view all

साथियों को संन्यास के बारे में बताते समय भावुक हो गए और रोने लगे थे कुक

कुक ने कहा कि उन्होंने संन्यास का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उस मानसिक फुर्ती को खो दिया था जिससे उन्होंने अपने करियर के दौरान आसानी से काम किया था

FP Staff

इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक ने कहा है कि टीम साथियों को संन्यास के बारे में बताते समय वह काफी भावुक हो गए थे और रोने लगे थे. उन्होंने कहा कि वह संन्यास के फैसले पर पिछले छह महीने से विचार कर रहे थे. सलामी बल्लेबाज कुक ने साउथम्पटन में भारत के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में 60 रन की जीत के बाद ऐलान किया था कि वह सीरीज के पांचवें और आखिरी टेस्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे.

कुक ने कहा कि उन्होंने संन्यास का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उस मानसिक फुर्ती को खो दिया था जिससे उन्होंने अपने करियर के दौरान आसानी से काम किया था. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर पिछले 12 साल से इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व कर रहे कुक ने कहा, ‘ मेरी मानसिक फुर्ती अधिक रही है. मैं हमेशा मानसिक रूप से मजबूत रहा हूं, लेकिन अब मेरी मानसिक फुर्ती कम हो रही है और फिर से उसको पाना काफी मुश्किल है.’ कुक ने कहा कि अगर साउथम्प्टन में मैच के बाद सीरीज का फैसला नहीं होता तो वह अपने संन्यास के फैसले को साझा नहीं करते.


अलविदा कहने से पहले कुछ रन बनाने की ख्वाहिश

उन्होंने कहा, ‘सच कहूं तो मेरे एक दोस्त ने यह जानने के लिए मुझे फोन किया कि मैं जिंदा हूं क्योंकि हर कोई ऐसे बात कर रहा जैसे मैं जिंदा नही हूं. जब आप अपने बारे में बहुत अच्छी बातें सुनते है तो अच्छा लगता है. उदाहरण के तौर पर, जब मैं गाड़ी चला रहा था और किसी ने मुझसे खिड़की के शीशे को नीचे करवा कर कहा कि ‘बहुत बहुत धन्यवाद’. यह आपके अच्छे पलों में से एक है. उम्मीद है कि अलविदा कहने से पहले इस सप्ताह मैं कुछ रन बना सकूं.’

पिछले छह महीनों से ऐसे संकेत दे दिए थे

उन्होंने कहा,  यह कहना मुश्किल है, लेकिन पिछले छह महीनों से मैंने ऐसे संकेत दे दिए थे. मैंने पिछले मैच से पहले कप्तान जो रूट से और मैच के दौरान कोच ट्रेवर बेलिस को इस बारे में बता दिया था. आज के दौर और इस उम्र में सब कुछ छुपा कर रखना काफी मुश्किल है. अगर सीरीज 2-2 से बराबरी पर होती तो मैं अपने फैसले को साझा नहीं करता.’

भारत में सीरीज जीत सबसे बड़ी सफलता

कुक ने 59 टेस्ट और 92 वनडे में टीम में कप्तानी की है. जिसमें से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एशेज सीरीज में जीत (2010-10 में एंड्रयू स्ट्रॉस की कप्तानी में) के साथ अपनी कप्तानी में भारत में सीरीज जीत को करियर की सबसे बड़ी सफलता बताया. उन्होंने कहा, ‘ विदेश में इन दोनों सीरीज में मैं मैन ऑफ द सीरीज था और हम भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में जीते थे. मेरे करियर के दौरान यह सर्वश्रेष्ठ क्षण था. हां, मैं कभी भी सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर नहीं रहा हूं, लेकिन अपनी क्षमता से मैंने सब कुछ पाया है.’

पीटरसन के साथ विवाद पर खेद जताया

उन्होंने केविन पीटरसन के साथ विवाद पर खेद जताया, क्योंकि उन्हें टीम से बाहर करने के फैसले में वह भी शामिल थे. उन्होंने कहा, ‘ निस्संदेह ऐसे प्रश्न हैं जिन पर आप सवाल करते हैं. स्पष्ट रूप से पीटरसन विवाद एक कठिन समय था, इसमें कोई संदेह नहीं है. उस फैसले से आयी गिरावट न तो इंग्लैंड क्रिकेट के लिए अच्छा थी न ही मेरे लिए.’