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वर्ल्ड कप का यह मैच बिना खेले ही पाकिस्तान से हार गई है विराट कोहली की टीम!

पाकिस्तान विश्व कप में खेलेगा क्योंकि आईसीसी का संविधान और कानूनी स्थिति उसके पक्ष में है. किसी टीम को बिना गलती के बाहर करने के बाद के परिणामों को भुगतने के लिए आईसीसी तैयार नहीं है और ना ही ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसे सदस्य उसे ऐसा करने देंगे

Jasvinder Sidhu

करोड़ों दिलों को गजब का सुकून देना वाला रिकॉर्ड है कि भारतीय टीम इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ कभी नहीं हारी है. पुलवामा में सीआरपीएफ के सैनिकों की निर्मम हत्या के बाद यह मांग उठ रही है कि टीम इंडिया को पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में नहीं खेलना चाहिए.

ऐसी खबरें भी है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इस बाबत आईसीसी को पत्र लिखा है कि पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर कर दिया जाए. लेकिन आईसीसी को गुरुवार रात तक इस तरह का कोई पत्र नहीं मिला था, लेकिन अगर ऐसी कोई गुजारिश भेजी भी जाती है तो आईसीसी इसे मानने वाला नहीं है.


साफ है कि पाकिस्तान मई से शुरू हो रहे विश्व कप में खेलेगा क्योंकि आईसीसी का संविधान और कानूनी स्थिति उसके साथ है. इस लिहाज से पहली बार टीम इंडिया पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में बिना खेले ही हारी हुई दिखाई दे रही है.

ऐसी भी खबरें है कि भारत विश्व कप में अगर खेला तो वह पाकिस्तान के साथ होने वाले मुकाबले का बॉयकॉट करेगा. मान लिया जाए कि टीम ऐसा करके अपने अंक गंवाने का जोखिम उठा लेती है, लेकिन अगर उसे नॉकआउट दौर में फिर पाकिस्तान से खेलना पड़ा तो वह क्या करेगी!

सूत्रों ने गुरुवार को इस लेखक से कहा, 'आप बताइए कि पाकिस्तान की गलती क्या है! उसके खिलाफ प्रतिबंध का क्रिकेटीय कारण क्या है! याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान ने विश्व कप में खेलने के लिए क्वालीफाई करने की प्रक्रिया को पूरा किया किया है. पाकिस्तान की संवैधानिक और कानूनी स्थिति काफी मजबूत है और आईसीसी इस मसले पर खुद को किसी अदालती पचड़े में डालने की स्थिति में नहीं है.'

आईसीसी के संविधान को प्रस्ताव 2.3(एच) के मुताबिक हर सदस्य को आईसीसी की ओर से आयोजित और उसके द्वारा मान्य टूर्नामेंटों में खेलने का अधिकार है, बशर्ते उसने क्वालीफाई किया हो और सभी शर्तों को पूरा करता हो. आईसीसी के टूर्नामेंटों में खेलने के लिए सभी सदस्य देश ‘मैंबर्स पार्टिसिपेशन एग्रिमेंट’ (एमपीए) पर साइन करते हैं और स्वीकार करते हैं कि उन्हें आईसीसी की सभी शर्ते स्वीकार है. आईसीसी सभी सदस्य देश मिल कर चलाते हैं.

इसलिए कोई भी बड़ा फैसला आईसीसी  सभी सदस्यों की सहमति के बिना नहीं हो सकता. फैसला लेने की प्रक्रिया के लिए कोई ठोस वजह भी होना जरूरी है. उसके बाद सभी की रजामंदी भी चाहिए. यह भी सच है कि आईसीसी ने कभी किसी एक देश की मांग पर किसी दूसरे को प्रतिबंधित नहीं किया है. फिर आईसीसी एक बार विश्व कप जीत चुकी वनडे की टॉप टीम को अपने सबसे बड़े टूर्नामेंट में बाहर क्यों करेगा.

यह सही है कि आईसीसी के विश्व कप में ज्यादातर प्रायोजक भारतीय हैं और हो सकता है कि भारत अगर अपनी मांग पर अड़ जाता है तो वे प्रायोजक उसके हाथ से निकल भी सकते हैं. सच यह भी है कि आईसीसी भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पैसे की ताकत के सामने हमेशा कमजोर पड़ा है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं होने जा रहा क्योंकि यह किसी देश को बिना क्रिकेटीय कारण के बाहर करना है और बिना किसी गलती के बाहर करने के बाद के परिणामों को भुगतने के लिए आईसीसी तैयार नहीं है. ना ही उसके ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका जैसे सदस्य उसे ऐसा करने देंगे.