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हैदराबाद में खुश हो रहे शास्त्री-कोहली के लिए दुबई में बजी खतरे की घंटी!

पाकिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की टीम जो जज्बा दिखाया वह पुरानी ऑस्ट्रेलियाई टीमों की याद दिलाता है

Sumit Kumar Dubey

राजकोट में कैरेबियाई टीम पर अपने क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज करने के बाद टीम इंडिया हैदराबाद में भी अपना ‘जलवा’ दिखा रही है लेकिन इस टेस्ट के शुरू होने से ठीके एक दिन पहले दुबई से एक ऐसी खबर आई है जिसमें टीम इंडिया के होश उड़ाने का माद्दा है. दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट के आखिरी दिन ऑस्ट्रेलिया ने एक हारे हुए मुकाबले ना सिर्फ बचा लिया बल्कि मैच को बचाने के लिए वैसा ही जज्बा दिखाया जिसके लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम को जाना जाता है.

पहले साउथ अफ्रीका और फिर इंग्लैंड में मिली हार के बाद कोहली-शास्त्री की जोड़ी का अगला इम्तिहान ऑस्ट्रेलिया में ही होना है. चार टेस्ट मैचों की सीरीज में कोहली एंड कंपनी को उम्मीद है कि उनकी टीम ऑस्ट्रेलिया में वो कर सकती है जो इससे पहले किसी भी टीम इंडिया ने नहीं किया. अभी तक कोई भी भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज नहीं जीत सकी है.


ऑस्ट्रेलिया की कमजोरी ने जगाई थी उम्मीद

भारतीय खेमा इस करिश्मे की उम्मीद महज इसलिए नहीं है कि वह बहुत दमदार टीम है बल्कि ऑस्ट्रेलिया में जीत की इन ख्वाहिशों को पर किन्हीं दूसरी वजहों से लगे हैं. दरअसल इसी साल साउथ अफ्रीका में हुए बॉल टेंपरिंग के वाकिए ने ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट को हिलाकर रख दिया था. उसके दो सबसे बड़े बल्लेबाज (कप्तान और उपकप्तान) यानी स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर इस शर्मसार करने वाले गुनाह की सजा भुगत रहे हैं.

12 महीने की उनकी पाबंदी भारत के साथ होने वाली सीरीज के बाद ही खत्म होगी. कोच डैरेन लीमन का इस्तीफा हुआ. इसके अलावा की सालों से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को चला रहे जेम्स सदरलैंड भी इस्तीफा दे चुके हैं.

शर्म और टूटे मनोबल के साथ टिम पेन जैसे कामचलाऊ कप्तान की रहबरी में खेल रही ऑस्ट्रेलिया की टीम को मसलने का ख्वाब संजोए बैठे कोहली-शास्त्री के लिए दुबई में खतरे की घंटी बज गई है.

दुबई में ऑस्ट्रेलिया ने रचा इतिहास

पाकिस्तान और ऑस्ट्रलिया के बीच हुआ यह मुकाबला कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की वापसी की पटकथा चौथे दिन लिखनी शुरू हुई. पाकिस्तान की टीम इस मैच में ड्राइविंग सीट पर थी. कंगारू टीम के सामने जीत के लिए पहाड़ जैसा टारगेट था और उसे अपने 10 विकेट्स बचाने के लिए 140 ओवर्स का सामना करना था.

यह मुकाबला एक एसे विकेट पर खेला जा रहा था जो फिरकी के लिए बेहद माकूल था. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में बिलाल आसिफ ने 6 विकेट झटक कर इसका अहसास भी करा दिया था. इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की कोई भी टीम एशिया मे कभी भी ड्रॉ के लिए 90 ओवर से ज्यादा नहीं खेल सकी थी. यानी कोई चमत्कार ही कंगारू टीम को हार से बचा सकता था.

चमत्कार हुआ भी. पहले उस्मान ख्वाजा ने बेहतरीन शतक जड़कर पाकिस्तान के गेंदबाजों को बैकफुट पर धकेला और उसके बाद कप्तान टिम पेन ने साबित कर दिया क्यों उनपर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भरोसा किया है. यासिर शाह की गेंद पर पीटर सिडल के पगबाधा आउट होने के बाद पाकिस्तान को आखरी 12 ओवर में बस दो विकेट निकालने की दरकार थी.

कप्तान सरफराज अहमद ने हर कोशिश की. हर उस जगह फील्डर लगाया जहां बल्ले का किनारा लगकर कैच उछल सकता था. यहां तक कि लेग स्लिप तक लगाई गई. लेकिन टिम पेन और नैथन लॉयन ने विकेट गिरने नहीं दिया और मैच ड्रॉ हो गया.

रिकॉर्ड्स बुक में तो यह मैच बेनतीजा ही लिखा जाएगा लेकिन इसके नतीजे बेहद मायने रखते हैं. इस मुकाबले में कंगारू टीम ने उस आत्मविश्वास को हासिल किया है जो किसी भी टीम को कुचलने की क्षमता रखता है. मैच के बाद कोच जस्टिन लैंगर ने इस मुकाबले की तुलना 1999 के होबार्ट टेस्ट से की जब पाकिस्तान के ही खिलाफ 126 रन पार पांच विकेट गंवाने के बाद ऑस्ट्लिया ने 369 रन का टारगेट हासिल कर लिया था.

ऑस्ट्रेलिया के कोच का यह भरोसा साफ साफ शारा करता है कि अपने घर में वह टीम इंडिया को कितनी कड़ी टक्कर देने का इरादा बना रहे हैं .