विशाखापत्तनम टेस्ट के दूसरे दिन, जब आर अश्विन ने एंडरसन की गेंद पर चौका जड़ा, तो उस शॉट ने एक बात साफ कर दी थी.
शानदार स्पिनर साबित होने के बाद अब अश्विन एक भरोसेमंद बल्लेबाज बनना चाहते हैं. वो दिन की तीसरी ही गेंद थी.
मगर इंग्लैंड के सबसे खतरनाक गेंदबाज की बल पर चौका मारकर अश्विन ने अपने मजबूत इरादे साफ कर दिए थे.
इसके बाद अश्विन ने टेस्ट मैचों में अपना आठवां अर्धशतक पूरा किया. अब वो भारतीय टीम के लिए उपयोगी बल्लेबाज बन गए हैं.
टेस्ट मैच के पहले दिन भारत ने चार विकेट खोकर 317 रन बनाए थे. मगर अगले दिन जरूरी ये था कि कप्तान कोहली अपनी शानदार पारी को आगे बढ़ाते और पारी को धार-रफ्तार देते.
उनसे बड़े स्कोर की उम्मीद थी. कोहली के साथ क्रीज पर थे आर अश्विन. मगर दूसरे दिन सिर्फ 11 ओवरों के बाद कोहली आउट हो गए.
उस वक्त टीम का स्कोर पांच विकेट के नुकसान पर 351 रन था. ऐसे में 500 रनों का स्कोर बहुत दूर की कौड़ी लग रहा था.
भारत ने रिद्धिमान साहा और रविंद्र जडेजा के विकेट भी सस्ते में गवां दिए. अब स्कोर सात विकेट के नुकसान पर 363 रन था. टीम इंडिया का 400 तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा था.
मिस्टर भरोसेमंद बने अश्विन
एक तरफ विकेट गिर रहे थे, तो दूसरी तरफ अश्विन ऐसे डटे थे मानो वो किसी और पिच पर बल्लेबाजी कर रहे हों. वो उथल-पुथल भरे माहौल में शांति का प्रतीक बन गए.
अश्विन ने पहला टेस्ट खेल रहे जयंत यादव के साथ आठवें विकेट के लिए 64 रनों की साझेदारी की. इससे टीम इंडिया 450 से आगे का स्कोर जोड़ने मे कामयाब रही. अश्विन ने 58 रनों की पारी से टीम इंडिया को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में बेहद अहम रोल निभाया.
इसके बाद शानदार गेंदबाजी करके अश्विन ने टीम इंडिया की जीत में चौतरफा योगदान दिया. एक गेंदबाज के तौर पर अश्विन बेहद खतरनाक हैं. वो दीमक की तरह विरोधी टीम के बल्लेबाजों को चट कर जाते हैं.
मुश्किल हालात में वो बेहद शांत रहकर टीम में हौसला भरते हैं. अब तक खुद पुछल्ले बल्लेबाज समझे जाने वाले अश्विन बड़ी तेजी से टेल एंडर बल्लेबाजों के साथ अच्छी बैटिंग करना सीख रहे हैं.
कई लोग अश्विन की बल्लेबाजी की तुलना वीवीएस लक्ष्मण से करते हैं. वो हालात के हिसाब से बल्लेबाजी करना जानते हैं. पहले भारत के छह विकेट गिरने पर टीम दबाव में आ जाती थी.
मगर अब अश्विन होते हैं तो घबराहट नहीं होती. एक भरोसा जगता है. ऐसे मौकों पर अश्विन ने शायद ही निराश किया हो.
वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक
एक बल्लेबाज के तौर पर अश्विन की पहचान 2011 में बनी थी. तब उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक ठोका था. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए उस मैच में अश्विन आठवें नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे.
उस वक्त 590 रनों के जवाब में टीम इंडिया 331 रनों पर छह विकेट गंवा चुकी थी. वो आखिरी विकेट के तौर पर आउट हुए थे. तब अश्विन ने 103 रनों का स्कोर किया था. भारत ने उस पारी में 482 रन बनाए थे.
उसके बाद से अश्विन ने कई बार मुश्किल हालात में शानदार बल्लेबाजी की है. इसमें दो शतक और दो अर्धशतक शामिल हैं. अश्विन ने मुरली विजय से ज्यादा रन बनाए हैं. उनका औसत भी विजय से ज्यादा रहा है.
इस साल एंटीगुआ टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाफ कोहली ने अश्विन को विकेट कीपर रिद्धिमान साहा से पहले बल्लेबाजी करने भेज दिया था. अश्विन ने कोहली को निराश नहीं किया था. उन्होंने शतक जड़ा था.
इस पारी में अश्विन का सब्र साफ दिखा था. उन्होंने 253 गेंदें खेली थी. इससे पहले उन्होंने सिर्फ एक पारी में 200 से ज्यादा गेंदों का सामना किया था.
दो मैचें के बाद एक बार फिर उन्होंने मुश्किल हालात में शानदार बल्लेबाजी की. जब भारत के 87 रन पर चार विकेट गिर चुके थे. तब अश्विन ने 118 रनों की पारी खेली थी.
