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सुशील- साक्षी के स्टारडम के आगे झुकी फेडरेशन, देनी पड़ी ग्रेड ए में जगह

इससे पहले दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील और रियो ओलिंपिक की मेडलिस्ट साक्षी को ग्रेड बी मे जी गई थी जगह

FP Staff

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने पहली बार भारतीय रेसलिंग लागू हुए ग्रेडिंग सिस्टम में ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले रेसलर सुशील कुमार और महिला रेसलर साक्षी मलिक की ग्रेड को अब बढ़ा दिया है. स्टार रेसलर्स में शुमार सुशील कुमार और साक्षी मलिक को ग्रेड का अनुबंध देने को गलती करार देते हुए बुधवार को इन दोनों को ए ग्रेड में शामिल किया गया है.डब्ल्यूएफआई ने जब अनुबंध की घोषणा की थी तो ओलिंपिक पदक विजेताओं सुशील और साक्षी को ग्रेड बी के अनुबंध दिए गए थे.

हालांकि इस गलती में सुधार करते हुए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इसका ऐलान किया है.बृजभूषण ने कहा, ‘आपके सहयोग से हमें खिलाड़ियों की ग्रेडिंग प्रणाली शुरू की जो ए, बी, सी, डी, ई और एफ है.’


उन्होंने कहा, ‘हालांकि गोंडा में जब नेशनल चैंपियनशिप के दौरान हमारी पूर्ण सभा (आयोजन सदस्यों की) मौजूद थी, हमने महसूस किया कि सुशील और साक्षी मलिक को गलत श्रेणी में रखा गया है.’

डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष ने कहा, ‘हम सब सर्वसम्मति से सहमत थे ऐसे खिलाड़ियों को बी ग्रेड में नहीं रखा जाना चाहिए.’

सुशील ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज जबकि 2012 में लंदन ओलिंपिक में सिल्वरमेडल जीता था.साक्षी ने 2016 में रियो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

बृजभूषण ने कहा, ‘मैं स्वीकार करना चाहता हूं कि यह गलती थी और हम गलती में सुधार कर रहे हैं और अब दोनों खिलाड़ियों को एक ग्रेड में शामिल कर रहे हैं.’

ग्रेड ए में अब सुशील और साक्षी के अलावा बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और पूजा ढांडा शामिल हैं. ग्रेड ए के खिलाड़ियों को प्रतिवर्ष 30 लाख रुपये मिलेंगे.ग्रेड बी में अब कोई खिलाड़ी नहीं है.

ग्रेड सी में सात जबकि ग्रेड डी में नौ पहलवानों को जगह मिली है. ग्रेड सी में शामिल खिलाड़ी को 10 लाख जबकि ग्रेड डी के खिलाड़ी को पांच लाख रुपये मिलेंगे.

ग्रुप ई में चार खिलाड़ी हैं जिन्हें प्रति वर्ष तीन लाख रुपये दिए जाएंगे. ग्रेड एफ में अंडर 23 राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेताओं को जगह मिली हैं. इन प्रति वर्ष एक लाख 20 हजार रुपये दिए जाएंगे.