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जीत के जश्न की बहार में आखिर पतझड़ क्यों है ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया के लिए खतरा!

गुच्छे में विकेट खोना टीम इंडिया के लिए मुश्किल खड़ी ना कर दें

Jasvinder Sidhu

अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान ड्रेसिंग रुम में हंसी-ठठ्ठा कम ही देखने को मिलता है. मिलता है जब सामने वाली टीम का बुरा हाल हो और वह खेल के किसी भी हिस्से में मुकाबले के लिए नाकाबिल हो जाए. श्रीलंका के खिलाफ उसके घर में सीरीज के दौरान यही हुआ.

जाहिर है कि श्रीलंका के खिलाफ 9-0 की जीत का जोश विराट कोहली की टीम की नसों में अभी तक ठंडा नहीं हुआ होगा. होना भी नहीं चाहिए, क्योंकि ड्रेसिंगरूम में अपने लेक्चरों से खिलाड़ियों के सौ फीसदी देने के लिए तैयार करने वाला कोच रवि शास्त्री भी है.


लेकिन तीन टेस्ट, पांच वनडे और एक टी-20 में जीत के इस जश्न की बहार में भारतीय टीम ने जो पतझड़ देखी है और जो क्रिकेट के चाहने वालों के दिखाई नहीं दी है, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में वह मेजबानों का सबसे कमजोर पहलू है.

बेशक पांच वनडे मैचों की सीरीज में टीम इंडिया ने श्रीलंका का 5-0 से सफाया किया लेकिन इस जीत में उसके कुछ आंकडों पर निगाह डालना जरुरी है.

दूसरे वनडे मैच में विराट की टीम ने 22 रन के भीतर अपने सात विकेट गंवाए थे. तीसरे वनडे में एक समय टीम का स्कोर 61 पर चार विकेट था. इस मैच में रोहित शर्मा 124 और महेंद्र सिंह धोनी  67 रन की मैच बचाऊ पारियां खेल गए.

चौथे वनडे में 262 पर दूसरा विकेट गिरा था और फिर 275 पर पांच बल्लेबाज ड्रेसिंगरूम में थे. आखिरी वनडे में पहले दो विकेट 29 पर गिरे.

इसमें कोई दोराय नहीं है कि भारतीय टीम की जीत का श्रेय उससे कोई नहीं ले सकता. लेकिन यह भी याद रखना जरुरी है कि ऑस्ट्रेलिया श्रीलंका नहीं हैं. वह ऐसी स्थिति में मैच को अपने हाथ से कतई नहीं जाने देगी.

इस सीरीज में भारत की स्थिति का समझना होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया अपने साथ बांए हाथ के स्पिनर एश्टन एगार, लेग स्पिनर एडम जांपा और ट्रेविस हेड जैसे युवा स्पिनरों के साथ आई है और उसके पास बतौर स्पिनर एरॉन फिंच और ग्लेन मैक्सवेल जैसे विकल्प मौजूद हैं.

ऐसे में यह सीरीज पूरी तरह से स्पिनरों की पिचों पर नहीं होने वाली. इसलिए पेट कमिंस, जेम्स फॉकनर और नाथन कॉल्टरनाइल जैसे सपाट पिचों पर भी विकेट निकालने की क्षमता रखने वाले तेज गेंदबाजों की मौजूदगी भारतीय टीम के लिए चेतावनी है.

यहां इस साल खेले गए ऑस्ट्रेलिया के दस मैचों पर भी निगाह डालना जरुरी हैं. ऑस्ट्रेलिया ने अपने घर और बाहर दस वनडे मैच खेले हैं और इसमें चार हारे व चार जीते हैं. दो में कोई फैसला नहीं हुआ.

इन आठ मैचों में ऑस्ट्रेलिया के ओपनर डेविड वार्नर के दो के अलावा चार बल्लेबाजों ने भी एक-एक शतक मारा है. साथ ही दस बल्लेबाज ऐसे थे जो पचास या पचास से ज्यादा रन बना कर आउट हुए.

साथ ही आठ पारियों में अधिकतर बल्लेबाजों का स्कोर दोहरे अंकों में रहा.  सबसे अहम है कि इस  टीम में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट में शर्मनाक हार का बुरा समय इस सीरीज के ठीक पहले देख लिया है जो कि अच्छी टीम के खिलाफ संभलने और बेहतर करने में काफी मददगार होता है.

लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती विराट का बल्ला है. आखिरी बार वह जनवरी 2016 में आस्ट्रेलियाई पिचों पर उनके गेंदबाजों के सामने थे और वह दुनिया की उम्दा पेस बॉलिंग के सामने चार मैचों में लगातार 91, 59,117 और 106 रनों की पारियां खेले थे.

भारतीय गेंदबाजों की बात करें तो सीरीज का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि वे पहले दो-तीन मैचों में डेविड वॉर्नर, स्टीव स्मिथ , पीटर हैंडसकॉम्ब और मार्कस स्टोइनिस को कितने सस्ते में निपटाते हैं.

वैसे अगर आप अच्छे क्रिकेट और बल्लेबाजी देखने के मुरीद हैं तो स्टोइनिस को जरुर देखिएगा. वैसे ऐसा भी हो सकता है कि वह आपको ऐसा करने के लिए मजबूर कर दें