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अंडर 19 वर्ल्ड कप फाइनल, भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया: इतिहास रचने से एक कदम दूर टीम इंडिया

भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें तीन-तीन बार यह टूर्नामेंट जीत चुकी हैं, शनिवार को सुबह 6:30 बजे शुरू होगा फाइनल मुकाबला

Sumit Kumar Dubey

अंडर 19 वर्ल्ड कप में जीत के घोड़े पर सवार भारत की जूनियर टीम इंडिया शनिवार को अपनी आखिरी जंग में उतरने वाली है. फाइनल में गुरू राहुल द्रविड़ के रणबांकुरों का मुकाबला इस वर्ल्ड कप की दूसरी सबसे ताकतवर टीम ऑस्ट्रेलिया से होगा. फाइनल की इस जंग से पहले भारतीय टीम ने इस टूर्नामेंट में अपने अपराजेय अभियान का आगाज ऑस्ट्रेलिया पर 100 रन की बड़ी जीत के साथ ही किया था लिहाजा मनोवैज्ञानिक तौर पर टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के सामने फ्रंटफुट पर है.

अब तक अपराजित है टीम इंडिया


इस फाइनल मुकाबले में जो टीम जीतेगी वह इतिहास रच देगी. भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही तीन-तीन बार जूनियर वर्ल्ड कप जीत चुकी हैं. यानी जो टीम जीतेगी वह चौथी बार यह खिताब अपने नाम करेगी जो एक रिकॉर्ड होगा.

जहां तक भारतीय टीम की ताकत की बात है तो यह इस टूर्नामेंट में खेल के हर डिपार्र्टमेंट में अव्वल दिखी है. सेमीफाइनल में पाकिस्तान जैसी आर्च राइवल टीम को 203 रन से बड़ी मात देकर भारतीय टीम का हौसला बुलंदी पर है.

भारत की बल्लेबाजी उसकी सबसे बड़ी ताकत है. कप्तान पृथ्वी शॉ के साथ दूसरे सलामी बल्लेबाज मनजोत कालरा इस टूर्नामेंट में भारत को मजबूत शुरूआत देते आए हैं. तीसरे नंबर की पोजिशन पर शुभमन गिल की आतिशी बल्लेबाजी का नजारा पूरी दुनिया देख चुकी है. पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में उनके नाबाद शतक ने तो सभी फैंस का मन मोह लिया था ऐसे में कंगारुओं के खिलाफ फाइनल में उनके एक और धमाकेदार पारी की उम्मीद है.

अगर भारत के इन शुरुआती तीन बल्लेबाजों में से दो भी चल गए तो स्कोर बोर्ड पर एक बड़ा टोटल खड़ा होना तय है. निचले क्रम में अभिषेक शर्मा का ताबड़तोड़ बल्लेबाजी का हुनर भारत के लिए बहुत बड़ा प्लस पॉइंट है.

हालांकि भारत के लिए परेशानी की बात यह है कि कि इस पूरे टूर्नामेंट में उसके मिडिल ऑर्डर को पूरी तरह से परखा नहीं गया है. रियान पराग, हार्विक देसाई और अभिषेक शर्मा को इस टूर्नामेंट में ज्यादा बल्लेबाजी करने का  मौका नहीं मिला है.

गेंदबाजों से लग रहा है ऑस्ट्रेलिया को डर

बल्लेबाजी के अलावा भारत की गेंदबाजी ने भी इस टूर्नामेंट में अपनी जोरदार ताकत दिखाई हैं. शिवम मावी और कमलेश नगरकोटी की 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आने वाली गेंदों को खेलना कंगारू बल्लेबाजों के लिए मुश्किल काम होगा. भारत के पेस अटैक का लोहा तो कंगारू टीम के कोच रियान हैरिस फाइनल से पहले ही मान चुके हैं. उनका कहना है ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले गेंदबाजों का ज्यादा सामना नहीं किया है लिहाजा भारत का पेस अटैक उनकी टीम के लिए घातक साबित हो सकता है. यही नहीं ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की फिरकी के खिलाफ परंपरागत कमजोरी को भुनाने के लिए भारत के पास अभिषेक शर्मा और अनुकूल रॉय जैसे स्पिन गेंदबाज मौजूद हैं.

मजबूत है ऑस्ट्रेलिया

वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया की टीम भी टूर्नानमेंट में भारत के खिलाफ में पहली हार का बदला लेने के लिए बेताब होगी. भारत के खिलाफ मिली हार के बाद कंगारू टीम ने लगातार चार जीत हासिल करके फाइनल में अपनी जगह बनाई है.

क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 127 रन के टारगेट को बचाते हुए 31 रन की ऑस्ट्रेलिया की जीत बताती है कि भारत को इस टीम से सावधान रहने की जरूरत होगी.

 इतिहास से रहना होगा सावधान

भारतीय टीम इस पाइनल मुकाबले से पहले हर मामले में कंगारू टीम से अव्वल नजर आ रही है लेकिन उसको एक ऐसे इतिहास से बचने की जरूरत है जो विरोधी टीम के पक्ष में हैं. न्यूजीलैंड में इससे पहले दो बार साल 2002 और 2010 में अंडर 19 वर्ल्डकप का आयोजन हुआ है और दोनों ही बार कंगारू टीम चैंपियन बनी है. यही नहीं दो साल पहले बांग्लादेश में खेले गए जूनियर वर्ल्डकप में इसी तरह अपराजित फाइनल में पहुंची थी जहां उसे आश्चर्यजनक तरीके से वेस्टइंडीज के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. राहुल द्रविड़ ने उस वक्त भारत की जूनियर टीम की कोचिंग संभाली ही थी.

उम्मीद है दो साल बाद कोच द्रविड़ के शिष्य उस गलती को इतिहास की बात बनाकर उन्हें वर्ल्ड चैंपियन टीम के कोच होना का तौहफा जरूर देंगे.