रिद्धिमान साहा के 104 रनों की बदौलत, भारत 353 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंच सका था. इस मैच में अश्विन ने 297 गेंदों का सामना किया था. वो मैच भारत ने 237 रनों से जीता था. अश्विन को मैन ऑफ द मैच चुना गया था. इसकी वजह उनकी बल्लेबाजी रही थी.
पिछले साल अश्विन ने छठें नंबर या इससे नीचे बल्लेबाजी करते हुए 544 रन बनाए थे. उनका औसत 41.84 रनों का रहा है. जोकि पिछले साल किसी भी एशियाई बल्लेबाज का सबसे अच्छा औसत था.
पिछले साल उन्होंने हर मैच में औसतन 92 गेंदें खेलीं. जो छठें नंबर के बल्लेबाज के लिहाज से काफी अच्छा रिकॉर्ड है.
कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के खिलाफ जब वो क्रीज पर उतरे थे तो स्कोर पांच विकेट पर 209 रन था. अश्विन ने रोहित शर्मा के साथ 52 रनों की साझेदारी की.
ये पारी की दूसरी बड़ी साझेदारी थी. भारत ने बमुश्किल 300 का आंकड़ा पार किया था. मगर आखिर में टीम इंडिया ने वो टेस्ट मैच जीत लिया था.
राजकोट में भी शानदार बल्लेबाजी
इंग्लैंड के खिलाफ आर अश्विन का बल्लेबाजी का फॉर्म वैसा ही है. राजकोट टेस्ट में इंग्लैंड ने पहली पारी में 537 रन बना लिए थे. वहीं भारतीय टीम 349 पर पांच विकेट गंवाकर लड़खड़ाती दिख रही थी.
रहाणे और कोहली के जल्दी-जल्दी आउट होने से टीम और मुश्किल में आ गई थी. ऐसे में अश्विन के 70 रनों ने बड़ा रोल निभाया था. जबकि इससे पहले वो 46 ओवर गेंदबाजी कर चुके थे.
अश्विन की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत ही भारत ने इंग्लैंड को 49 रनों की मामूली लीड लेने दी थी.
दूसरी पारी में भी भारत ने 68 रनों पर तीन विकेट गंवा दिए थे. ऐसे में कप्तान कोहली के साथ अश्विन ने बेहद उपयोगी साझेदारी निभाई. मगर कोहली के साथ उनकी साझेदारी की बदौलत ही भारत मैच ड्रॉ करा सका था.
विशाखापत्तनम में अश्विन को 17 रनों के स्कोर पर जीवनदान मिला था. जब बेन स्टोक्स ने उनका कैच गिरा दिया था. इंग्लैंड को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी.
संजय बांगर का भरोसा कायम
अश्विन की बल्लेबाजी में टीम मैनेजमेंट के भरोसे से भारत को काफी फायदा हुआ है. इसमें बल्लेबाजी कोच संजय बांगर का बड़ा योगदान है. अश्विन का खुुद मानना है कि पिछले एक साल में बांगर ने उन्हें बल्लेबाजी सुधारने में काफी मदद की है.
अश्विन ने आठवें-नौवें नंबर के बल्लेबाज के तौर पर करियर शुरू किया था. फिर वो छठें-सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजे जाने लगे.
छठें नंबर के बल्लेबाज के तौर पर अश्विन का औसत 64.80 रहा है. बैटिंग ऑर्डर में ऊपर आने के साथ ही अश्विन का बल्लेबाजी को लेकर नजरिया भी बदला है.
अश्विन कहते हैं कि आठवे-नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आने पर वो खुुद को एक गेंदबाज मानते थे. जिसका मकसद महज कुछ रन जुटाना होता था. अब वो मैच विनिंग बल्लेबाजी करने लगे हैं.
अश्विन कहते हैं कि अगर वो बीस रन जुटा लेते हैं तो फिर वो लंबी पारी के लिए कोशिश करने लगते हैं. फिर वो सेशन्स में बल्लेबाजी करने लगते हैं. इसमें ध्यान लगाना बडी चुनौती होता है. मगर अश्विन को इसमें मजा आने लगा है.
अश्विन ने टेस्ट मैच में चार शतक बनाए हैं. उन्होंने ये चारों चारों ही शतक वेस्ट इंडीज के खिलाफ बनाए हैं. लोग ये कह सकते हैं कि ये कमजाेर गेंदबाजी का नतीजा है. मगर, देखने वाली बात ये है कि ये पारियां किन चुनौतियों के दौरान खेली गई हैं.
दिल्ली में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अश्विन ने 56 रन बनाए थे. वो उस वक्त बल्लेबाजी के लिए उतरे थे जब टीम ने 198 रन पर सात विकेट गंवा दिए थे. उनकी पारी की बदौलत भारत 334 के स्कोर तक पहुंच सका था.
उन्होंने मुश्किल हालात में धैर्य वाली बल्लेबाजी का नजारा इंग्लैंड के खिलाफ भी कराया है और न्यूजीलैंड के खिलाफ भी.
कप्तान कोहली कहते हैं कि अश्विन हालात के हिसाब से बल्लेबाजी करते हैं. ऐसे में उनका टीम में होना बेहद उपयोगी है.
तो उन्होंने कप्तान और टीम मैनेजमेंट को अपने खेल से मुरीद बना लिया है. जल्द ही वो गेंदबाज अश्विन के साथ-साथ बल्लेबाज अश्विन के तौर पर भी जाने जाएंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है.
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