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वो मैच जहां बरपा था वेस्टइंडीज की 'रफ्तार' का कहर, क्रीज पर ही नहीं आई आधी भारतीय टीम

1976 में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी. चौथे टेस्ट मैच कुछ ऐसा हुआ कि आधी से ज्यादा भारतीय टीम को अस्पताल जाना पड़ा

FP Staff

बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में 1976 में भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी. चार टेस्ट मैचों की सीरीज़ थी. भारतीय टीम पहला टेस्ट मैच बड़े अंतर से हार गई थी. लेकिन दूसरे टेस्ट मैच से वह धीरे-धीरे लय में आ गई. भारत ने दूसरा टेस्ट मैच ड्रॉ कराया. तीसरे टेस्ट मैच में भारतीय टीम एक कदम और आगे बढ़ी और जीत हासिल की.

अब तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं. चौथे टेस्ट मैच के नतीजे से सीरीज का फै़सला होना था. लेकिन उस टेस्ट मैच में कुछ ऐसा हुआ कि आधी से ज्यादा भारतीय टीम को अस्पताल जाना पड़ा. वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह ने अपनी किताब ‘क्रिकेट के अनसुने किस्से’ में भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे खतरनाक टेस्ट मैच की कहानी बयां की है.


पेंगुइन से प्रकाशित 180 पन्नों की किताब में क्रिकेट से जुड़े 50 किस्सों का वर्णन किया है जिनमें मंसूर अली खां पटौदी से लेकर वर्तमान समय के क्रिकेटरों और भारत के 2006 के पाकिस्तान दौरे से जुड़े किस्से शामिल हैं. इनमें से कई किस्सों के गवाह स्वयं लेखक रहे हैं.

जबर्दस्त शुरुआत हुई भारत की

किताब में लिखा गया है, जब ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम ने तीसरे टेस्ट मैच में जीत के बाद वेस्टइंडीज के गेंदबाजों से दुश्मनी मोल ली है. उस पर चौथे और आखिरी टेस्ट मैच में भारत की जबर्दस्त शुरुआत हुई. वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर भारत को इस इरादे से बल्लेबाजी के लिए बुलाया कि पूरी टीम को जल्द ही समेट दिया जाएगा. यह अलग बात है कि सुनील गावस्कर और अंशुमान गायकवाड ने पारी की शानदार शुरुआत की. स्कोर बोर्ड पर 100 रन जुड़ चुके थे और दोनों बल्लेबाज बड़े आत्मविश्वास से अपने शतक की ओर बढ़ रहे थे. वेस्टइंडीज की टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड को यह बात शायद हजम नहीं हुई. इसके बाद मैदान में जो हुआ, वह क्रिकेट के इतिहास में दर्ज है.

वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने बरपाया कहर

माइकल होल्डिंग की अगुआई में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों ने खतरनाक गेंदबाजी शुरू की. होल्डिंग का पहला शिकार बने अंशुमान गायकवाड. माइकल होल्डिंग की रफ़्तार से आई गेंद सीधे उनके कान पर लगी. मैदान में ही जबर्दस्त खून बहने लगा. इससे पहले भी उन्हें कई बार चोट लग चुकी थी.

पसलियों और अंगुलियों में दर्द से वो कराह रहे थे, लेकिन उन्होंने मोर्चा संभाला हुआ था. दाहिने कान में चोट लगने के बाद तो उनका खड़ा रहना भी मुश्किल था. आनन-फ़ानन में अंशुमान गायकवाड को अस्पताल ले जाया गया. पहले उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां के हालात ऐसे थे कि भारतीय टीम मैनेजमेंट ने अंशुमान को निजी अस्पताल ले जाना बेहतर समझा.

आईसीयू में रहे अंशुमान गायकवाड

इन सारी अफरा-तफरी के बीच अंशुमान गायकवाड अभी स्ट्रेचर पर ही थे कि अचानक कैरिबियाई अंदाज़ में आवाज़़ आई... ”वन मोर इज कमिंग.“ उस व्यक्ति के कहने का अंदाज निराला था. साथ ही वो हंस भी रहा था. अंशुमान गायकवाड को पता चला कि ब्रजेश पटेल भी घायल होकर अस्पताल आ गए हैं. अंशुमान गायकवाड की हालत अच्छी नहीं थी. उन्हें बहुत खून बह रहा था. उन्हें डॉक्टरों ने आईसीयू में रखा. भारतीय टीम मैनेजमेंट को बताया गया कि अगले 24 घंटे में तय होगा कि गायकवाड को और कितने दिन अस्पताल में रहना होगा.

