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विराट कुछ दशक पहले होते तो सचिन तेंदुलकर को ‘देश निकाला’ दे देते!

विराट कोहली ने फैन से कहा था कि अगर अपने देश के बल्लेबाज पसंद नहीं हैं तो देश छोड़ देना चाहिए...

Shailesh Chaturvedi

भला हुआ कि सचिन तेंदुलकर का जन्म 70 के दशक में हो गया. भला हुआ कि वो 90 के दशक में दुनिया के सबसे बड़े बल्लेबाज कहलाए जाने लगे. उनके नाम पर भारतीयों को गर्व होने लगा. कहीं वो 2018 में खेलना शुरू करते, तो उन्हें किसी और देश की नागरिकता लेनी पड़ती! हैरत में मत पड़िए. विराट कोहली को इस देश की कमान सौंप दीजिए. उसके बाद देखिए कि सचिन किसी भी हालत में भारत के लिए नहीं खेल पाएंगे.

विराट कोहली का मानना है कि अगर आप किसी और देश के खिलाड़ी की तारीफ करते हैं, तो आपको इस देश में नहीं रहना चाहिए. उनके शब्दों में, ‘मुझे नहीं लगता कि आपको हमारे देश में रहते हुए दूसरों को पसंद करना चाहिए. अपनी प्राथमिकताएं ठीक कीजिए.’ सचिन तेंदुलकर की पसंद देखिए. जब उन्होंने करियर शुरू किया था, तो उन्हें विव रिचर्ड्स और सुनील गावस्कर का कॉम्बिनेशन कहा जाता था. उस दौर में उनकी तुलना सुनील गावस्कर से की गई थी, तब पाकिस्तान के अब्दुल कादिर ने कहा था कि यह बच्चा गावस्कर जैसा नहीं, रिचर्ड्स जैसा है.


उसके बाद सचिन से तमाम बार पूछा गया कि उनकी पसंद के खिलाड़ी कौन हैं. वो खिलाड़ी थे विव रिचर्ड्स, सुनील गावस्कर, इयान बॉथम और जॉन मैकनरो. गावस्कर को छोड़ दिया जाए, तो बाकी सभी इस देश के नहीं हैं. ऐसे में कोहली के शब्दों के लिहाज से देखें, तो सचिन को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए थी. उन्हें या तो सिर्फ गावस्कर को पसंद करना चाहिए या मुल्क छोड़ देना चाहिए.

विराट कोहली ने क्रिकेट फैन को क्या जवाब दिया था

जान लीजिए कि पूरा माजरा क्या है. दरअसल, हाल ही में विराट कोहली का ऐप शुरू हुआ है. इसमें आप उनसे सीधे सवाल पूछ सकते हैं. किसी ने उनसे सवाल किया. सवाल हालांकि तल्ख था. सवाल में कहा गया कि उनको ओवररेटेड लगते हैं. मुझे भारतीय बल्लेबाजों की तुलना में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को देखने में ज्यादा मजा आता है. यकीनन, यह टिप्पणी या सवाल का सुर अच्छा नहीं था. लेकिन हम सब जानते हैं कि आप आम जनता को किसी भी टिप्पणी से रोक नहीं सकते. बल्कि स्टेडियम में जिस तरह की हूटिंग होती है, उसमें तमाम बातें लिखने या सार्वजनिक तौर पर कहने लायक नहीं होतीं. उन पर 99 फीसदी वक्त कोई क्रिकेटर प्रतिक्रिया नहीं देता. एकाध घटनाएं हुई हैं, जब इंजमाम उल हक या चेतन शर्मा जैसे लोग स्टैंड में बैठे दर्शक से भिड़ गए हों. लेकिन वो अपवाद जैसी हैं.

विराट को यकीनन टिप्पणी पसंद नहीं आई होगी. शायद किसी को नहीं आती. लेकिन जवाब देने का यह तरीका नहीं है. क्रिकेट में पहली चीज सिखाई जाती है ऑफ स्टंप से बाहर की गेंद को छोड़ना. अगर आपको इसमें महारत मिल जाए, तो दो तिहाई बल्लेबाजी आ गई. यहां भी कोहली इस सवाल को छोड़ सकते थे. चुटकी ले सकते थे. सिर्फ इतना कह सकते थे कि हम और कोशिश करेंगे, ताकि आप हमें देखें. लेकिन क्रिकेट फैन्स के साथ भिड़ जाना किसी भी तरीके से अच्छा नहीं है. उससे ज्यादा खराब है यह कहना कि आप अगर भारतीय को पसंद नहीं करते, तो किसी और मुल्क में चले जाइए.

