बीसीसीआई के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत से अब एक राहत की खबर आई है.
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के सदस्यों के लिए ‘एक राज्य, एक वोट’ की नीति पर अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए मुंबई, सौराष्ट्र, वडोदरा और विदर्भ के क्रिकेट संघों के बोर्ड को पूर्ण सदस्यता प्रदान कर दी है. यानी लोढ़ा कमेटी के एक राज्या एक वोट की सिफारिश को नकार दिया गया है.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अगुवाई वाली पीठ ने कुछ संशोधनों के साथ देश में सबसे अमीर और टॉप क्रिकेट संस्था के संविधान के मसौदे को भी मंजूरी दी और तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज एक्ट बनी बीसीसीआई के स्वीकृत संविधान को चार हफ्ते के भीतर अपने रिकार्ड में लेने का निर्देश दिया है.
अदालत ने रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटीज की फुल मेंबरशिप को भी बरकरार रखा है.
अदालत ने राज्य क्रिकेट संघों को निर्देश दिया कि वह 30 दिन के भीतर बीसीसीआई का संविधान अपनाए और उन्हें आगाह किया कि इसका पालन नहीं करने पर कार्रवाई का सामना करना होगा.
इसके अलावा बोर्ड के पदाधिकारियों के कूलिंग ऑफ पीरियड पर भी राहत दी गई है. अब हर कार्यकाल के बाद तीन साल के कूलिंग ऑफ पीरिडय को लगातार दो कार्यकाल के बाद जरूरी किया गया है. अदालत का यह फैसला भी बीसीसीआई के अधिकारियों के लिए राहत की बात है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)