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सीरीज बराबर करनी है तो इन बातों पर ध्यान दे 'टीम इंडिया'

पुणे टेस्ट में हार के बाद भारतीय थिंक टैंक के सामने कई चुनौतियां

Lakshya Sharma

टीम इंडिया की पुणे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया से हार से हर कोई चकित था. खुद भारतीय टीम को उम्मीद नहीं थी कि उनकी टीम इस तरह हारेगी. इस सीरीज के लिए पूरी भारतीय टीम ने काफी मेहनत की थी.

खास बात यह कि अजिंक्य रहाणे, लोकेश राहुल और जयंत यादव जैसे चोटिल खिलाड़ी फिट हुए और बड़ी सीरीज के लिए तैयार होकर आए. लेकिन फिर भी नतीजा वो नहीं आया जो भारतीय टीम चाहती थी. पुणे टेस्ट में हार के बाद भारतीय थिंक टैंक के सामने कई चुनौतियां है.


पिच रैंक टर्नर नहीं स्पिन फ्रेंडली हो

पुणे में पहले दिन दूसरे ओवर में ही स्पिनर को लगा दिया गया और गेंद ने स्क्वेयर टर्न लेना शुरू कर दिया था. ऐसी रैंक टर्नर पर सही जगह पर गेंदबाजी कर विपक्षी टीम हावी हो सकती है. साल 2004 में कंगारू टीम के खिलाफ मुंबई टेस्ट, फिर साल 2012 में इंग्लैंड सीरीज इसी बात के कुछ उदाहरण हैं.

जबकि स्पिन फ्रेंडली पिचों पर बेहतर काबिलियत से ही विकेट मिलेगा. ऐसे में यहां टीम इंडिया के स्पिनर हावी होंगे, क्योंकि वह ऐसी ही पिचों पर खेलकर बड़े हुए हैं. यहां उनसे बेहतर कोई नहीं. वैसे भी ओ‘कीफ और लायन तकनीकी रूप से इतने बड़े स्पिनर नहीं है जो भारतीय बल्लेबाजों को परेशान कर सके.

ओपनरों को देनी होगी ठोस शुरुआत

पहले विकेट के लिए बड़ी साझेदारी नहीं होना इस समय भारतीय टीम की बड़ी समस्‍या होती है. ओपनर बल्‍लेबाज यदि बड़ी साझेदारी करने में कामयाब होते हैं तो आगे के बल्‍लेबाज इस नींव के आधार पर बड़े स्‍कोर की इमारत खड़ी कर सकते हैं.

दुर्भाग्‍य से चोट अौर अन्‍य कारणों से पिछले एक साल में टीम इंडिया की ओपनिंग जोड़ी लगातार बदलती रही है. शिखर धवन, गौतम गंभीर, पार्थिव पटेल जैसे खिलाड़ी भी पारी की शुरुआत कर चुके हैं. बेंगलुरु में मुरली विजय और लोकेश राहुल की जोड़ी को टीम के लिए बड़ी साझेदारी करनी होगी ताकि आगे के बल्‍लेबाज स्‍कोर को ऊंचाई पर पहुंचा सकें और विपक्षी टीम पर दबाव बनाया जा सके.

जयंत की जगह कुलदीप

ये थोड़ा अजीब बदलाव हो सकता है लेकिन शायद ये अधिक कारगर साबित हो सकता है. बाएं हाथ के कुलदीप यादव एक ऐसे चाइनामैन गेंदबाज हैं जिनके बारे में कोई ज्यादा नहीं जानता.

विश्व में चाइनामैन गेंदबाज ज्यादा नहीं मिलते हैं. ऐसे में कुलदीप यादव को इस कंगारू टीम के खिलाफ टेस्ट किया जा सकता है. जहां हर गेंदबाज के खिलाफ उनकी तैयारी पूरी हो सकती है. कुलदीप के खिलाफ वो फंस सकते हैं.

हालांकि जयंत ने अब तक गेंद और बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन इस समय टीम में आर अश्विन भी एक ऑफ स्पिनर है और जयंत भी ऑफ स्पिन करते हैं. पुणे टेस्ट में भी एक तरह के दो गेंदबाजों को खेलने में कंगारू टीम को थोड़ी आसानी हुई थी

प्लेइंग XI में करुण नायर

तिहरा शतक लगाने के बाद टीम से बाहर होने के उदाहरण ज्यादा नहीं, लेकिन करुण नायर उसमें शुमार हो चुके हैं. नायर नए हैं, टीम में रहने और जगह बनाने का जज्बा है, तिहरे शतक का कॉन्फिडेंस है, ऐसे में उन्हें अंतिम ग्यारह में शामिल करना होगा. कर्नाटक के लिए खेलने वाले करुण को बेंगलुरु की पिच पर खेलने का अच्छा खासा अनुभव है.

स्पिन के खिलाफ कदमों का करें इस्तेमाल

कप्तान विराट ने भी पुणे टेस्ट में हार के बाद कहा था ‘कंगारू टीम तीनों दिन भारत से बेहतर खेली और ऐसा खेलने पर वो जीत की हकदार है और इतना खराब खेलने पर भारत किसी से भी हार सकता है. और बल्लेबाजी और फील्डिंग इस हार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं.’

भारतीय टीम पर आजकल नए नए स्पिन गेंदबाज  हावी हो रहे हैं. ऐसा नहीं है कि पहले इनसे बेहतर गेंदबाजी नहीं हुई या फिर पहले इन बल्लेबाजों से बहुत बेहतरीन बल्लेबाज टीम में थे. फर्क सिर्फ इतना है कि इन पिचों पर खेलने का तरीका पिछले दौर के बल्लेबाजों का ज्यादा अच्छा था.

वहीं अब भारतीय टीम की बात करे तो बहुत कम शॉट है जो आगे बढ़ कर खेलते है. विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा ऐसे बल्लेबाज है जो कदमों का उपयोग करते हैं लेकिन बाकी के बल्लेबाज ज्यादातर शॉट बैकफुट पर ही खेलते है. कई बल्लेबाज तो आगे की गेंद को भी पीछे खेलते है जिसके कारण वह स्पिन के आगे कमजोर नजर आते हैं.

फील्डिंग पर देना होगा ध्यान

भारतीय टीम ने जिस तरह से पुणे में कैच छोड़े वह भी हार का मुख्य कारण बना. दूसरी पारी में स्मिथ के 4 कैच छूटे जिसका फायदा उन्होने शतक बनाकर उठाया. वैसे किसी को शक नहीं है किसी भारतीय टीम की फील्डिंग हाल के समय में काफी सुधरी है लेकिन स्लिप फील्डिंग के मामले में वह अभी भी काफी पीछे हैं. स्लिप में रहाणे के अलावा कोई अच्छा फील्डर भारतीय टीम के पास नहीं है.