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सीओए ने बैठक रोकने का जारी किया गया नोटिस, नाराज सदस्‍यों ने कहा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगा कार्यक्रम

सीओए ने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में कहा कि 22 जून 2018 को होने वाली एसजीएम के संदर्भ में ना तो सीओए से स्वीकृति मांगी गई और ना ही दी गई है.

FP Staff

बीसीसीआई में पदाधिकारियों और प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच चल रही रस्साकशी ने नया मोड़ ले लिया. विनोद राय की आगुवाई वाली समिति ने मान्यता प्राप्त इकाइयों की 22 जून को होने वाली विशेष आम बैठक को रोकने का निर्देश जारी कर दिया.

वहीं बीसीसीआई के पुराने अधिकारी और मौजूदा अधिकारी हालांकि अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और उनका मानना है कि बैठक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी. सीओए ने हालांकि बीसीसीआई कर्मचारियों से कहा है कि वे एसजीएम से जुड़े राज्य इकाइयों के किसी भी बिल का भुगतान नहीं करें.


 

बैठक के लिए कोई स्‍वीकृति नहीं

सीओए बैठक को गैरकानूनी मानता है, क्योंकि 15 मार्च के दिशानिर्देशों के अनुसार इसके लिए कोई स्वीकृति नहीं मांगी गई. इन दिशानिर्देशों के अनुसार एसजीएम के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की पूर्व स्वीकृति की जरूरत होती है. दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ समय से खींचतान चल रही है, लेकिन पदाधिकारी जिस चीज से नाराज हैं वह पत्र की सामग्री है, जिसमें बैठक के लिए मौजूद रहने वाले अधिकारियों की यात्रा, महंगाई भत्ते और विमान किराए का भुगतान रोकने की रणनीति अपनाई गई है.

सीओए ने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में कहा कि 22 जून 2018 को होने वाली एसजीएम के संदर्भ में ना तो सीओए से स्वीकृति मांगी गई और ना ही दी गई है. उन्होंने कहा कि सीओए से आगे के निर्देश मिलने तक यह निर्देश दिए जाते हैं कि बीसीसीआई का कोई भी कर्मचारी/सलाहकार/रिटेनर/सेवा प्रदाता इस एसजीएम से जुड़े ना तो कोई कागजात तैयार करे और ना ही इसे बांटे या किसी तरह से आगे की कार्रवाई करे या नोटिस में मदद करे.

खन्‍ना ने तीन हफ्ते में बैठक बुलाने का दिया था निर्देश

बैठक इसीलिए बुलाई गई, जब 15 से अधिक राज्य इकाइयों ने कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना को एसजीएम बुलाने के लिए पत्र लिखा. इसके जवाब में खन्ना ने कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को तीन हफ्ते के समय में एसजीएम बुलाने का नोटिस जारी करने को कहा. बीसीसीआई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सीओए के पास एसजीएम को रोकने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह सदस्यों का अधिकार है. एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पीटीआई से कहा कि अगर संवाद जारी करने वाले को संवाद जारी करने का अधिकार नहीं है तो इस संवाद को किसी अधिकारी के साथ लागू नहीं किया जा सकता.

इन्होंने हुए कहा कि उदाहरण के लिए, सीओए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्देश नहीं दे सकता. अगर वे ऐसा कोई संवाद जारी करते हैं तो निश्चित तौर पर इस संवाद का अस्तित्व होगा, लेकिन इसे लागू करने के लिए कोई अधिकार नहीं होंगे. बीसीसीआई के नियम और कानून तथा स्वयं बीसीसीआई खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने एसजीएम रोकने के सीओए के प्रयास को ‘अदालत की अवमानना’ भी करार दिया.