view all

'विराट काल' की कहानी... 34 टेस्ट में खेल चुके हैं 34 खिलाड़ी

पिछले तीन साल में विराट की कप्तानी में 34 खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन का हिस्सा रहे हैं, वह कभी भी लगातार एक जैसी प्लेयिंग इलेवन के साथ नहीं खेले

FP Staff

दक्षिण अफ्रीकी पत्रकार के सवाल पर विराट कोहली नाराज जरूर हो गए थे. लेकिन उन्हें वाकई समझना पड़ेगा कि कि टेस्ट कप्तान के तौर पर उन्होंने क्या किया है. पिछले तीन साल में विराट की कप्तानी में 34 खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन का हिस्सा रहे हैं. कोहली की कप्तानी के तीन साल का लेखा-जोखा साबित करता है कि कैसे टीम चयन में किसी भी तरह की निरंतरता नहीं रही है.

जाहिर है, यह कई बार चोट की वजह से भी टीम में बदलाव करना पड़ता है. लेकिन चोट हो या अपनी पसंद, टीम में बदलाव होते रहे हैं. इन बदलावों पर दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले ज्यादा सवाल नहीं उठे थे, क्योंकि भारतीय टीम लगातार जीत रही थी.


न्यूज 18 की खबर के मुताबिक सात टेस्ट ऐसे हैं, जब कोहली ने कम से कम एक खिलाड़ी बदला. 16 टेस्ट में दो खिलाड़ी, छह टेस्ट में तीन खिलाड़ी और चार टेस्ट में चार खिलाड़ियों को बदला गया. एक टेस्ट में तो पांच बदलाव हुए. यह टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में 2014 में खेला गया था और कप्तान के तौर पर विराट का पहला टेस्ट था.

यह कहा जा सकता है कि कोहली के समय कभी तय सलामी बल्लेबाज नहीं रहे. मुरली विजय, केएल राहुल या शिखर धवन में कोई न कोई चोटिल या फॉर्म से बाहर रहा है. कोहली के काल में विजय ने 25, राहुल ने 20 और धवन ने 17 टेस्ट खेले हैं. इस दौरान भारत ने सात सलामी बल्लेबाजों को आजमाया है. ये हैं – विजय, चेतेश्वर पुजारा, राहुल, धवन, पार्थिव पटेल, गौतम गंभीर और अभिनव मुकुंद.

हालांकि इन तीन सालों में सिर्फ छह खिलाड़ियों को टेस्ट कैप मिली है. ये हैं – कर्म शर्मा, नमन ओझा, जयंत यादव, करुण नायर, हार्दिक पांड्या और जसप्रीत बुमराह.

धोनी की कप्तानी में रविचंद्रन अश्विन को कई बार बाहर का रास्ता देखना पड़ा था. लेकिन विराट की कप्तानी में वही सबसे भाग्यशाली हैं. कोहली की कप्तानी के 34 टेस्ट में वो 33 खेले हैं. सिर्फ एक बार उन्हें बाहर बैठना पड़ा था, जब उनकी जगह हैरानी करने वाले फैसले के साथ कर्ण शर्मा को टीम में जगह दी गई थी. अश्विन ने इस दौरान खेले 33 टेस्ट में 193 विकेट लिए हैं और 1159 रन बनाए हैं.

जिस खिलाड़ी पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, अब उसकी बात कर लेते हैं. अजिंक्य रहाणे. उन्होंने इन 34 में 30 टेस्ट खेले हैं. नंबर पांच पर बल्लेबाजी की है. 37 पारियों में उन्होंने 39.75 की औसत से 1312 रन बनाए हैं.

जो बदकिस्मत रहे हैं, उनमें भुवनेश्वर कुमार हैं. भुवी ने 34 में सिर्फ आठ टेस्ट खेले हैं. सिर्फ एक मौका रहा, जब वो लगातार दो टेस्ट मैचों में टीम का हिस्सा रहे. यह वेस्टइंडीज में 2016 की बात है.

चेतेश्वर पुजारा और ऋद्धिमान साहा ने 29-29 टेस्ट खेले हैं. पुजारा लगातार नंबर तीन पर खेले और 54.67 की औसत से 2187 रन बनाए. साहा ने नंबर सात पर 23 पारियां खेलीं. इस दौरान रोहित शर्मा ने 17 टेस्ट खेले. ज्यादातर समय वो नंबर छह पर बल्लेबाजी करने आए. इस नंबर पर 14 पारियां खेलीं, जो अश्विन से एक ज्यादा है. कोहली काल में भारत ने नंबर छह पर नौ खिलाड़ियों को आजमाया, जो किसी बैटिंग पोजीशन पर सबसे ज्यादा हैं.