गावस्कर की तकनीक तो विपक्षी खिलाड़ी ने ठीक कराई थी!

विराट को सुनील गावस्कर से बात करनी चाहिए, जिन्हें अपने पहले दौरे में बड़ी तकनीकी सीख विपक्षी से मिली थी. गावस्कर के स्टांस को लेकर रोहन कन्हाई और गैरी सोबर्स ने कुछ टिप्स दिए थे. गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन कन्हाई के ही नाम पर रखा. विराट को अजहरुद्दीन से पूछना चाहिए, जिनकी ग्रिप जहीर अब्बास ने ठीक कराई थी, जिसके बाद अजहर की बैटिंग में अचानक बदलाव आया.

विराट कोहली को उस भारतीय टीम से पूछना चाहिए, जो इंग्लैंड में मुश्किलों में थी. जावेद मियांदाद उस दौरान भारतीय नेट्स में आए. भारतीय बल्लेबाजों को सिखाने के लिए. उन करोड़ों लोगों के बारे में विराट क्या कहेंगे, जिनके हीरो सचिन हैं. इनमें मैथ्यू हेडन और शेन वॉर्न जैसे लोग हैं. क्या इन्हें ऑस्ट्रेलिया में रहने का अधिकार नहीं? खुद विराट कोहली के प्रशंसक पूरी दुनिया में हैं, जो अपने देश के बल्लेबाजों से ज्यादा उन्हें देखना चाहते होंगे. उनके लिए कोहली की राय क्या है?

कोहली खुद विदेशी खिलाड़ी के फैन हैं...

…और खुद कोहली अपने बारे में क्या कहेंगे? उनके हीरो का नाम रोजर फेडरर है. क्या फेडरर भारतीय हैं? विराट को तो अपनी बातों के मुताबिक दिविज शरण, रोहन बोपन्ना, युकी भांबरी या रामकुमार रामनाथन जैसे खिलाड़ियों को देखना और पसंद करना चाहिए! ऐसा न करने की वजह से वो कब स्विट्जरलैंड शिफ्ट हो रहे हैं, जहां के खिलाड़ी को वो पसंद करते हैं? विराट को एबी डिविलियर्स भी बहुत पसंद हैं. ऐसे में उन्हें दक्षिण अफ्रीका शिफ्ट होने की सलाह भी दी जाती है.

ये देश तो वैसे भी दूसरे लोगों में भी अपने हीरो ढूंढता रहा है. पेले से लेकर मैराडोना जैसे फुटबॉलर, ब्योर्न बोर्ग से लेकर जॉन मैकनरो, बोरिस बेकर, पीट सैंप्रस, रोजर फेडरर या राफेल नडाल जैसे टेनिस खिलाड़ी... इनमें कौन भारतीय है? या मुहम्मद अली से लेकर माइकल शूमाकर तक को पसंद करते हुए कभी सोचा गया कि ये भारतीय है या नहीं? ऐसे में अपना हीरो अपनी ही देश का हो, यह बात आखिर विराट के मन में कैसे आई, जबकि खुद उनके हीरो देश से बाहर के हैं.

विराट वैसे भी बल्ले के साथ और बगैर बल्ले के, दो बेहद अलग शख्सीयत दिखाई देते हैं. उनकी कप्तानी पर सवाल उठते रहे हैं. अनिल कुंबले के साथ उनका विवाद उनके लिए बहुत अच्छी तस्वीर लेकर नहीं आया. कुछ साल पहले एक पत्रकार के साथ व्यवहार को लेकर आलोचना हुई थी. हर्ष भोगले से लेकर कुछ और पत्रकारों के साथ बीसीसीआई के व्यवहार को लेकर भी विराट कोहली के रोल की बात की जाती है. ऐसे में उन्होंने टिप्पणी के साथ अपनी छवि के लिए कम से कम अच्छा तो नहीं ही किया है.