view all

जब कोच रमाकांत आचरेकर की डांट ने बदल दी थी सचिन तेंदुलकर की जिंदगी

प्रैक्टिस मैच में नहीं खेलने पर आचरेकर ने डांट लगाते हुए कहा था ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे तुम्हारे लिए ताली बजाएं. सचिन के लिए यह बहुत बड़ा सबक था

FP Staff

किसी व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की अहमियत क्या होती है ये सचिन तेंदुलकर से बेहतर कौन जानता है. सचिन तेंदुलकर ने दो साल पहले अपने कोच रमाकांत आचरेकर से जुड़ा एक किस्सा सबके साथ शेयर किया था. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने तब बताया था कि किस तरह कोच आचरेकर की डांट ने हमेशा के लिए उनकी जिंदगी बदल दी थी. सचिन तेंदुलकर ने बताया था कि उन्होंने जो सिखाया, वह हमेशा मेरे काम आया. उस घटना ने मेरी जिंदगी बदल दी.

सचिन अपने स्कूल की जूनियर टीम में क्रिकेट खेलते थे और उनकी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम में हैरिस शील्ड फाइनल खेल रही थी. कोच रमाकांत अचरेकर ने सचिन के लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन कर रखा था. उन्होंने सचिन से कहा कि स्कूल के बाद वहां जाना मैंने कप्तान से बात कर रखी है. तुम्हें नंबर चार पर बल्लेबाजी करनी है और फील्डिंग करने की कोई जरूरत नहीं है.


ये भी पढ़ें- नहीं रहे सचिन तेंदुलकर के कोच गुरु रमाकांत आचरेकर

सचिन उस प्रैक्टिस मैच में खेलने नहीं गए और वानखेडे स्टेडियम जा पहुंचे. वह वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चियर कर रहे थे. वह मैच का आनंद ले रहे थे. खेल के बाद सचिन ने आचरेकर सर को देखा तो उन्हें नमस्ते किया. आचरेकर ने पूछा, आज तुमने कितने रन बनाए मैच में? सचिन ने कहा, सर हमारी सीनियर टीम यहां खेल रही थी तो मैं यहां उनके लिए चीयर करने आया हूं. यह सुनते ही आचरेकर सर ने सबके सामने उन्हें डांटा.

आचरेकर सर ने सचिन से कहा, तुम्हें दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है. तुम अपने क्रिकेट पर ध्यान दो. ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे तुम्हारे लिए ताली बजाएं. सचिन के लिए यह बहुत बड़ा सबक था, इसके बाद इस महान बल्लेबाज ने कभी भी मैच मिस नहीं किया. उसके बाद जो हुआ वो आज इतिहास है. तेंदुलकर के नाम बल्लेबाजी के लगभग सारे रिकॉर्ड हैं. उन्होंने टेस्ट में सर्वाधिक 15921 और वनडे में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाए हैं.

ये भी पढ़ें- जानिए, सचिन तेंदुलकर ने किस तरह मनाया एनजीओ के बच्चों के साथ क्रिसमस!

तेंदुलकर ने अपने करियर में आचरेकर की भूमिका का हमेशा उल्लेख किया है. आचरेकर मुंबई के शिवाजी पार्क में उन्हें क्रिकेट सिखाते थे. तेंदुलकर ने पिछले साल एक कार्यक्रम में अपने करियर में आचरेकर के योगदान के बारे में कहा था, ‘सर मुझे कभी ‘वेल प्लेड’ नहीं कहते थे, लेकिन मुझे पता चल जाता था जब मैं मैदान पर अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेलपुरी या पानीपुरी खिलाते थे.’