सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बीसीसीआई के ढांचे में आमूलचूल बदलाव की सिफारिशें करने वाले पूर्व चीफ जस्टिस लोढ़ा, इन सिफारिशों को अमल में लाने में हो रही देरी से नाराज हैं. जस्टिस लोढ़ा का मानना है कि इस मामले में अदालत की ही बनाई गई प्रशासकों की समिति यानी सीओए भी लेटलतीफी कर रही है.
समाचार पत्र द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बोर्ड के ढांचे में जिन सुधारों को लागू करवाने की जिम्मेदारी सीओए के कंधों पर है, उसे पूरा करने की बजाय विनोद राय की अगुआई वाली यह टीम बोर्ड के बाकी के कामों में क्यों उलझ रही है.
समाचार पत्र के मुताबिक जस्टिल लोढ़ा को लगता है कि सीओए को बोर्ड में बदलाव लाने के लिए जिस तत्परता से काम करना चाहिए ,वह उतनी तेजी से काम नहीं कर रही है. इसके अलावा जस्टिस लोढ़ा को पूर्व बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की बोर्ड की एसजीएम में मौजूदगी पर भी सख्त ऐतराज है. उनका कहना है कि यह मामला सीओए को देखना चाहिए था.
बोर्ड ने उनकी सिफारिशों को अमल में लाने के लिए एक कमेटी बनाई है जिसे जस्टिस लोढ़ा बदलाव को टालने की बोर्ड की रणनीति मानते हैं . उनका कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड की तमाम आपत्तियों को सुनने के बाद आदेश पारित किया है तो फिर इस तरह की कमेटी का बनाना वक्त को टालने की रणनीति के अलावा कुछ नहीं हो सकता.