वेस्टइंडीज के खिलाफ जब तीन मैचों की टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा की गई थी तो हर कोई टीम में महेन्द्र सिंह धोनी का नाम न देखकर हैरान जरूर हुआ था. धोनी की जगह युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को टीम में शामिल किया गया था. कहा जा रहा था कि पंत ही भारत का भविष्य है और अब उन्हें तैयार करने की जरूरत है, जिसके लिए जरूरी है कि वो ज्यादा से ज्यादा मैच खेले. कप्तान विराट कोहली ने भी साफ किया था कि धोनी टी20 में पंत के लिए जगह बनाना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ टी20 में नहीं खेलने का फैसला लिया.
वो दिन भी आ गया, जब अपने देश में पहली बार टीम इंडिया धोनी के बिना मैदान पर उतरी. कोलकाता के ईडन गार्डन पर दोनों कप्तान टॉस के लिए उतरे. टॉस होने के बाद रोहित शर्मा ने अंतिम एकादश की लिस्ट थमाई. इसमें पंत को विकेटकीपिंग के पीछे की जिम्मेदारी, जबकि दिनेश कार्तिक को बतौर बल्लेबाज शामिल किया था. लेकिन जब टीम फील्डिंग करने उतरी तो ग्लव्ज दिनेश कार्तिक के हाथों में थे और पहले मैच में कार्तिक ने विकेटकीपिंग की.
- इसके बाद से हर किसी के मन में एक सवाल बार बार उठ रहा है. दोनों में से भारत का भविष्य कौन है, दिनेश कार्तिक या पंत?
- धोनी ने किसके लिए जगह खाली की?
- क्या कार्तिक भारत का भविष्य बनने में सक्षम हैं?
- एक सबसे बड़ा सवाल तो यह है टेस्ट क्रिकेट में जब टीम ने उन पर भरोसा दिखाकर उन्हें विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी थी तो वेस्टइंडीज जैसी टीम के खिलाफ टी20 मैच में उनका वहीं भरोसा कहां गया था?
- बीसीसीआई को आखिर ऐसा क्यो लगा कि तीनों फॉर्मेट में तीन अलग-अलग विकेटकीपर होने चाहिए?
- जब टीम में विकेटकीपर पंत को शामिल किया गया है तो विकेटकीपिंग क्यों नहीं करवाई गई?
- अगर पंत बतौर बल्लेबाज मैदान पर उतर सकते हैं तो क्या कार्तिक को बतौर बल्लेबाज नहीं उतारा जा सकता?
- सवालों की इस लंबी सूची में एक सवाल और है, क्या हकीकत में टेस्ट की तुलना में टी20 में विकेटकीपिंग करना मुश्किल है?
वेस्टइंडीज और इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट भले ही पंत ने विकेट के पीछे रहते हुए काफी गलतियां की, लेकिन यह गलतियां तभी तो सुधरेंगी, जब वह ज्यादा से ज्यादा मैच खेलेंगे. इंग्लैंड दौरे पर पंत ने द ओवल में दोनों पारियों में कुल 5 कैच लिए और साथ ही शतक सहित 119 रन भी बनाए. इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में भले ही पंत का बल्ला नहीं चला, लेकिन विकेटकीपिंग में काफी कोशिश की और 3 कैच लिए. नॉटिघंम टेस्ट में तो पंत ने 7 कैच लिए थे. बात अगर वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज की करें तो पहले मैच में 92 रन, एक कैच और दो स्टंप किया. दूसरे मैच में 92 रन और 4 कैच लपके. बात यहां यह उठती है कि क्या उनका यह प्रदर्शन टी20 के लायक नहीं था. पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने भी मैच के बाद कहा था कि दिनेश कार्तिक की तुलना में ऋषभ पंत बेहतर विकेटकीपर है और टीम प्रबंधन को आगामी मैचों में उसे विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में टेस्ट मैचों में विकेटकीपिंग करने में सक्षम है तो टी20 में क्यों नहीं .
टेस्ट टीम में ऋषभ पंत जब विकेट के पीछे होते हैं तो कार्तिक फील्डिंग करते हैं. वनडे में फिलहाल टीम इंडिया के पास धोनी के रूप में सबसे मजबूत विकेटकीपर है, लेकिन टी20 में विकेटकीपर को लेकर शायद बीसीसीआई युवा और अनुभव में उलझ गई है. जब पंत को भविष्य माना जा रहा है तो क्या एक ही विकेटकीपर सभी फॉर्मेट में नहीं हो सकता. या फिर यह ट्रेलर है उस आने वाली समस्या का, जब धोनी इस जिम्मेदारी को कंधों से उतार देंगे और उसके बाद टीम इंडिया हर फॉर्मेट में सभी विकेटकीपर को परखेगी.