का जिक्र न करना सही फैसला है. लेकिन अगर क्रिकेट टीम को मान- सम्मान के अलावा देश का नाम इस्तेमाल करने दिया जा रहा है तो फैसला करना जरूरी है कि इसे भारत की टीम माना जाए या नहीं!