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आसान नही रहा महिला विश्वकप की स्टार स्मृति मंधाना का सफर

मशहूर क्रिकेटर विजय हजारे के शहर की हैं स्मृति मंधाना

Riya Kasana

महिला विश्वकप 2017, भारत वेस्टइंडीज लीग मैच, भारत को जीत के लिए 10 रनों की जरूरत थी. कप्तान स्टिफनी टेलर की गेंद को इनसाइड आउट खेला गया और इसी चौके के साथ  स्मृति मंधाना ने अपना शतक पूरा कर लिया. 20 साल की स्मृति ने हेलमेट उतारा और मासूम मुस्कान के बल्ला हवा में उठाकर अभिवादन स्वीकार किया.

भारत महिला टीम की वेस्टइंडीज पर जीत की हीरो या कहिए हीरोइन बनी स्मृति मंधाना. इसके बाद एकाएक ट्विटर पर #smritimandhana या #mandhana ट्रेंड करने लगा.कोई उनकी बल्लेबाजी का फैन दिखा तो कोई उनकी मुस्कान का तो कोई उनकी फील्डिंग का कायल दिखा. जीएसटी और भारत की तमाम बड़ी खबरों के बीच मंधाना ने अपने सैकड़े से अपनी जगह बना ली.


भारत की यह खिलाड़ी इस वक्त अपना बेहतरीन क्रिकेट खेल रही हैं. एक शानदार ओपनर हैं. वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में कप्तान टेलर का  रन आउट उनकी शानदार फील्डिंग का नमूना था.  कम उम्र में इस कामयाबी के पीछे मंधाना की मेहनत, क्रिकेट प्रति उनका प्रेम और उनकी लगन हैं. महाराष्ट्र के छोटे से शहर सांगली से इंग्लैंड में उनके शतक तक का उनका सफर आसान नहीं रहा.

भाई को देखकर आईं क्रिकेट में

क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी रहे  हजारे की ही शहर की मंधाना  ने बचपन से ही अपने बड़े भाई श्रवण को क्रिकेट खेलते देखा. श्रवण महाराष्ट्र की अंडर 19 टीम के लिए खेला करते थे. भाई को देख देखकर ही मंधाना का मन क्रिकेट में रम गया. उनकी मेहनत का असर था कि 16 साल की कम उम्र में उन्होंने  2013 में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ अपना डेब्यू किया.

मेहनत को मिली पहचान

साल 2016 मंधाना के करियर के लिए बेहद सफल रहा. उनके बल्ले से पहला शतक 2016 में ऑस्ट्रेलिया टूर में दूसरे वनडे में निकला. उन्होंने 109 गेंदों में 102 रन बनाए थे. हालांकि टीम वह मैच हार गई लेकिन स्मृति ने इससे अपनी पहचान बना ली. इसी मैच के बाद उन्हें बीग बैश लीग में ब्रिस्बेन हीट के लिए खेलने का मौका मिल गया. इसी साल उन्हें ‘आईसीसी प्लेयर ऑफ द ईयर’ का खिताब मिला. यह खिताब पाने वाली वह इकलौती महिला खिलाड़ी हैं.

विश्व कप 2017

विश्वकप में मंधाना के प्रदर्शन को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वह लंबे समय बाद वापसी कर रहीं हैं. ब्रिसबेन हीट के लिए खेलते समय वह इंजर्ड हो गई थी. जिसके बाद कुछ समय के लिए वह मैदान से दूर हो गई थी. वह ना तो विश्व कप क्वालिफायर खेल सकीं और ना ही साउथ अफ्रीका में खेली जा रही चतुष्कोणीय सीरीज में टीम का हिस्सा बनी. इंजरी ने उनके विश्वकप खेलने के सपने को झटका जरूर दिया पर उसे तोड़ नहीं पाई. मंधाना का आत्मविश्वास और इस खेल के प्रति उनका जूनून ही था जिसकी वजह से जिस इंजरी से उभरने में लोगों को आठ से नौ महीने लगते हैं, वहीं मंधाना 5 महीने में फिट हो कर अपनी टीम के साथ जुड़ गईं.

विश्वकप में मंधाना बेहतरीन खेल दिखा रही हैं. पहले मैच में मेंजबान इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 90 रनों की पारी खेली थी और ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का खिताब अपने नाम किया. वेस्टइंडीज के खिलाफ उनके शतक ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई. भारतीय टीम को इस युवा खिलाड़ी से बहुत उम्मीदें हैं.

भारत में महिला क्रिकेट को अब तक वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जिसकी भारतीय टीम हकदार है. ऐसे में सांगली जैसे छोटे शहर से विश्व कप में अपनी छाप छोड़ने वाली स्मृति भारत की बहुत सी लड़कियों को सपने देखने की हिम्मत दे रहीं हैं. स्मृति मंधाना के अंदर विजय हरारे जैसा खिलाड़ी देने वाली सांगली की परंपरा को आगे ले जाने की कबिलियत है.