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टीम इंडिया का कोच, तनख्वाह दो लाख हर रोज, काम सिर्फ सलाम ठोकना

विराट कोहली की पसंद से ही बनेगा नया कोच

Jasvinder Sidhu

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने कोच अनिल कुंबले के साथ अनबन के बाद साफ कर दिया कि उन्हें और उनके साथियों को नया कोच चाहिए जो उनके तरीके से टीम को चलाए. कुंबले के जाने के बाद बीसीसीआई ने कोच के पद के लिए पोस्ट निकाल दी है. नए कोच को हर साल करीब आठ करोड़ रुपये मिलेंगे. यानी उसकी हर दिन की सेलरी दो लाख रुपये से भी अधिक होगी.

अब सवाल यह उठता है कि आखिर नए कोच की जिम्मेदारियां क्या होंगी! अब नया कोच विराट कोहली के कवर ड्राइव को सुधारने का काम तो करेगा नहीं. ना ही वह अजिंक्य राहणे को सिखाने वाला है कि बल्लेबाजी कैसे करनी चाहिए!


कुंबले के साथ विवाद में यह भी साफ हो गया है कि टीम के चयन में कोच की भूमिका कुछ नहीं होगी. क्योंकि कुंबले ने एक साल के दौरान कई मौकों पर मैच के लिए प्लेइंग इलेवन के सेलेक्शन में न केवल अपनी हिस्सेदारी पर जोर दिया बल्कि वह सफल भी रहे.

नया कोच गेंदबाजों को भी ज्यादा कुछ बताने की स्थिति में नहीं होगा क्योंकि कप्तान का कुंबले के साथ विवाद का एक कारण यह भी था कि बीच मैच में वह बॉलर्स और बैट्समैन को 12वें खिलाड़ी के मार्फत अपनी सलाह भेजा करते थे. अब जब सब कर रहे हैं कि टीम केवल कप्तान की होती है, नए कोच की भूमिका पर शोध करने की जरूरत यकीनन पड़ेगी.

नए कोच के पक्ष में देखा जाए तो सबसे अहम बात यही है कि उसे एक या दो साल का करार मिलेगा और हर साल करीब आठ करोड़ रुपये. यह रकम काफी बड़ी है और यह भारत की कई बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के पैकेज के बराबर है.

यहां बताना जरूरी है कि अंडर-19 के कोच और पूर्व टेस्ट क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को बीसीसीआई ने दो साल के लिए नया करार दिया है और इसमें उनकी फीस दोगुनी कर दी है. राहुल को 2.4 करोड़ रुपये सालाना मिलते थे.

क्या नया कोच अब कप्तान से ले पाएगा पंगा?

ऐसे में भविष्य का कोई भी कोच कप्तान के साथ पंगा क्यों लेगा! खासकर जो विराट कोहली के कहने पर कोच के पद की रेस में कूदा हो.

इतनी ऊंची सेलरी के लिए बेशक कप्तान के सेल्यूट मारने के अलावा कुछ काम न हो, कोई भी चुपचाप चींटी की तरह चीनी की बोरी खाली करेगा.

सिर्फ चुपचाप ही नहीं बैठेगा बल्कि किसी बड़ी सीरीज में, यहां इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या साउथ अफ्रीका समझिए, टीम की हार पर वीर योद्धा की तरह जिम्मेदारी भी लेगा.

जाहिर है कि नया कोच कोहली का ‘अपना बंदा’ होगा. भारतीय क्रिकेट में उसका कद चाहे कितना भी ऊंचा हो, कोहली से उसका रिश्ता बुला कर नौकरी देने वाले कंपनी के मालिक के जैसा रहेगा.

कुंबले को लेकर भी पूर्व दिग्गजों के बदल रहे हैं सुर

यह अजीब मुल्क है. कुछ महीने तक सभी पूर्व दिग्गज कर रहे थे कि महान कुंबले की देखरेख में टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है. लेकिन उनके जाने के बाद एकाएक सभी की टोन बदल गई है.

सौरव गांगुली कोच चुनने वाली एडवाइजरी कमेटी के सदस्य हैं. वह कह रहे हैं कि टीम कप्तान की होती है और कोच को अच्छा ‘मेन मैनेजर’ होना चाहिए. यह काफी रोचक है.

ऐसा बताया जा रहा है कि कि कुंबले टीम के खिलाड़ियों को ठीक से मैनेज नहीं कर पाए. अगर ऐसा है तो उनके एक साल के कार्यकाल की जांच की जरूरत है ताकि अगले आने वाले कोच को बताया जा सके कि उसे किस तरह से स्टार खिलाड़ियों को मैनेज करना है!

लेकिन जो कुंबले के साथ हुआ, उससे साफ है कि यह मामला मैन मैनेजमेंट की नाकामी का नहीं है. असल में कुंबले ‘एडजेस्टमेंट’ नहीं कर पाए. और यह एडजेस्टमेंट काफी आसान थी. उन्हें चुपचाप कप्तान के हुक्म पर अमल करना चाहिए था. ऐसा कैसे करते हैं, वह अगले कोच से एक या दो साल बाद कोचिंग ले सकते हैं.