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भारत- श्रीलंका पहला टेस्ट: कप्तानी की इंश्योरेंस की पहली किस्त हैं कोहली के ये 76 रन

58 टेस्ट कैरियर की 97 पारियों में सिर्फ 24 बार ही ऐसा हुआ है जब वह दस से कम रन पर आउट हुए हैं

Jasvinder Sidhu

पूर्व कोच अनिल कुंबले के साथ विवादों के बीच श्रीलंका के दौरे पर गए विराट कोहली अपने 17वें टेस्ट से महज 24 रन दूर हैं. लेकिन यह  पारी और सीरीज के बाकी हिस्से में बनाए रन महज कोई रिकॉर्ड नहीं होंगे. यह रन बतौर कप्तान उनका भविष्य कितना लंबा होगा,यह तय करने वाले हैं.

गॉल इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम किसी की जिंदगी की खुली किताब की तरह हैं. आप कई कोनों से स्टेडियम के हर हिस्से में क्या हो रहा है. गॉल का ड्रेसिंगरूम काफी आलीशान है लेकिन बाहर भी एक टैंट टीम के खिलाड़ियों के बैठने के लिए लगाया गया है. ड्रेसिंगरूम के अंदर बारी का इंतजार करने वाले बल्लेबाजों को देखा जा सकता है.


कप्तान कोहली और कोच रवि शास्त्री पहले ही दिन से कई मौकों पर एक दूसरे की बगल में बैठे दिखाई दे रहे हैं. जाहिर है कि जिस कप्तान ने कोच के लिए अनिल कुंबले जैसे बड़े खिलाड़ी की कुर्बानी चढ़ाई है, उसके साथ तालमेल सभी को दिखना चाहिए.

जाहिर है कि कोच-कप्तान विवाद काफी पीछे छूट गया है. कप्तान कोहली की हर मोर्चे पर जीत हुई है. लेकिन इस जीत के बाद कप्तानी पर कब्जा लंबे समय तक बना रहे, इसके लिए आने वाले विदेशी दौरे पर टीम के लिए लगातार रन बनाना कोहली की जरुरत है.

इस लिहाज से यह 76 रन की बारी और बाकी की सीरीज उनके खुद के कैरियर के लिए काफी अहम है. क्योंकि लगातार नाकामी मिलने की स्थिति में उन्हे आलोचकों के बहुत से सवालों का जवाव देना पड़ेगा.

गॉल की बल्लेबाजों की दोस्ताना पिच पर जब उसके साथियों ने पहली पारी में दो शतक और दो अर्धशतक बनाएं हों और नंबर दस पर आए मोहम्मद सामी के भी 30 रन बने, विराट तीन रन पर बाउंसर को पुल करने की गलती के कारण विकेट के पीछे आउट हुए.

कोई भी टेस्ट कप्तान ऐसा शॉट नहीं खेलेगा. लेकिन वह थोड़े अनलकी भी कहे जा सकते हैं क्योंकि डीआरएस साफ नहीं था और टीम प्रबंधन के अनुसार गेंद बल्ले को लगी ही नहीं थी.

जाहिर है कि दूसरी पारी उसने लिए सीरीज के पहले मैच में कप्तान के रुतबे के मद्देनजर खेल दिखाने का आखिरी मौका था.

बारिश के बाद जब खेल शुरु हुआ तो पहली गेंद खेल रहे विराट ने लाहिरु कुमारा को थपेड़े सा शार्ट कवर पर बाउंड्री मार कर शुरुआत जरूर की लेकिन उसके बाद वह काफी सचेत हो कर खेले क्योंकि दूसरी पारी में भी नाकाम होने की स्थिति में उनके खिलाफ माहौल बनने की शुरुआत हो सकती थी. विराट सीरीज में एक-दो शतक ही कोच के साथ वह पूर्व कोच के साथ विवाद के बाद बने माहौल को ठंडा कर सकते हैं.

विराट यह बात जानते हैं और गॉल जैसी पिच पर वह ऐसा मौका गंवाने की गलती नहीं कर सकते थे.

एक लिहाज से विराट के लिए यह मैच 2015 में इसी मैदान पर मिली शर्मनाक हार का कर्जा उतारने का भी मौका है. उस मैच में भारत को जीत के लिए महज  176 रन बनाने थे लेकिन कोहली तीन रन पर आउट हो गए और उसके बाद पूरी टीम 112 पर मायूस चेहरों के साथ ड्रेसिंगरूम में बैठी थी.

यह स्कोर इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले रांची में आस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी आखिरी पारी में सिर्फ छह ही रन बने थे.

वैसे उनके 58 टेस्ट कैरियर की 97 पारियों में सिर्फ 24 बार ही ऐसा हुआ है जब वह दस से कम रन पर आउट हुए हैं.