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विराट बोले, ये मेरी सेकेंड बेस्ट पारी थी

'एडिलेड टेस्ट में खेली पारी अब भी मेरे दिल के ज्यादा करीब'

FP Staff

पांच टेस्ट की सीरीज में चार टेस्ट के बाद 3-0 की बढ़त, सीरीज पर कब्जा और मैन ऑफ द मैच. एक कप्तान के लिए इससे बेहतर लम्हे क्या हो सकते हैं. विराट कोहली के लिए मुंबई टेस्ट यादगार रहा. मैच के बाद उन्होंने तमाम मुद्दों पर पूछे गए सवालों के जवाब दिए.

क्या इतनी आसानी से सीरीज जीतने का भरोसा था


मुझे नहीं लगता कि ये आसान था. हम कई बार दबाव में आए. मुझे लगता है कि उन हालात से निकलने का श्रेय टीम को जाता है. हमें कुछ भी प्लेट में सजाकर नहीं मिला. हमने इसके लिए कड़ी मेहनत की है. विपक्षी टीम से गलतियां कराईं. हमने विपक्षी टीम से ज्यादा धैर्य दिखाया. हमें पता है कि इंग्लैंड अच्छी टीम है. 2-0 से पीछे होने के बाद उन्होंने पहली पारी में 400 रन बनाए. वे आसानी से हार नहीं मानते. हमारा टेस्ट हुआ, जिसमें हम टॉप पर रहे. टेस्ट क्रिकेट इसी को कहते हैं. अगर आप चैंपियन हैं, तो आपको सीरीज जीतने के लिए चैंपियन की तरह खेलना होगा. वही हमने किया.

न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज जीत से क्या अलग था

मुझे लगता है कि उस सीरीज के मुकाबले विकेट बेहतर थे. यहां जीतने के लिए अच्छी क्रिकेट खेलने की जरूरत थी. हर मैच जीतने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ी. मुझे लगता है कि केन (विलियमसन) और रॉस (टेलर) के अलावा न्यूजीलैंड टीम में अनुभव की कमी थी. बाकी खिलाड़ी यहां के माहौल से ज्यादा परिचित नहीं थे.

तेंदुलकर की सलाह

सबसे अच्छी सलाह थी कि अपने बारे में लिखा हुआ न पढ़ा जाए. मैं मजाक या व्यंग्य नहीं कर रहा. कप्तान के तौर पर मैंने इन सब चीजों से अपना दिमाग हटाया है. मैं सिर्फ यही सोचता हूं कि टीम को क्या करना चाहिए और इससे मुझे बहुत मदद मिली है.

स्पिन के खिलाफ इंग्लैंड के बल्लेबाजों की तकनीक

मैं यहां पर बैठकर दूसरों की गलतियों पर बात नहीं करने वाला। हम अपनी ताकत पर फोकस करते हैं. हम हार को भी पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करते हैं. हमने कभी शिकायत नहीं की. हमें अपने खेल में कमियां लगीं, तो उन्हें सुधारने की कोशिश की. ये हम हर मैच में करते हैं. उन्हें भी अपनी कमियों को देखना चाहिए और उसे सुधारना चाहिए. इंटरनेशनल क्रिकेटर होने के नाते ये उनकी जिम्मेदारी है. इसीलिए मैं यहां बैठकर कोई माइंड गेम नहीं खेलना चाहता. अच्छी क्रिकेट पर ध्यान लगाना चाहता हूं, जो अब तक हमने किया भी है.

क्या ये बदला लेने की सीरीज थी

बिल्कुल नहीं. ये सब टीआरपी के लिए होता है. सीरीज से पहले जो आप टीवी पर देखते हैं, वो लोगों में रोमांच बढ़ाने के लिए होता है. एक क्रिकेटर के तौर पर सच्चाई बता सकता हूं कि ऐसा होता नहीं. अगर आप इन चीजों पर फोकस करेंगे, तो खेल से दिमाग हटता है.

अपनी पारी के बारे में

मैं कह सकता हूं कि बहुत संतोष देने वाली पारी थी. इसमें धैर्य का इम्तिहान था. हम 2-0 से आगे थे. हम नहीं चाहते थे कि आखिरी टेस्ट के लिए चीजें छोड़ी जाएं. विपक्षी ऐसी जगह हो, जहां आखिरी टेस्ट में उसके पास सीरीज बराबर करने का मौका हो. इसलिए यहां सीरीज का फैसला जरूरी था. विजय बहुत अच्छा खेल रहे थे. मुझे उनके साथ बल्लेबाजी करने में मजा आया. बीच में कुछ विकेट तेजी से गिरे. ऐसे में दिमाग बहुत सारी बातों की तरफ जाता है कि आप 400 रन बना पाएंगे या नहीं. या टारगेट कितना होना चाहिए. फिर चीजें बेहतर होने लगीं, तो लगा कि 40-50 रन की बढ़त काफी होगी. लेकिन आखिर में हमने 231 रन की बढ़त मिली. अगर आपका फोकस इस पर हो कि टीम की जरूरत क्या है, तो आप थकते नहीं.

ये सीरीज जीतना कितना अहम

मैं इधर आ रहा था तो कह रहा था कि पिछली जो पांच सीरीज हमने जीती हैं, उनमें ये बेस्ट है. विपक्षी टीम जिस तरह की है और जिस तरह की क्रिकेट हमने खेली है, उस लिहाज से. हमें खुद पर गर्व है. एक कप्तान के तौर पर यकीनन मेरे लिए ये सीरीज टॉप पर है.

तीन ऑलराउंडर का होना कितना अच्छा है... क्या टीम के अच्छे प्रदर्शन की ये भी खास वजह है

बिल्कुल ये खास वजह है. जयंत का शतक बेहतरीन था. एक समय मैं 140 के आसपास था, तब भी वो मुझसे ज्यादा तेज रन बना रहे थे. ये उनका भरोसा दिखाता है. आपको इस तरह के खिलाड़ी को पहचानना होता है, जितनी जल्दी हो, उनको इंटरनेशनल सर्किट में लाना होता है. ये जरूरी नहीं है कि ऐसे लोगों को पहले तीन फर्स्ट क्लास सीजन खिलाया जाए, तभी उन्हें मौका दिया जाए. ऐसे में जब वे टीम इंडिया में आएंगे, तब तक काफी देर हो चुकी होगी. अगर आप फर्स्ट क्लास क्रिकेट मे जयंत के रिकॉर्ड देखें, तो आपको झटका नहीं लगेगा कि अरे, बड़े जबरदस्त रिकॉर्ड हैं. लेकिन उन्हें अपना गेम पता है. हमने हार्दिक (पंड्या) को टीम में लिया था. इस सोच के साथ कि जब भारत से बाहर जाएंगे, उनका बड़ा रोल होगा. इसलिए टीम में बैलेंस की सख्त जरूरत होती है. ऑलराउंडर से कप्तान को विकल्प मिलता है, जो 12 खिलाड़ियों के साथ उतरने के बराबर होता है.

अपनी पारी को किस तरह आंकना चाहेंगे

मुझे अब भी एडिलेड (2014-15) की पारी बहुत पसंद है. वो बदलाव के दौर का प्रतीक थी. मैं कह सकता हूं कि ये पारी दूसरे नंबर पर है. दिल से मुझे अब भी लगता है कि एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में जो रन बनाए थे, वो इस पारी से ज्यादा अहम थे.