क्रिकेट के भगवाग सचिन तेंदुलकर की फिल्म आए और भारतीयों में उत्साह ना हो ये मुमकिन नहीं है. करीब सवा दो घंटे की इस फिल्म में शुरुआत में फिक्शनल टच देने की कोशिश की गई है लेकिन फिल्म के मुख्य किरदार में शुरू से अंत तक रियल हीरो सचिन ही हैं. इस फिल्म की खासियत ये है कि डायरेक्टर ने सचिन से जुड़े करीब-करीब हर इंसान को एक धागे में पिरो दिया है. फिल्म को खुद सचिन नैरेट करके सुना रहे हैं और बीच-बीच में हर्षा भोगले, रवि शास्त्री और बोरिया मजूमदार एक्सपर्ट कमेंट देते नजर आए हैं.
कहानी मजेदार तरीके से बचपन से शुरू होती है लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ती है ऐसा लगता है कि सब कुछ हम जानते ही तो हैं. नयापन के तौर पर कुछ वीडियो हैं जो आज से पहले किसी ने शायद ही देखी होगी. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से सचिन ने एक सपने को जिया है. या यूं कहें तो ये फिल्म सचिन के विश्व कप जीतने के सपने को ध्यान में रखकर ही बनाई गई है. खासियत की बात करें तो फिल्म में तकरीबन हर वो पात्र आपको देखने को मिलेगा जो सचिन बनने के पीछे था. परिवार से लेकर दोस्त तक और कोच से लेकर साथी खिलाड़ियों और विरोधियों तक को दिखाया गया है.
फिल्म में क्या पसंद आ सकता है.
फिल्म में बचपन के जो किस्से दिखाए है वे काफी रोचक है. सचिन की जिंदगी के कुछ व्यक्तिगत वीडियो को भी दिखाया गया है. खासकर उनके दोस्तों के साथ वह जिस तरह मस्ती करते हैं और उनसे जिस तरह सारी बातें शेयर करते हैं, वह कम ही लोगों को पता होगा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की टेस्ट सीरीज के बारे में उन्होंने खुलकर अपनी भावना व्यक्त की.
ग्रेग चैपल के खिलाफ उन्होने पूरी ईमानदारी से बात की है. इसके साथ ही अपने पहले क्रिकेट दौरे पर उनकी क्या सोच थी, इस बारे में भी उन्होने खुलकर बात की है.
वे बातें जो दर्शक जानना चाहते थे, लेकिन जान नहीं पाए.
मास्टर ब्लास्टर के दौर में सबसे बड़ा विवाद मैच फिक्सिंग का रहा. क्रिकेट प्रेमी सचिन से यह जानना चाहते थे कि भारतीय टीम पर यह ग्रहण कैसे लगा? उनसे उम्मीद थी कि वह इसकी परत-दर-परत खोलेंगे. उन्होंने बस इतना बताया कि उन्हें कुछ मालूम ही नहीं था. हालांकि जिस तरह उन्होंने ये बात कही उसे देखकर कई लोग विश्वास कर सकते हैं. इसके लिए उनकी एक्टिंग की तारीफ होनी चाहिए.
मैं एक दर्शक के तौर पर कई बातें जानने को उत्सुक था. वो बातें जो उन्होंने अपनी किताब में पूरी तरह से नहीं बताई थी. जैसे कपिल देव और सचिन तेंदुलकर के बीच विवाद की असली वजह क्या थी. पाकिस्तान के खिलाफ 194 रन पर नाबाद रहने के बावजूद जब राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित की तो ड्रेसिंग रूम का क्या माहौल था. मंकी गेट के बारे में तो उन्होने कोई बात तक नहीं की. इसके साथ करियर के अंत में वह संन्यास के बारे में किस तरह सोच रहे थे. वनडे क्रिकेट को उन्होंने अचानक अलविदा क्यों कह दिया. क्या चयनकर्ताओं ने उनके ऊपर दबाव डाला था.
अब अगर आपने सचिन की ऑटोबायोग्राफी को पढ़ा है तो आपको कुछ नया जानने को नहीं मिलेगा. फिल्म को देखकर सिर्फ यही लगा कि ये सब तो मैं पहले से ही जानता हूं. क्या कुछ नया देखने को मिलेगा? लेकिन मैं सोचता ही रह गया लेकिन कुछ नई बात जानने को नहीं मिली. हां सचिन का अनुशासन हमेशा की तरह आपको प्रभावित करेगा.