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इंटरव्यू से पहले ही टीम इंडिया की मांग और जरूरत हैं बिंदास रवि शास्त्री

शास्त्री पूरी तरह के कुंबले से अलग हैं. वह खिलाड़ियों को पूरी आजादी देने के पक्ष में हैं.

Jasvinder Sidhu

रवि शास्त्री का कोच पद की रेस में कूदना एकाएक बड़ी खबर लग रही है. लेकिन जैसा दिख रहा है, वैसा नहीं है. कप्तान विराट कोहली और टीम के कई अन्य सदस्यों की नजर से देखा जाए तो शास्त्री ही सबसे काबिल हैं. आजाद खयालों से भरपूर शास्त्री कप्तान की पसंद ही नहीं, बल्कि मांग हैं.

बीसीसीआई को भी अंदाजा है कि टीम का बिंदास शास्त्री के बारे में क्या नजरिया है. लिहाजा नियमों और सुप्रीम कोर्ट की प्रशासन कमेटी को अंधेरे में रख कर फिर से कोच पद के आवेदन मंगाए गए. साफ है कि इस पूरी प्रक्रिया में शास्त्री की अहमियत की झलक दिखती है.


ऐसे में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण वाली क्रिकेट एडवाइजरी के लिए शास्त्री के नाम को प्राथमिकता देना जरूरी हो जाता है.

शास्त्री पूरी तरह के अनिल कुंबले से अलग हैं. वह खिलाड़ियों को पूरी और हर तरह ही आजादी देने के पक्ष में हैं. इसलिए कोच की रेस में उनका बायोडाटा सबसे मजबूत है. शास्त्री के बारे में कहा जाता है कि वह टीम में जोश भरने के लिए तकरीर करने में माहिर हैं. टीम को उनका यह अंदाज पसंद हैं.

शास्त्री ने खिलाड़ियों को आक्रामकता सिखाई

वह बात अलग है कि विश्व कप 2015 के बाद 2016 टी-20 विश्व कप तक टीम के कोच पद पर रहते हुए उन्होंने टीम के खिलाड़ियों में ‘गो फॉर किल’ वाला जोश भरा कि कई कई सभ्य और शांत रहने वाले सदस्य भी उत्साह में वह कर गए जो उनसे कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी पर कैप्टन कूल नाम से किताब लिखी जा चुकी है. लेकिन जून 2015 को मीरपुर वनडे में उन्होंने बांग्लादेश के युवा गेंदबाज मुस्तफिजुर रहमान को रन लेते समय कोहनी मार दी. ऐसा धोनी के अपने पूरे करियर में नहीं किया.

इशांत शर्मा का मैदान पर करियर काफी क्लीन रहा है सिर्फ अगस्त और सितंबर 2015 के छोड़कर. इशांत के खिलाफ दस दिन के भीतर अनुशासनहीनता के लिए फाइन और एक टेस्ट मैच का प्रतिबंध लगा. क्योंकि आईसीसी ने बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो टेस्ट में  उनका व्यवहार खेल भावना के अनुकूल नहीं पाया था.

कोलंबो टेस्ट में इंशात के अलावा विवाद में शामिल श्रीलंकाई बल्लेबाज दिनेश चंडीमल पर भी बैन लगा.

यहां बैन ज्यादा अहम नहीं हैं. अहम इस मैच के बाद कप्तान ने जिस तरह के इशांत के व्यवहार को सही बताया उससे साफ जाहिर था कि शास्त्री की मौजूदगी में आक्रमकता टीम में ठूंस-ठूंस कर भर दी गई थी. और यह भी कि टीम के सभी सदस्य इन्जॉय कर रहे थे.

सचिन, सौरव और लक्ष्मण के करियर में अनुशासन शब्द सबसे ऊपर रहा है. लेकिन जैसे कि हवा बदलने में देर नहीं लगती, अगर वह खिलाड़ियों को आजादी ही सांस देने के समर्थक कोच को चुनते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा.

हालांकि तीनों के लिए यहां चुनाव आसान नहीं होगा. साथ ही कोच की खोज में बड़ा ट्विस्ट भी देखने को मिल सकता है.

अब सहवाग का क्या होगा?

शास्त्री ने पहले कोच पद के लिए आवेदन करने का खयाल छोड़ दिया था. इसके मद्देनजर कप्तान कोहली ने वीरेंदर सहवाग को अपनी अर्जी भेजने के लिए कहा.

सहवाग इसको लेकर काफी एक्साइडेट थे. लेकिन अब कहा जा रहा है कि कोहली शास्त्री के पीछे पूरी मजबूती के साथ खड़े हैं. ऐसे में सहवाग रेस हार जाने की स्थिति में कैसे रिएक्ट करते हैं, यह देखना रोचक होगा.

इसमें कोई दोराय नहीं कि कोच वही होगा जो कोहली चाहेंगे और कोहली को क्या चाहिए, कुंबले को बाहर किए जाने के बाद इसका अंदाजा सभी को है.

साफ है कि अगला कोच जो भी आएगा, वह किसी कंपनी के उस बिजनेस पार्टनर की तरह होगा जिसके लिए चुपचाप धंधा चलाना और मुनाफा कमाना ही मकसद होता है. इसके लिए उसे कई गलत चीजों के देखने के बावजूद आंखें बंद रखनी पड़े तो वह भी मंजूर है.