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इस 20 साल के लड़के से कुछ सीखते तो आज हीरो होते ऋषभ पंत मगर...

सैम करन ने धीरज के साथ बल्ले और गेंद दोनों से ही बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया है जबकि ऋषभ फटाफट रन जड़ने के चक्कर में फ्लॉप हुए हैं

Jasvinder Sidhu

20 साल के इस युवा बल्लेबाज को सीरीज में पहली बारी यह स्थिति नहीं मिली थी जिसमें उसकी टीम का बुरा हाल था. टॉप बल्लेबाज भारतीयों की उम्दा तेज गेंदबाजी के सामने निपट जाने के बाद ड्रेसिंगरूम में बैठे थे और स्कोर को ज्यादा काम करना नहीं पड़ रहा रहा था. सैम करन साउथैम्पटन की पहली पारी में 35वें ओवर में बल्लेबाजी करने उतरे, जब इंग्लैंड के 86 पर छह विकेट गिर चुके थे.

करन तीन घंटे आठ मिनट और 22 ओवर तक क्रीज पर अड़ गए. आठवें नंबर पर आ कर उन्होंने अपनी 78 रन की पारी में न केवल टीम को संकट से निकाला बल्कि स्कोर को 246 तक ले जाने में सफल रहे. दूसरी पारी में भी 178 पर पांच विकेट गिरे और करन फिर मैदान पर थे. उनकी पहली पारी के स्कोर और फिर 83 गेंदों पर 46 रन ने पूरे मैच और सीरीज से भारत को बाहर कर दिया.


मौके का फायदा नहीं उठा सके ऋषभ

इस सीरीज में भारत की ओर से भी ऋषभ पंत ने टेस्ट में आगाज किया था. पहली पारी में 29 बॉल खेलने के बाद जीरो पर आउट हुए पंत जब साउथैम्पटन में दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आए तो स्कोर 127 पर पांच विकेट था. मैच जीतने और सीरीज को बराबरी पर लाने के लिए सिर्फ 117 रन चाहिए थे. पंत के पास करन जैसे हालात थे. बुरी परिस्थितियों का बहादुरी से ज्यादा दिमाग लगाकर जीत हासिल करके हीरो बनने का खुला मौका था.

पंत ने बहादुरी से शायद मैगी नूडल्स की तरह दो मिनट में स्टार बनने का फैसला किया. जब इस युवा बल्लेबाज के लिए अपने घरेलू क्रिकेट के जबरदस्त अनुभव को टीम के लिए झोंकने का समय आया तो वह गैरजिम्मेदारी भरा तलवार चलाने जैसा टी-20 का शॉट खेल कर आउट हो गए. इस सीरीज में विराट कोहली की बल्लेबाजी की बात हो रही है लेकिन दोनों टीमों के बीच अभी तक का सबसे बड़ा फर्क सैम करन रहे हैं जिन्होंने पूरी सीरीज में अपनी मौजूदगी का जबरदस्त असर डाला है.

ओवल टेस्ट में जिस तरह उन्होंने बतौर गेंदबाज केएल राहुल को आउट किया है वह हैरान कर देने वाला था. अब तक यह युवा बल्लेबाज नौ भारतीय बल्लेबाजों के विकेट भी ले चुका है.

भारत की ओर से यह मौका रणजी ट्रॉफी में 300 रन की पारी खेलने के बाद चर्चा में आए पंत के पास था. वह पहले न केवल साउथैम्पटन में एक मौका गंवा चुके थे बल्कि ओवल में भी उन्हें टीम में से कोई समझा नहीं पाया कि सैम करन से वह क्या सीख सकते हैं.

एक जैसी थी सैम और ऋषभ की स्थिति

सही है कि पंत के पास अनुभव की कमी है लेकिन करन भी उनकी तरह ही टीम में आए हैं. पंत के साथ जो भी हुआ, उसके पीछे पिछले दस सालों में सोच में आया बदलाव है. अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेल रहे पंत ने दूसरी ही बॉल पर आदिल राशिद को छक्का ठोक दिया तो जानकारों ने उनकी तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिए. वह छक्का पंत ने नॉटिघंमशायर में मारा था जहां उनकी टीम का अच्छा स्कोर था और इंग्लैंड की बुरी हालत थी.

सैम करन और पंत के स्कोर कार्ड उठा कर देखने से साफ जाहिर होता है कि दिल्ली के इस विकेटकीपर को अभी यह समझना है कि टेस्ट क्रिकेट में स्टार बनने के लिए क्रीज पर खड़े होकर देर तक बल्लेबाजी करनी आनी चाहिए.

सैम करन

तीन मैचों की पांच पारियों में पंत के सिर्फ 48 रन हैं और वह सिर्फ 106 गेंदों का ही सामना कर पाए हैं. दूसरी तरफ करन हैं जो सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की लिस्ट में चौथे नंबर पर हैं. चार टेस्ट मैचों की छह पारियों में करन के दो फिफ्टी के साथ 41.83 की औसत से 251 रन हैं. जाहिर है कि 20 साल के इस लड़के का कद सीरीज में नामी बल्लेबाजों के बीच कहीं ऊंचा नजर आता है.

उनकी जगह पंत भी हो सकते थे. संभव है कि वह ओवल टेस्ट मैच की दूसरी पारी में टीम के लिए बड़ा स्कोर बना दें लेकिन उसके कोई मायने अब नहीं हैं. अपने बेहतर भविष्य के लिए पंत को करन की तरफ बार-बार देखना चाहिए और आकलन और खुद से सवाल करने चाहिए कि क्यों वह अपने करियर की सबसे बड़ी सीरीज में उनके जैसा खेलने में नाकाम रहे.