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संडे स्पेशल: तीन हिट ओपनरों के बावजूद क्यों अब भी भारत को है ओपनिंग जोड़ी का इंतजार

एक दिवसीय क्रिकेट में रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी जिस दिन बनी उस दिन से चल पड़ी है

Rajendra Dhodapkar

क्रिकेट में तेज गेंदबाज और ओपनिंग बल्लेबाज जोड़ी के रूप में ज्यादा कामयाब रहते हैं. दोनों खिलाड़ियों का तालमेल दोनों का प्रभाव बहुत बढ़ा देता है. टीम में स्पिनर एक या दो हो सकते हैं इसलिए स्पिनरों की जोड़ियां कम होती है. रामाधीन-वैलेंटाइन , प्रसन्ना-बेदी , जिमलेकर-टोनी लॉक जैसे नाम जोड़ियों में लिए जाते हैं लेकिन दुनिया के ज्यादातर स्पिनरों की स्थायी जोड़ियां नहीं बनीं. लिंडवाल-मिलर , ट्रुमन- स्टेथम, हॉल-ग्रिफ़िथ, लिली-थॉमसन, वसीम-वकार जैसी तेज गेंदबाजों की जोड़ियां अक्सर याद की जाती हैं, लॉयड की वेस्टइंडीज टीम में तो खैर चौकड़ी ही हुआ करती थी.

तेज गेंदबाजों में कम ही मिलती है अच्छी जोड़ियां


तेज गेंदबाजों के मुकाबले ओपनिंग बल्लेबाजों की अच्छी जोड़ी मिल पाना ज्यादा मुश्किल है. अच्छी ओपनिंग जोड़ियां कम हुई हैं और जिन टीमों को अच्छी ओपनिंग जोड़ी मिली है वे कई मायनों में किस्मतवाली रही हैं. अच्छी ओपनिंग जोड़ी टीम की बल्लेबाजी के लिए मजबूत नींव साबित होती हैं. कहते हैं कि खेल का पहला घंटा गेंदबाजों का होता है और अगर वह वक्त निकाल लिया जाए तो बाकी दिन बल्लेबाजों के नाम होता है. अच्छी ओपनिंग जोड़ी वह एक घंटा निकाल कर गेंद की चमक और पिच की तेजी का दौर निकाल देती है और आगे आने वाले बल्लेबाजों के लिए राह आसान कर देती है.

हर टीम ओपनिंग बल्लेबाजों के लिहाज से किस्मतवाली नहीं होता. वॉरेल और सोबर्स की विश्वविजेता वेस्टइंडीज टीम में भी कभी अच्छी ओपनिंग जोड़ी नहीं रही. कॉनराड हंट महान ओपनिंग बल्लेबाज थे लेकिन उन्हें स्थायी साथी कभी नहीं मिला. बाद में जब रॉय फ्रेडिक्स आए तब तक हंट जा चुके थे. उसके बरक्स लॉयड को गॉर्डन ग्रीनिज और डेस्मंड हेन्स जैसी शानदार जोड़ी मिली जिसने उनकी टीम की कामयाबी में बडी भूमिका निभाई.

भारत के पास अच्छे ओपनर पर जोड़ी की कमी

जोड़ी बनने में सिर्फ दो बढ़िया ओपनर होना काफी नहीं है, उसमें और भी बहुत सारी खूबियां होना जरूरी है तभी वह स्थायी और कामयाब जोड़ी बनती है. सुनील गावस्कर के मुकाबले अंशुमान गायकवाड, चेतन चौहान और कृष्णामचारी श्रीकांत के बल्लेबाजी के आंकड़े उतने अच्छे नहीं हैं लेकिन गावस्कर के साथ इन तीनों की बहुत अच्छी जोड़ियां बनीं. इसके बरक्स आज की भारतीय टीम है. एक मायने में यह टीम किस्मतवाली इसलिए दिखती है कि पिछले कुछ बरसों से इसमें दो नहीं बल्कि तीन अच्छे ओपनर रहे हैं. मुरली विजय, शिखर धवन और के एल राहुल तीनों शानदार ओपनर हैं और तीनों के बल्लेबाजी के आंकड़े इसके गवाह हैं. लेकिन अजीब बात यह कि तीनों के योग बिल्कुल नहीं मिलते.

तीन अच्छे ओपनर होने के बावजूद भारत को लगातार अच्छी ओपनिंग करने वाली कोई जोड़ी नहीं मिली. ऐसा नहीं हुआ कि कोई ऐसी जोड़ी हो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हो. कभी कोई चोटिल हो गया, कभी कोई आउट ऑफ फॉर्म है तो कभी कोई किसी ओर वजह से नहीं खेल पा रहा है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि लगातार पांच टेस्ट मैच में कोई एक जोड़ी खेली हो. जब स्थायित्व नहीं होगा तो तालमेल नहीं होगा, तालमेल नहीं होगा तो अच्छा प्रदर्शन नहीं होगा. इसी वजह से पिछले कई साल से भारत को अच्छी शुरुआत नहीं मिली, खासकर विदेशी दौरों पर कम ही पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी हुई हो. ज्यादातर बार भारत का पहला विकेट पहले घंटे में ही गिरा है.

हिट है रोहित और शिखर धवन की जोड़ी

तीन अच्छे ओपनर हमारे पास हैं लेकिन तीनों के ग्रह नक्षत्र नहीं मिलते. इसके बरक्स एक दिवसीय क्रिकेट में रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी जिस दिन बनी उस दिन से चल पडी है.

भारत को सीमित ओवरों के क्रिकेट में जो कामयाबी मिली है वह बहुत हद तक इस जोड़ी और उसके बाद विराट कोहली की बल्लेबाजी से है. उसके बाद तो भारत के पास बल्लेबाजी है ही नहीं. इसके मुकाबले टेस्ट में भारत की बल्लेबाजी पहला विकेट गिरने के बाद ही शुरू होती है. साझेदारी के लिहाज से गावस्कर-गायकवाड, गावस्कर-श्रीकांत और गावस्कर-चौहान का रिकॉर्ड इन तीन शुरुआती बल्लेबाजों के मिले जुले रिकॉर्ड से बहुत बेहतर है.

अब इस समीकरण में एक चौथा कोण यानी पृ्थ्वी शाह और जुड़ गया है. पृथ्वी शाह की शुरुआत तो शानदार रही है. उनकी तुलना गावस्कर और सहवाग के साथ हो रही है. जितनी प्रतिभा और आत्मविश्वास उनमें दिखता है वह बडी उम्मीदें जगाने वाला है. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर उनका जाना तय है और सभी चाहेंगे कि वे वहां कामयाब हों. साथ ही हमें यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि अन्य शुरुआती बल्लेबाजों के साथ खास कर राहुल के साथ उनका बढ़िया तालमेल हो और साथ साथ दोनों का खेल निखरे. हमें अच्छे ओपनिंग बल्लेबाजों की जरूरत तो है ही ,लेकिन अगर वे अच्छी ओपनिंग जोड़ी बना पाएं तो बात ही क्या है.