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क्या ऋषभ पंत का सेलेक्शन धोनी की उल्टी गिनती के आगाज का इशारा है!

अपने वनडे करियर में 50 से ऊपर की औसत से बल्लेबाजी करने वाले धोनी ने पिछले एक साल में 30.41 की औसत से रन बनाए हैं

Sumit Kumar Dubey

गुरुवार को यूं तो सेलेक्शन कमेटी ने कैरेबियाई टीम के खिलाफ महज दो वनडे मुकाबलों के लिए ही टीम का सेलेक्शन किया है किया है लेकिन इस सलेक्शन ने बहुत बड़ा संकेत दे दिया है. इस टीम इंडिया मे विकेटकीपर ऋषभ पंत को भी जगह दी गई है. यह पहली बार है जब ऋषभ पंत को भारत की वनडे टीम में जगह मिली है और यह संकेत है कि अब एमएस धोनी के लिए विदाई की दास्तान लिखने का वक्त शुरू हो चुका है.

साल 2014 में ऑस्ट्रलिया दौरे पर अचानक से टेस्ट संन्यास का ऐलान करने वाले धोनी तब से अब तक लगातार वनडे और टी20 क्रिकेट खेल रहे हैं. इस बीच कई बार धोनी के संन्यास को लेकर भी सवाल उठे लेकिन कभी धोनी ने अपने बल्ले से तो कभी कप्तान कोहली या हेड कोच रवि शास्त्री ने धोनी के पक्ष में बयान जारी करके उन सवालों को खामोश कर दिया.


टीम मैनेजमेंट हो या बीसीसीआई, हर जगह से एक ही संकेत दिया जाता रहा कि धोनी साल 2019 में इंग्लैंड में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए टीम की रणनीति का अहम हिस्सा हैं. लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ ऋषभ पंत के सेलेक्शन ने संकेत दिया है कि उस रणनीति अब धोनी का रिप्लेसमेंट का प्लान भी शामिल हो चुका है.

धोनी 2019 की प्लानिंग में शामिल तो हैं लेकिन...

यूं को धोनी के टीम में रहते हुए भी दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक को टीम में जगह मिलती रही है लेकिन उन्हें कभी भी धोनी का रिप्लेसमेंट नहीं माना गया. बतौर बल्लेबाज कुछ मुकाबलों में उन्होंने मिडिल ऑर्डर में अपनी उपयोगिता भी साबित की लेकिन ऋषभ पंत को टीम में शामिल करने के लिए उनकी कुरबानी देना यह साबित करता है कि बतौर विकेट कीपर बल्लेबाज धोनी के विकल्प के तौर पर सेलेक्टर्स के दिमाग में उनका नाम शामिल नहीं है.

 कितनी सुस्त हो गई है धोनी की बैटिंग

दरअसल एम धोनी को उनके वनडे करियर मे उनकी मैच फिनिशिंग काबिलीयत के तौर पर बेहद शोहरत हासिल हुई है. लेकिन अब मैच फिनिश करने में उनकी नाकामी ही उनकी रुखसती का कारण बन सकती है . पिछले कुछ वक्त में धोनी की बल्लेबाजी बेहद सुस्त रही है.

खासतौर से इंग्लैंड दौरे पर सीरीज के दूसरे वनडे मुकाबले में 59 गेंदों पर खेली गई 37 रन की उनकी सुस्त पारी की बेहद आलोचना हुई. इस  मुकाबले में उन्होंने वनडे क्रिकेट में 10,000 रन का आंकड़ा पार किया लिया लेकिन इस सुस्त पारी के चलते दर्शकों ने उन्हें काफी हूट किया. धोनी जैसे पॉपुलर खिलाड़ी का मैदान पर इस तरह हूट होना बेहद निराशाजनक बात है.

इसके बाद एशिया कप में उम्मीद थी कि धोनी अपनी बल्लेबाजी की खोई चमक को वापस पाने की कोशिश करेंगे लेकिन वहीं भी वह नाकाम ही रहे. बांग्लादेश के खिलाफ जब केदार जाधव के घायल होने के बाद रन रेट को तेज करने की जरूरत पड़ी तो वह अपना विकेट गंवा बैठे

धोनी ने अपने करियर में 317 वनडे मुकाबलों में कुल 10,123 रन बनाए हैं और औसत रहा है 50.61. लेकिन अगर पिछले एक साल की बात करें तो धोनी के बल्ले से 21 मैचों में महज 365 रन ही निकल सके हैं और औसत रहा है महज 30.41 का.

धोनी के यह आंकड़े उनकी फीका पड़ती चमक की ओर इशारा कर रहे हैं जिसे शायद सेलेक्टर्स ने भी भांप लिया है.

क्या ऋषभ पंत हैं मिडिल ऑर्डर का समाधान!

वहीं दूसरी ओर ऋषभ पंत की बल्लेबाजी में लगातार निखार हो रहा है. इंग्लैंड में मिले मौके को बुनाते हुए उन्होंने द ओवल में जोरदार शतक जड़ा और घर पर वेस्टिंडीज के खिलाफ राजकोट में 92 रन की पारी खेली. टीम मैनेजमेंट को भी पंत में अपने बैटिंग ऑर्डर में नंबर चार की पोजिशन का समाधान दिख रहा है जिसकी गुत्थी को सुलझाने के लिए लंबे वक्त से कोशिश की जा रही है.

केदार जाधव की चोट ने सेलक्टर्स को मौका दिया है कि बतौर बल्लेबाज ऋषभ पंत को आजमाया जा सकता है. हालांकि अभी तो वह धोनी की जगह नहीं लेंगे लेकिन अगर उन्होंने इस सीरीज में खुद को साबित कर दिया तो यह निश्चित तौर पर दिनेश कार्तिक के लिए तो बुरी खबर होगी है साथ ही धोनी के लिए उल्टी गिनती की शुरुआत होगी.