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कोच रवि शास्त्री : हर बार मुसीबत के वक्त संभाली जिम्मेदारी

क्या भारत को 2019 का विश्वकप जिता पाएंगे शास्त्री?

Sumit Kumar Dubey

साल 2007 में वेस्टइंडीज में खेला गया वर्ल्डकप हर भारतीय फैन भूलना चाहता है. इस वर्ल्डकप में भारतीय टीम पहले ही राउंड में हार कर बाहर हुई थी. और भारत के बाहर होने की वजह थी बंग्लादेश से मिली हार. इस हार के बाद भारत में टीम इंडिया के खिलाफ प्रदर्शन हुए खिलाड़ियों के पोस्टरों पर कालिख पोती गई. टीम का मनोबल पूरी तरह गिरा हुआ था. कोच ग्रेग चैपल ने इस्तीफा दे दिया था. टीम इंडिया को बांग्लादेश का दौरा करना था. ऐसे वक्त में रवि शास्त्री को टीम इंडिया का क्रिकेट मैनेजर बना के भेजा गया. टीम इंडिया के साथ रवि शास्त्री का यह पहला असाइंनमेंट था. और इस असाइनमेंट को शास्त्री ने पूरी शिद्दत के साथ पूरा किया और भारतीय टीम जीत दर्ज करके स्वदेश वापस लौटी.

साल 2014 में संभाला टीम इंडिया के डायरेक्टर का पद


इसके बाद रवि शास्त्री को दूसरी बार साल 2014 में उस वक्त टीम इंडिया का डायरेक्टर बनाया गया जब टीम इंडिया विदेशों में लगातार हार रही थी. पहले इंग्लैंड दौरा और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत को हार का सामना करना पड़ा था.  हालांकि कोच के पद पर डंकन फ्लेचर मौजूद थे लेकिन इसके बावजूद शास्त्री बोर्ड ने टीम इंडिया का डायरेक्टर बनाकर टीम के साथ जोड़ा. और फिर डंकन फ्लेचर का कार्यकाल पूरा होने का बाद शास्त्री को टीम इंडिया के डायरेक्टर के पद पर बरकरार रखा गया. इस दौरान भारत ने साल 2015 में क्रिकेट वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में जगह बनाई. साथ ही शास्त्री के कार्यकाल में ही टीम इंडिया टेस्ट में नंबर वन के मुकाम तक पहुंची जहा वह आठ सप्ताह तक इस पोजिशन पर रही.

बतौर टीम डायरेक्टर शास्त्री का यह सफर बेहद कामयाबी भरा रहा लेकिन साल 2016 में शास्त्री पर वरीयता देकर अनिल कुंबले को टीम इंडिया का कोच चुना गया. लेकिन वक्त का पहिया एक बार फिर घूमा है और शास्त्री फिर से भारतीय टीम के कोच बन गए हैं. वो भी अगले दो साल के लिए.

शास्त्री के फिर के कोच बनने में जो बात सबसे ज्यादा उनके पक्ष में गई है वो है उनकी मैन मैनेजमेंट स्किल्स. क्रिकेट के बाकी कोचों से इतर शास्त्री ने अपने क्रिकेटीय करियर से संन्यास के बाद कोचिंग की बजाय कमेंटरी की और रुख किया . बतौर क्रिकेटर मैदान पर आक्रामक खेल दिखाने वाले शास्त्री ,बतौर कमेंटेटर भी अपने तर्को के जरिए हमेशा चर्चा में रहे हैं. खेल की समझ और उसे व्यक्त करने के अपने बेमिसाल तरीकों के चलते शास्त्री हमेशा लोगों के पसंदीदा कमेंटेटर बने रहे हैं.

बेहतरीन है शास्त्री का रिकॉर्ड

वैसे बात अगर शास्त्री के क्रिकेटीय करियर की करें तो उनके आंकड़े कम आकर्षक नहीं हैं. शास्त्री ने अपने टेस्ट करियर में 80 मुकाबलों में 35.39 की औसत से 3830 रन तो बनाए ही हैं साथ ही 151 टेस्ट विकेट भी उनके नाम पर दर्ज हैं. वहीं वन डे क्रिकेट में भी शास्त्री ने 150 मुकाबलों में 3108 रन बनाने के साथ-साथ 129 विकेट हासिल किए हैं.

यह आंकड़े बताते हैं कि शास्त्री क्रिकेट के इस खेल के कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं. और इस बार तो उनके साथ बतौर गेंदबाजी कोच जहीर खान और विदेश दौरों पर बतौर बैटिंग कोच राहुल द्रविड़ भी होंगे. इसके अलावा टीम इंडिया के कप्तान विराट के साथ उनकी बेहतरीन ट्यूनिंग तो जगजाहिर है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि अपने इस कार्यकाल में शास्त्री टीम इंडिया को दो साल बाद यानी 2019 में वर्ल्डकप में जीत के काबिल जरूर बना देंगे. वो भी उसी इंग्लैंड की धरती पर जहां पिछले दिनों भारत पाकिस्तान के हाथों मिनी वर्ल्डकप के फाइनल में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है.