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Exclusive सचिन तेंदुलकर की फिल्म का विलेन बोला, कहानी झूठी है

'झूठ के पुलिंदों के सामने खुद को बचाव नहीं किया जा सकता'

Jasvinder Sidhu

सचिन तेंदुलकर की जिंदगी पर बनी बायोपिक ‘सचिन: अ बिलियन ड्रीम्स’ को लेकर कई तरह ही प्रतिक्रियाएं आईं हैं. अधिकतर समीक्षकों ने इसे महान क्रिकेटर पर बनी एक औसत फिल्म करार दिया है.

लेकिन इस फिल्म के एकमात्र विलेन ने इसे जिस तरह से आंका है, वह काफी रोचक है. सचिन की इस फिल्म में सब कुछ ठीक है. सिवाय पूर्व कोच ग्रेग चैपल को छोड़कर. फिल्म निर्माता और सचिन ने चैपल के बारे में फिल्म में काफी ईमानदारी दिखाई है. लेकिन चैपल ने इस फिल्म को झूठ करार दिया है.


फर्स्ट पोस्ट हिंदी ने चैपल को इस फिल्म में उनकी निगेटिव इमेज पर प्रतिक्रिया  जाने के लिए मेल किया. चंद मिनटों में उनका बेवाक जवाब आया.

2005 से 2007 तक भारतीय टीम के कोच रहे चैपल ने लिखा, ‘मैं झूठ के पुलिंदों के आगे खुद का बचाव नहीं कर सकता. सच क्या है, वह बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर का मालूम है. मेरा मानना कि सच जानने के लिए सभी को शशांक से संपर्क करना चाहिए.’

हमने शशांक से भी चैपल के दावे पर प्रतिक्रिया हासिल करने की कई कोशिशें की लेकिन सभी जाया गईं. वैसे सचिन के जीवन के चित्रण का 70 एमएम पर उतारने वाले इस बायोपिक में चैपल जैसा कोई विलेन भी होगा, किसी को अंदाजा नहीं था.

सचिन सहित सीनियर खिलाड़ियों के चैपल के साथ संबंध कैसे थे, यह किसी से छिपा नहीं. लेकिन सचिन के साथ उनकी कैमिस्ट्री इतनी खराब थी, यह बायोपिक को रोचक बनाता है.

‘सचिन: अ बिलियन ड्रीम्स’ बयां करती है कि चैपल की मौजूदगी में सभी सीनियर खिलाड़ी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे. जरा अंदाजा लगाइए कि चैपल के काल में टीम में कौन कौन था. फिल्म के अनुसार राहुल द्रविड़, सौरव  गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण, मौजूदा कोच अनिल कुंबले, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज अपना फ्यूचर खतरे में देख रहे थे. इस कारण टीम का प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ.

फिल्म में सचिन ने चैपल की क्रिकेट की समझ को ही चुनौती दी है. फिल्म में  सचिन पीछे मुड़ कर 2007 के विश्व कप में झांकते हैं और बताते हैं कि चैपल ने विश्व कप से ठीक एक महीने पहले उन्हें बल्लेबाजी के क्रम में नीचे भेज कर और पूरे बल्लेबाजी क्रम के साथ छेड़छाड़ कर कितना बड़ा ब्लंडर किया था.

सचिन कहते हैं, ‘हम सभी पिछले एक साल के विश्व कप की तैयारी कर रहे थे. लेकिन एकाएक महीने भर पहले सभी बदलाव कर दिए जिसका सभी पर बुरा असर पड़ा.’

2006 में पूरे साल सचिन 16 वनडे में से 15 में बतौर ओपनर खेले और एक में वह नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने आए. इस दौरान उन्होंने दो शतक और तीन फिफ्टी भी मारे. लाहौर में वह पाकिस्तान के खिलाफ 95 पर भी आउट हुए.

विश्व कप के पहले मैच में पोर्ट ऑफ स्पेन में बांग्लादेश के खिलाफ 17 मार्च को नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे सचिन सात रन पर आउट हुए. जनवरी 21, 2007 से इस मैच तक सचिन ने तीन और चार पर बल्लेबाजी करते हुए सात मैचों में दो फिफ्टी के अलावा वडोदरा में वेस्टइंडीज के खिलाफ नंबर चार पर 100 रन की नॉटआउट पारी खेली.

इसी विश्वकप में बरमूडा के खिलाफ नंबर छह पर उनकी 57 रन की नाबाद पारी भी है. बकौल सचिन, ‘टीम सही मनोस्थिति के साथ विश्व कप में जाने की हालत  में नहीं थी. मैंने बीसीसीआई के अधिकारियों को वेस्टइंडीज जाने से पहले आगाह भी कर दिया था.’

इससे पहले सचिन 2014 में आई अपनी किताब ‘प्लेयिंग इट माई वे’ में चैपल को एक ऐसा रिंगलीडर करार दे चुके हैं जो बिना यह एहसास किए अपने आइडिया खिलाड़ियों पर थोपता था कि इसका उन पर क्या असर पड़ेगा.

फिल्म में सचिन ने बांग्लादेश के खिलाफ शर्मनाक हार के कारण 2007 के विश्व से बाहर होने को अपने खेल जीवन का सबसे दुखदाई पर करार दिया है. सवाल यही है कि फिल्म में सचिन ने जो कुछ कहा, उसे सच माना जाए. या फिर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ग्रेग चैपल के इस बयान को कि झूठ के पुलिंदे के सामने खुद को बचाव नहीं किया जा सकता.