अंशुमान गायकवाड को रह-रह कर नारी कॉन्ट्रैक्टर का किस्सा याद आ रहा था. अंशुमान बताते हैं कि वह भरसक इस बात की कोशिश कर रहे थे कि आंख बंद न हो यानी भयानक दर्द की हालत में भी वह बेहोशी से बचने की कोशिश कर रहे थे. एक्स-रे के लिए उन्हें एक किस्म के पोल पर टांग दिया गया. किसी को भी इस बात की परवाह नहीं थी कि उन्हें कितना दर्द हो रहा होगा. संयोग से जमैका का स्लोगन ही है ”नो प्रॉब्लम.“ दर्द से कराहते हुए अंशुमान गायकवाड ने अपना एक्स-रे कराया.

चंद्रशेखर और बेदी बल्लेबाजी करने ही नहीं उतरे

इधर भारतीय टीम बल्लेबाजी कर रही थी. भारत की पहली पारी 306 रनों पर डिक्लेयर हुई. इसके बाद चंद्रशेखर के पांच विकेट की बदौलत भारत ने इंग्लैंड को 391 रनों पर समेट भी दिया. मैच अब भी खुला हुआ था. लेकिन सच यह है कि भारतीय टीम में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं बचा था, जिसे कहीं न कहीं चोट न लगी हो. चंद्रशेखर और बिशन सिंह बेदी पहली पारी में बल्लेबाजी करने ही नहीं उतरे थे. लेकिन उन्हें गेंदबाजी के दौरान चोट लग गई थी.

दूसरी पारी में सिर्फ छह बल्लेबाज उतरे

आखिरकार दूसरी पारी में भारतीय टीम के छह बल्लेबाज सिर्फ बल्लेबाजी करने के लिए उतरे. पांच बल्लेबाज इस हालत में ही नहीं थे कि वे क्रीज पर बल्लेबाजी करने आएं. वेस्टइंडीज की टीम को चौथी पारी में 13 रन का लक्ष्य मिला था जो उन्होंने बिना कोई विकेट खोए हासिल कर लिया. वेस्टइंडीज की टीम ने 2-1 से सीरीज जीत ली. लेकिन इतिहास गवाह है कि उस मैच में वेस्टइंडीज को सिर्फ 11 विकेट मिले थे बाकी खिलाड़ी तो बल्लेबाजी करने के लिए क्रीज पर आए ही नहीं.

ऑस्ट्रेलिया में मिली हार से गुस्से नें थे लॉयड

दरअसल इसके पीछे क्लाइव लॉयड का वो ग़ुस्सा था, जो उन्हें ऑस्ट्रेलिया में मिली हार की वजह से आ रहा था. उनकी कप्तानी पर खतरा मंडरा रहा था लिहाजा उन्हें हर हाल में जीत चाहिए थी. इधर अंशुमान गायकवाड की हालत अच्छी नहीं थी. उनके सिर में भयानक दर्द था. अंशुमान बताते हैं कि अगर लेटते वक्त ज़रा सा भी सिर हिल जाए तो भयानक दर्द होता था. उन्होंने जब इस बात की जानकारी डॉक्टरों को दी तो उन्होंने और खतरनाक काम किया.

सोबर्स और लॉयड

वो उनके सिर को एक ही जगह पर रखने के लिए दो ‘क्लैंप’ बना ले आए और उसी के बीच उनका सिर फंसा दिया गया. अंशुमान को जब भी दर्द होता था तो उन्हें इंजेक्शन दे दिया जाता था. अंशुमान याद करके कहते हैं कि उस इंजेक्शन का ‘साइज’ ऐसा होता था जैसे हमारे यहां जानवरों को दिया जाता है.

कड़वी यादों को लेकर भारतीय टीम वापस लौटी

कैरेबियाई डॉक्टरों की राय थी कि अंशुमान गायकवाड को अभी कुछ और समय अस्पताल में रहना चाहिए. टीम के मैनेजर पॉली उमरीगर को यह बात बता भी गई थी. पॉली काका चाहते थे कि अंशुमान गायकवाड कुछ दिन और वहीं रहकर अपना इलाज कराएं, लेकिन अंशुमान को यह गवारा नहीं था. उन्हें लग रहा था कि पूरी टीम उन्हें छोड़कर चली जाएगी. आखिरकार उन्होंने एक दिन पॉली काका को यह साबित करने के लिए खुद चल कर दिखाया कि वो अब ठीक हैं. किसी तरह कड़वी यादों को लेकर भारतीय टीम वापस लौटी. कहते हैं कि जब भारतीय टीम घर लौटी तो खिलाड़ी पहचाने नहीं जा रहे थे. अंशुमान गायकवाड, ब्रजेश पटेल और गुंडप्पा विश्वनाथ के शरीर पर जगह-जगह पट्टिया बंधी हुई थीं.

(फोटो साभार- यूट्यूब- डॉक्यूमेंटी स्क्रीनशॉट)