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पुण्‍यतिथि विशेष: बस एक फोन कॉल ने काट दिया था गुप्ते का क्रिकेट से 'कनेक्‍शन', कहा जाता था स्पिन का जादूगर

कानपुर के मैदान पर कैरेबियाई टीम के 9 खिलाड़ियों को एक ही इनिंग में चलता कर सुभाष गुप्ते ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा था

Nitesh Ojha

सुभाष गुप्ते भारतीय स्पिन के वह सितारा थे, जिनका करियर महज 32 साल की उम्र में इस लिए अस्त हो गया, क्योंकि उनके रूममेट ने एक लड़की के साथ डेट पर जाने की इच्छा जताई थी. बात 1961 की है जब इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आई थी. इस दौरे के दौरान भारतीय टीम दिल्ली इम्पीरियल होटल में ठहरी थी. इस होटल के कमरा नंबर सात में सुभाष गुप्ते के साथ कृपाल सिंह भी थे. कृपाल ने फोन करके होटल की एक रिसेप्सनिस्ट को ड्रिंक्‍स के लिए बुलाया, लेकिन उसने आने से इनकार कर दिया और इसकी शिकायत कर दी. जिसके बाद बोर्ड के सैक्रेटरी एएन घोष ने कृपाल सिंह के साथ-साथ गुप्ते पर भी वेस्ट इंडीज दौरे के लिए बैन लगा दिया. जिसका कारण उन्होंने बताया कि गुप्ते ने कृपाल सिंह को फोन लगाने से रोकने का प्रयास नहीं किया.

इस घटना के बाद महज 32 साल की उम्र में 36 मैचों में 149 विकेट लेने वाला स्पिन का यह जादूगर अपनी पत्नी के पास त्रिनिदाद चला गया और फिर भारतीय क्रिकेट टीम में कभी नहीं लौटा. 30 दिसंबर 1951 को इंग्लैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले इस खिलाड़ी की शुरुआत भले ही कुछ खास नहीं रही हो. लेकिन समय के साथ इस खिलाड़ी ने दुनिया भर के दिग्गजों को अपनी स्पिन गेंदबाजी का दीवाना बना दिया था.


एक ही इनिंग में वेस्‍टइंडीज के नौ विकेट चटके

गुगली और लेग ब्रेक के गुणी सुभाष ने उस दौर की घातक टीम वेस्ट इंडीज को अकेले दम पर कानपुर के मैदाम में पटक दिया था. बल्लेबाजी के लिए मशहूर कानपुर के मैदान पर दिग्गज खिलाड़ियों से सुसज्जित कैरेबियाई टीम के 9 खिलाड़ियों को एक ही इनिंग में चलता कर गुप्ते ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा था. उन्होंने उस दिन 102 रन देकर 9 विकेट झटके थे. दसवां विकेट भी उन्हें मिल जाता, अगर विकेटकीपर नरेन तम्हाणे के हाथ से कैच न छूटा होता तो. एक इनिंग में दस विकेट लेने का मौका भले ही गुप्ते के हाथ से छूट गया हो, लेकिन इस घातक गेंदबाजी से उन्होंने कैरेबियाई बल्लेबाजों के जहन में खौफ जरूर पैदा कर दिया था.

कैरेबियाई खिलाड़ी मानने लगे थे कि लेग ब्रेक और गुगली के विशेषज्ञ सुभाष गुप्ते कांच पर भी गेंद को टर्न करा सकते हैं. वहीं कानपुर में की गई गुप्ते की घातक गेंदबाजी पर भारतीय क्रिकेट के एक और जाने माने स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने कहा था कि 'गुप्ते की इस मैच में की गई गेंदबाजी से प्रभावित होकर ही उन्होंने स्पिनर बनने का फैसला किया था.

गुप्ते को शेन वॉर्न से भी बड़ा लेग स्पिनर मानते थे सोबर्स

सुभाष गुप्ते की गेंदबाजी के दीवानों में एक नाम सर गैरी सोबर्स का भी आता है. यह वही गैरी हैं जिनका नाम लगातार छह छक्के लगाने वाले पहले बल्लेबाज के तौर पर दर्ज है. हालांकि सोबर्स और गुप्ते का पांच मैचों में ही आमना सामना हुआ है. जिसमें सिर्फ एक बार ही गुप्ते ने सोबर्स का विकेट झटका था. लेकिन फिर भी सोबर्स ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने गुप्ते को गेंदबाजी करते हुए देखा था. महान बल्लेबाज गैरी सोबर्स गुप्ते को सर्वश्रेष्ठ स्पिनर मानते थे. उनका मानना था कि गुप्ते ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर शेन वॉर्न से कहीं ज्यादा बेहतर लेग स्पिनर थे. उन्होंने 'इन ए लीग ऑफ देयर अवन: 100 क्रिकेट लेजेंड सलेक्ट देयर वर्ल्ड इलेवन' में इस बात का जिक्र किया है कि वॉर्न एक शानदार गेंदबाज हैं लेकिन एक स्पिनर के तौर पर सुभाष गुप्ते उन से कहीं ज्यादा बेहतर हैं.

लेग स्पिन और गुगली में माहिर इस महान गेंदबाज को भारतीय क्रिकेट ने बिना गलती के मिली सजा के कारण भुला दिया, लेकिन उनकी शानदार गेंदबाजी के साक्ष्य बार-बार उनकी याद दिलाते रहते हैं. 1961 की उस घटना के बाद स्पिन का यह जादूगर त्रिनिदाद में ही बस गया था. जहां 31 मई 2002 को 72 साल की उम्र में बीमारी से लड़ते हुए उनकी मौत हो गई थी.