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क्या बीसीसीआई में तूफान लेकर आएगा फैसला?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार, फैसले के बाद शुरू होंगे कुछ और 'खेल'

FP Staff

खामोश रविवार बीसीसीआई के अंदर की बेचैनी नहीं छिपा पा रहा होगा. बीसीसीआई यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को बेचैनी से सोमवार का इंतजार है, जब सुप्रीम कोर्ट उसके भविष्य पर फैसला करेगा. फैसला खिलाफ जाता है, तो 'प्लान बी' लागू करने के खेल शुरू होंगे, जिसमें अपने-अपनों को टॉप पदों पर बिठाया जा सकता है.

लोढ़ा कमेटी और बीसीसीआई के बीच चल रही तनातनी पर फैसला होना है. कोर्ट ने बीसीसीआई को ये निर्देश पहले ही दे दिए हैं कि कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाएगा. हालांकि बीसीसीआई ने इसे टालने की कोशिश की है और इस वजह से लोढ़ा पैनल की नाराजगी भी उसे झेलनी पड़ी है.


तीन मीटिंग के बाद भी गतिरोध बरकरार

अदालत के निर्देशों के बाद अक्टूबर से अब तक बीसीसीआई ने तीन मीटिंग कर ली हैं. लेकिन उसके मुताबिक राज्य संघ अब भी  बात मानने को तैयार नहीं हैं. बीसीसीआई के आलोचक लगातार कहते रहे हैं कि राज्य संघों को न मानने के लिए कहा जा रहा है. माना यही जा रहा है कि अगर अदालत किसी भी तरह बात नहीं सुनती, तो अपने खास लोगों को पद पर बिठाया जाए. लेकिन वो खेल सोमवार के बाद. अभी बीसीसीआई की ख्वाहिश होगी कि राहत मिल जाए.

अदालत ने बीसीसीआई को वक्त दिया था कि वो राज्य संघों को मना सके. लेकिन तीन बैठक के बाद भी ऐसा नहीं हो सका है. इसी के बाद लोढ़ा पैनल ने एक ऑब्जर्वर नियुक्त करने की सिफारिश की थी. इसके लिए जीके पिल्लै का नाम भी सुझाया था.

अभी जो हालात हैं, उसमें अदालत ने बीसीसीआई से 21 अक्टूबर को कहा था कि वो सभी राज्य संघों से बात करे और जब तक वे न मानें, उन्हें फंड न दिया जाए. इस दौरान विदर्भ और त्रिपुरा ने अपनी सहमति जताई थी, जबकि हैदराबाद क्रिकेट संघ बिना किसी ना-नुकुर के लोढ़ा कमेटी के सारे सुझाव मानने को तैयार हो गया था. उसने अपनी लिखित सहमति भी दे दी थी.

अदालत ने बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के से भी कहा था कि वे लोढ़ा कमेटी से बात करें. पांच नवंबर को ठाकुर ने एक रिपोर्ट कमेटी को दी थी, जिसके अनुसार 30 राज्य संघों ने लोढ़ा पैनर के किसी न किसी सुझाव पर आपत्ति जताई थी और पूरी तरह उसे अपनाने में असमर्थता जाहिर की थी. ठाकुर ने कहा था कि बीसीसीआई के संविधान में किसी भी संशोधन के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत होती है. ऐसा न हो पाने की वजह से वे कमेटी के सुझावों को लागू नहीं करवा पा रहे हैं. दो दिसंबर की भी बोर्ड की बैठक हुई. इसमें भी यही कहा गया कि वे अदालत के निर्देश का इंतजार करेंगे. जाहिर है, वे पांच दिसंबर तक इंतजार करना चाहते थे.

अध्यक्ष पर भी हैं आरोप

अदालत के सामने एक और मुद्दा है, जो अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से जुडा हुआ है. ठाकुर पर आरोप है कि उन्होंने आईसीसी से एक पत्र लिखने को कहा. इसके मुताबिक, लिखा जाना था कि भारतीय बोर्ड के मामले में सरकारी या बाहरी दखल हो रहा है. आईसीसी इसकी इजाजत नहीं देता और बीसीसीआई को निलंबित किया जा सकता है. आईसीसी के मुख्य कार्यकारी डेव रिचर्ड्सन ने कहा था कि ठाकुर ऐसा पत्र चाहते हैं. उनके मुताबिक आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर ने तब तक पत्र न देने को कहा, जब तक बीसीसीआई से लिखित में गुजारिश न की जाए. हालांकि इन आरोपों को ठाकुर ने खारिज कर दिया था कि उन्होंने ऐसा कोई पत्र लिखने के लिए कहा.

आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर.

अदालत ने हालांकि टिप्पणी की कि पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि ठाकुर ने पत्र लिखने को कहा. अगर ऐसा हुआ है, तो यह गंभीर मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने लोढा पैनल से कहा था कि मनोहर से शपथपत्र दाखिल करने को कहें, ताकि मामला साफ हो सके. इस बारे में भी सोमवार को स्थितियां साफ होंगी.