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बीसीसीआई अगर चाहती है कि सहवाग कोच बनें, तो पहले उनका इतिहास जरूर पढ़ लें!

क्या सहवाग के पास कोच बनने की काबिलियत है?

Lakshya Sharma

आखिरकार अनिल कुंबले ने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद से इस्तीफा देकर बता दिया कि कोहली ने जिस विवाद को सिर्फ अफवाह बताया था, वह सच था. कोहली ने बार बार कहा था कि उनके और कुंबले के बीच कोई विवाद नहीं है. लेकिन कुंबले के लेटर ने उनकी सारी पोल खोल दी.

चलिए अब कुंबले तो गए, अब आगे क्या. कुंबले की जगह कौन लेगा. इस रेस में एक नाम अब भी सबसे ऊपर चल रहा है, वह नाम है वीरेंद्र सहवाग. सहवाग से तो खुद बीसीसीआई ने कहा था कि कोच पद के लिए आवेदन करो. इसका मतलब है कि बीसीसीआई को लगता है कि सहवाग एक अच्छे कोच साबित होंगे लेकिन क्या सच में ऐसा है.


आपको याद होगा कि सहवाग आईपीएल 10 में किंग्स इलेवन पंजाब के मेंटर थे और एक हार के बाद उन्होंने खुले तौर पर अपने खिलाड़ियों की बुराई करना शुरू कर दिया था.

आईपीएल 10 के आखिरी लीग मैच में राइजिंग पुणे सुपरजायंट के हाथों किंग्स इलेवन पंजाब को मिली करारी हार के बाद टीम के कोच वीरेंद्र सहवाग का गुस्सा कप्तान ग्लेन मैक्सवेल पर फूट पड़ा था. यह मैच काफी अहम था क्योंकि इस मैच को जीतकर वह प्ले ऑफ में जगह बना सकते थे.

सहवाग ने पंजाब के कप्तान मैक्सवेल के साथ-साथ दो और विदेशी खिलाड़ियों पर भी अपना गुस्सा जाहिर किया. वीरू ने शॉन मार्श और ऑइन मॉर्गन को भी इस बड़ी हार के लिए जिम्मेदार ठहराया.

सहवाग ने कहा कि, ग्लेन मैक्सवेल, शॉन मार्श और मॉर्गन ये तीनों ही इस टीम के सीनियर खिलाड़ी थे और उनको जिम्मेदारी विकेट पर टिके रहने की कोशिश करनी चाहिए थी, लेकिन वो ऐसा करने में असफल रहे.

हम ये नहीं कह रहे कि सहवाग ने कुछ गलत कहा लेकिन उन्होंने जिस अंदाज और जिस तरीके से कहा क्या वह तरीका किसी कोच का हो सकता है. शायद नहीं. हां वह ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों को दोष दे सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

अब जरा सोचिए कोहली ने तो अनिल कुंबले को इसलिए हटवा दिया क्योंकि उन्हें कुंबले का कोचिंग का तरीका पसंद नहीं आया. अब सहवाग को अगर टीम इंडिया का कोच बनाया गया तो इसकी क्या गारंटी है कि वह टीम इंडिया के खिलाड़ियों को रास आएगा. अब किसी खराब प्रदर्शन के बाद सहवाग अगर किसी खिलाड़ी की बुराई कर दें तो कितना विवाद होगा. अंदाजा लगाएं.

वैसे भी सहवाग अपने बड़बोलेपन के कारण जाने जाते हैं. कमेंटरी में भी वह कई बार ऐसी बात कर चुके हैं जिससे उनके साथी भी परेशान हो जाते हैं.

आपको वो किस्सा भी याद होगा जब सहवाग ने एक बार बीसीसीआई के उस समय के अध्यक्ष शशांक मनोहर को इतना तक कह दिया था कि बीसीसीआई खिलाड़ियों की वजह से पैसा कमाता है. इसके बाद उन्हें काफी समय तक टीम से बाहर रहना पड़ा था.

अब बीसीसीआई से सवाल ये है कि सहवाग ने कभी टीम मीटिंग में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई. उन्हें तो मीटिंग पसंद तक नहीं थी. रणनीति तो उनकी खुद की बल्लेबाजी में नहीं होती थी तो वह टीम के लिए कैसे बनाएंगे.

अब या तो ये हो सकता है कि सहवाग अपने व्यवहार के अनुसार खिलाड़ियों को बोल दें कि जैसा करना है करो. जैसे खेलना है खेलो. लेकिन क्या ये तरीका एक राष्ट्रीय टीम के लिए सही होगा. अब जवाब तो अगर सहवाग कोच बनते हैं तभी मिल पाएगा. लेकिन भारतीय टीम में एक और विवाद उसे सालों पीछे ले जा सकती है.